समझदार हो गए हैं, मेरे बच्चे… – डॉ.विभा कुमरिया शर्मा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : इतनी लाल आंखें ?बेटा क्या हो गया सुबह- सुबह ? मम्मी मैंने आपकी  टिकट कैंसिल करवा दी,  कहते – कहते ह उसके गाल मोटे-  मोटे आंसुओं से भर गए । मेरी टिकट कैंसिल करवा दी , क्यों ? मैंने उससे पूछा  मुझसे पूछे बगैर कैंसिल  करवा दी क्यों ?  वह बिफर  गई और बोली वह सारे के सारे  आपके भाई ** *मी * ने लोग हैं वह  मेरी मां के साथ क्या करेंगे , क्या  नहीं,  मैं उन्हें मौका देना ही नहीं चाहती , कल छोटे मामू ने यह हरकत क थी, आप को  साथ ले जाते हुए उन्हें तकलीफ हो रही थी

मैंने कल भी  टिकट कैंसिल कर दिया था   शाम को फिर  से टिकट बुक करवाया तो अब चीकू ( बड़े मामा का बेटा)  की बातें  सुनने वाली हैं। वह कह रहा था कि बुआ जी से कहना कि पापा की इंतजार एयरपोर्ट पर करने की जरूरत नहीं है,  अगर आपको जाना है तो अपनी  टैक्सी करके एयरपोर्ट से जालंधर पहुंच जाना 

मैंने कहा मामा ने मेरी  मम्मी को सिर पर बैठा कर ले जाना है  क्या ? जो उन्हें मेरी मम्मी भारी पड़ रही है मम्मी हमने अपने पैसों से टिकट खरीदा है,  हमारी फ्लाइट में बुकिंग है तो यह मामा जी को किस बात का बोझ  पड़ रहा है ? कहीं उनके दिमाग में कुछ गलत तो नहीं चल रहा ?  वह सोच रहे हो कि इतनी बड़ी उम्र में शायद नानू मरने वाले हैं,  अगर मर गए तो मम्मी को कुछ दे  कर ना  मर जाएं 

मुझे समझ में आता है दोनों मामा और उनकी नयत के बारे में मम्मी मैं बचपन से  उन दोनों को जानती हूं मैंने इनको देखा है कई-कई घंटे हमारे घर में पड़े रहते थे  भीखमंगों की तरह , तीन -तीन टाइम खाना -खाते थे ,शराब पीते थे , घर में रोज़ रोज पार्टियां होती थीं।   वह कब हमारे घर आ रहे हैं ? कब वह अपने घर जा रहे हैं ?तब उनो नहीं पता चलता था कि किस रिश्ते से हमारे घर में घुसे रहते हैं ? 

उस समय कौन  से रिश्ते से आते -जाते थे  ? कंगालों की तरह हमारे ही घर में दिखते थे हर समय   उस समय हमसे  रिश्तेदारी थी ? उस समय हमने  ठेका लिया हुआ था इन्हें पालने का ? क्या दहेज में इन्हें अपने साथ लाई थी जीवन भर इन्होंने आपका शोषण किया अब नहीं होगा पहले हम ना समझते अब हमें हर बात की समझ आ गई है पापा की मौत के बाद मम्मी इन्होंने जो व्यवहार आपके साथ किया है , क्या हम भूल गए ?

आपने हमें पढ़ाया – लिखाया मेहनत की और आज हम अच्छी नौकरी कर रहे हैं और विदेश में आकर सेट हो गए हैं इनकी छाती पर सांप लट  रहे हैं ? मैंने चीकू को हर – एक बात कह दी और मैंने साफ-साफ कह दिया कि वैसे भी मेरी मां तुम्हारे पिता के साथ अच्छी नहीं लगेगी , क्योंकि लोगों को मामा जी के कपड़े लत्ते , बैठने- उठने और बोलचाल से भी   उनका  स्टैंडर्ड  पता चल जाएगा ।

मामा जी जैसे दिखते हैं वह तो मेरी मां के भाई भी नहीं लगते किसी का कोट मांग कर पहना होगा  किसी की पेंट मांग कर पहन लेंगे ऐसे लोगों को तो रिश्तेदार कहने में भी शर्म आती है जन्म और  किस्मत से गरीब भिखारी हैं। मेरी मम्मी को समझाने की जरूरत नहीं है कि टैक्सी करो या शताब्दी ट्रेन पकड़ो , वह तुम्हारे पापा की दया पर नहीं जीतीं ,बोल देना अपने पापा को।

