संस्कार- प्राची लेखिका   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : सुनीता जी की आंखों से आँसू थम नहीं रहे। पति की मृत्यु के पश्चात वह अपने बहू बेटों के अधीन होकर रह गई।

जो भी रूपया पैसा था वह उन्होंने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और विवाह शादी में खर्च कर दिया और बचा कुचा बच्चों ने बहला-फुसलाकर हथिया लिया।

बेटी की शादी खूब अच्छे घर में हो गई। बेटा अमित भी अच्छा कमाता है। उनके पति के गुजर जाने के बाद बेटा बहू शुरू में तो अच्छा बर्ताव करते थे लेकिन बाद में उन्हें उपेक्षित किया जाने लगा।

अब तो बहू रोज किच किच मचाने लगी। रोज उन्हें #खरी-खोटी सुनाती। वह फिर भी सब बर्दाश्त कर रही थी।

लेकिन अब तो पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा। बहू ने पूरी कसम खा ली उनको वृद्धआश्रम भेजने की।

उन्होंने अपने बेटे से बहुत कहा कि उन्हें वृद्धआश्रम नहीं भेजें।बेटा मां से प्रेम तो करता किंतु पत्नी के त्रिया चरित्र के कारण चुप रह जाता।

आज सुनीता जी को वृद्धाश्रम भेजने का दिन था। उनका मन बहुत उखड़ रहा था। दुखते दिल के साथ वृद्धाश्रम आ गई। अपने साथ की अन्य महिलाओं के साथ अपना दुःख दर्द साझा कर रही थी। 2 महीने बीत गए। अब तो आदत सी भी हो गई।

आज वृद्ध आश्रम में एक नई मेहमान आने वाली थी उनके साथ रहने। सभी महिलाएं उनका स्वागत करने गई।

नए मेहमान साथी को देखकर वह चौंक जाती हैं क्योंकि नई वृद्ध महिला और कोई नहीं बल्कि उनकी बहू की माँ उनकी समधन थी। जिसे उनकी बहू का भाई छोड़ने आया था।

नई मेहमान उनको देखकर एक दम सकपका सी गई। उनकी समधन उनसे आंँख मिलाने का साहस नहीं कर पा रही थी क्योंकि उनकी गलत परवरिश के कारण ही तो वह यहाँ पर थी।

भगवान सब देखता है। जो जैसा करता है उसको वैसा ही फल मिलता है। चाहे अभी या फिर कभी।

दोनों समधन कैसे सबको बताएं कि उनका क्या संबंध है।

पर कुछ देर बाद दोनों एक दूसरे से मिलकर फफक फफक कर रो पड़ी।

अगर सभी परिवार अपने बच्चों को सही शिक्षा और संस्कार दें तो शायद किसी के भी माँ बाप वृद्ध आश्रम में ना मिले।

सर्वाधिकार सुरक्षित

स्वरचित मौलिक

प्राची की कलम से

खुर्जा उत्तर प्रदेश

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