समर्पण का सिला – बीना शर्मा  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: राघवेंद्र रात के समय अपने घर के लान मैं टहल रहे थे अचानक अपने घर के पीछे बने सर्वेंट क्वार्टर में अपने घरेलू नौकर मोहित की आवाज सुन कर वह चौक गए और पास जाकर कमरे से आने वाली आवाजों को ध्यान से सुनने लगे कमरे में से आने वाली आवाजों को सुनकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई थी जिस नौकर पर वह अपनी पत्नी से भी ज्यादा भरोसा करता था. 

वह अपने एक दोस्त से उनकी शराब की बोतल में से एक पैग लेने को और कह रहा था जब दोस्त ने बोतल में से शराब खत्म होने के डर से शराब लेने के लिए मना करा तो मोहित हंसते हुए बोला” डर मत मेरे मालिक कान के कच्चे हैं मैं उनसे झूठ बोल दूंगा कि बोतल मेरे हाथ से छूट कर फूट गई थी वह मेरी बात पर तुरंत यकीन कर लेंगे।”

यह सुनकर उसका दोस्त बोला यार तेरे मालिक तो बहुत अच्छे हैं जो तुझ पर इतना यकीन करते हैं परंतु, तेरी मालकिन कहां गई जो तुझ पर कभी भरोसा नहीं करती थी और हर वक्त तुझे डाटा करती थी जब से मैं गांव से आया हूं मैंने उन्हें देखा ही नहीं है।”

“उसके डांटने की आदत से खफा होकर मैंने उसे भगवान के घर पहुंचा दिया मैंने मलिक के कच्चे कान का होने का फायदा उठाकर मालकिन के चरित्र पर संदेह करते हुए यह आरोप लगा दिया कि वह तो मुझ पर डोरे डालती हैं बस फिर क्या था मालिक ने गुस्सा होकर उनसे कह दिया “तुम मेरे नौकर के साथ रोमांस लडाती हो आज के बाद मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना अपने पति के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित जो हमेशा उनकी खुशी के लिए सुबह से शाम तक काम में लगी रहती थी

और मेरी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखती थी बेहद सफाई पसंद जो मुझे इसलिए डांट देती थी कि मैं कुछ भी खा पीकर बगैर हाथ धोएं उनके द्वारा बनाए हुए खाने को हाथ लगा देता था मालकिन को मालिक की बात का इतना बुरा लगा कि उन्होंने रेल के नीचे कूदकर अपनी प्राण दे दिये उनके जाने के बाद अब मैं आजादी से पूरे घर में बिना रोक-टोक के विचरण करता हूं और जो मर्जी बगैर हाथ धोएं हुए खाता हूं” कहते हुए मोहित जोर-जोर से खिलखिला कर हंसने लगा था।”

मोहित की बात सुनकर राघवेंद्र गुस्से से भर गया था बचपन में उसके माता-पिता के एक दुर्घटना में मारे जाने के बाद उन्होंने उसे अपने बच्चे की तरह समझ कर उसका पालन पोषण किया था राघवेंद्र की पत्नी राधिका बेहद खूबसूरत अपने पति से बेहद प्यार करने वाली उनकी हर आज्ञा का पालन करने वाली सास और ससुर की सेवा करने वाली घर का हर काम बेहद सफाई से करती थी जिसके कारण घर के सभी सदस्य उसे बहुत प्रेम करते थे परंतु, राधिका का यह गुण मोहित को पसंद नहीं था

क्योंकि वह अपने झूठे हाथ रसोई में रखें हर खाने को स्पर्श कर देता था जिसके कारण राधिका उसे कई बार डांट देती थी एक बार जब राधिका ने खाना बना कर सबके लिए मेज पर लगाया तो मोहित बाहर से झाड़ू लगाकर आया और बगैर हाथ धोए ही वह मेज पर लगे खाने में से खाना निकाल कर खाने लगा तो राधिका उसे डांटते हुए बोली” तुमने बगैर हाथ धोए खाने को हाथ क्यों लगाया?

जाओ पहले हाथ धो कर आओ फिर खाना खाना” राधिका की बातें सुनकर मोहित ने हाथ धोकर खाना तो खा लिया परंतु,वह मन ही मन राधिका से खफा हो गया था और उससे छुटकारा पाने का तरीका खोजने लगा था अचानक उसका ध्यान राघवेंद्र की तरफ गया जो बगैर सोचे समझे उसकी कहीं हार बातों पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेता था।

राघवेंद्र वैसे तो राधिका से बेहद प्यार करता था परंतु ,उसमें कान का कच्चा होने के साथ-साथ एक कमी और भी थी वह शराब बहुत पीता था और शराब पीकर अक्सर नशे में बहक जाता था रात के समय राघवेंद्र जब शराब पी रहा था उस वक्त मौके का फायदा उठाकर उसने राघवेंद्र से कहा” मैं नहीं चाहता मेरी वजह से आपका घर बर्बाद हो आजकल मालकिन को पता नहीं क्या हो गया है

आपके ऑफिस जाने के बाद मुझे प्यार भरे इशारे करती हैं मैं जब उनके पास जाने से मना कर देता हूं तो मुझे डांट देती है” मोहित की बात सुनकर राघवेंद्र राधिका के प्यार, समर्पण और सेवा भावना को भूलकर उसके चरित्र पर संदेह कर बैठा उसने समझा बूझाकर मोहित को कमरे से बाहर भेज दिया और कमरे में बैठकर राधिका के आने का इंतजार करने लगा राधिका जैसे ही कमरे में आई वह गुस्से में राधिका से बोला” चरित्रहीन मेरे पीछे नौकर से रोमांस करती है”

यह सुनकर राधिका आंखों से आंसू बहने लगे थे क्योंकि वह बेहद चरित्रवान औरत थी अपने पति के सिवा उसने कभी किसी पर पुरुष की तरफ नजर भर कर कभी देखा भी नहीं था जब उसने सफाई देने के लिए मेरे समर्पण का ऐसा सिला दे रहे हो तुम कहते हुए अपनी जुबान खोली तो राघवेंद्र चिल्लाते हुए बोला” निकल जा यहां से आज के बाद मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।”

राघवेंद्र के शब्दों ने राधिका का दिल तोड़ दिया वह सब कुछ बर्दाश्त कर सकती थी परंतु ,कोई उसके चरित्र पर उंगली उठाए यह उसे बर्दाश्त नहीं था राघवेंद्र को शराब का इतना नशा हो गया था कि वह लड़खड़ा कर वह बिस्तर पर गिर गया और सो गया लेकिन राधिका की आंखों से नींद कोसों दूर थी उसकी आंखों में बार-बार राघवेंद्र के शब्द घूम रहे थे उसने एक नजर अपने पति पर डाली और रोते हुए चुपके से कमरे से बाहर निकल गई

फिर घर का दरवाजा खोला और जाकर रेल की पटरी पर लेट गई थोड़ी ही देर में रेल गाड़ी आई और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करते हुए तेजी से निकल गई सुबह के वक्त जब लोगों की आवाज सुनकर राघवेंद्र की आंखें खुली तो पत्नी की आत्महत्या का समाचार सुनकर वह वहीं पर बैठकर रोने लगा था लोगों के समझाने पर बड़ी मुश्किल से पत्नी का अंतिम संस्कार करने के बाद रिश्तेदारों के काफी जिद करने पर बस उसने थोड़ा सा खाना खाया था फिर उसका मन इतना बेचैन हो गया और वह लान में घूमने के लिए चला गया था।

मोहित की बात सुनकर वह पश्चाताप से भर उठा उसने गुस्से में मोहित की गर्दन पकड़ ली और चिल्लाते हुए बोला” आज मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा मेरी कमजोरी का तूने इतना बड़ा फायदा उठाया कि मेरी चरित्रवान पत्नी को ही मुझसे जुदा कर दिया” उसकी आवाज सुनकर उस वक्त उसके पापा भी वहीं पर आ गए थे

उन्होंने राघवेंद्र के हाथों से मोहित को मुक्त कराया फिर राघवेंद्र को समझाते हुए बोले” जिस पर विश्वास कर कर तूने अपनी पत्नी को खो दिया आज उसी की हत्या कर तू फांसी पर चढ़ना चाहता है इसके कर्मों की सजा इसे पुलिस देगी काश! तू कान का कच्चा ना होता तो आज हमारी बहू हमारे पास होती हमारी बहू चरित्र की सच्ची थी तभी तो अपने ऊपर लगे लांछन को वह बर्दाश्त ना कर सकी” पापा की बात सुनकर राघवेंद्र उनके कंधों पर सर रखकर पश्चाताप की ज्वाला में जलते हुए फूट-फूट कर रोने लगा था।

इस रचना के माध्यम से मैं यही संदेश देना चाहती हूं कि कभी भी किसी की बातों में आकर अपने जीवनसाथी पर संदेह न करें क्योंकि ऐसा करने से एक साथ हंसते खेलते हुए कई जिंदगी बर्बाद हो जाती है जिसकी आपूर्ति कभी नहीं हो पाती पति पत्नी का रिश्ता प्यार की नाजुक डोर से बंधा होता है इसलिए इसे विश्वास से मजबूत करें कोई कितना भी आरोप लगाए अपने जीवन साथी पर कभी भी अविश्वास ना करें तभी दांपत्य जीवन खुशहाल होता है।

बीना शर्मा

 

 

 

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