चीकू ने गुस्से  यह कहते हुए फोन पटक दिया कि तेरे से तो बात करना ही बेकार है , अच्छा हुआ तेरी शादी नहीं हुई,  पता नहीं उसका भी क्या हाल करती मैंने कहा  मेरी शादी हो या ना हो तुझे क्या आज के बाद कभी मेरा नंबर मिलाने की कोशिश  मत करना मम्मी मेरा  मूड खराब है मैं जितना उसको सुना सकती थी मैंने उसको सुना दिया ।

अब उसने मुझसे फोन पर बात की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और अगर आपने उससे बात की तो मैं आपसे बात नहीं करूंगी अगर आपको नानू के पास जाना है जाओ,  मिलो और वापस आ जाओ  इनका क्या भरोसा यह तो खड़े-खड़े आप को धक्का देकर नीचे गिरा देंगे चोट तो आपको लगेगी , ऊपर से कह देंगे पता नहीं चला

मुझे  उन दोनों कंस मामा लोगों पर विश्वास नहीं है । ऐसे स्वार्थी,  नीच लोगों को तो रिश्तेदार कहने में भी शर्म आती है मैंने आपकी टिकट कैंसिल करा दी है, नाम को बुक करवा दूंगी , ताकि  एक  दिन के बाद आप वहां पहुंचे और अगर यह कुछ बोले तो इनको ऐसी ऐसी सुनाना कि बस इसके बाद मुंह खोलने से पहले सौ बार सोचे मेरी बेटी इतनी भावुक हो गई थी   कि वह अपने कमरे में  चली गई और अंदर जाकर उसने दरवाजा बंद कर लिया

मेरे कानों में उसके शब्द गूंज रहे थे ……. हम  टिकट खरीद सकते हैं अपना खर्चा हम खुद कर सकते हैं इन्हें बस साथ चलने में भी तकलीफ है उन्होंने भी तो वहीं जाना है बेशर्म कहीं के बाप मृत्यु शैया पर है और बच्चों को जायदाद की पड़ी है …..  मैंने चीकू से कह दिया कि जाकर अपने बाप से कह देना कि  वह जिंदगी भर हमारे बाप का दिया खाते रहे हैं…… और आज हम को आंखें दिखाने की कोशिश कर रहे …..हैं ……? हम उनका दिया नहीं खाते ……. इसलिए खरी बात करते हैं

  किसी के बाप में हिम्मत नहीं है……. जो मेरी मां को उसके बाप से मिलने के लिए मना करें और अगर मामाजी में हिम्मत है….. तो …..रोक के दिखाएं   रही बात जायदाद की तो हमारे 3  मकान जालंधर में किराए पर चढ़े हैं अगर भी में मकान मांगना है तो मांग लें …….हम भीख भी देते हैं  ……हम दे देंगे हम नानू की जायदाद पर डिपेंड नहीं है ……रही अधिकार बात तो किसके बाप में हिम्मत है कानून के साथ खिलवाड़ करने की ……?

हमारे मां-बाप ने बहुत मेहनत करके बहुत कुछ बनाया हुआ है …….और अपने पापा से यह भी कह देना खबरदार जो हमारा नाम ले लेकर मम्मी को कुछ सुनाया …….अब दिन  बदल गए,  हम चुप बैठने वाले नहीं हैं बेटी की बातें मुझे सुकून दे रही थीं। जीवन का यह पहला मौका था कि मैंने उसे रोका नहीं। 

मेरे मन में  अपने बूढ़े पिता से मिलने की ललक थी , वह मृत्यु शैया पर हैं और बार-बार मेरा नाम लेकर मुझे याद कर रहे हैं ऐसा मुझे मेरी बहन ने फोन करके बताया थ , मन में  पिताजी से मिलने की तड़प  थी।  दूसरी तरफ  मन में संतोष था कि मेरे बच्चे निष्पक्ष बात करने  लगे हैं ।जो , जब ,   जैसे कहना चाहिए ,  उसने कहा दिया।

खरीखोटी सुनाई बहुत  अच्छा किया । मुझे अपनी मां की मृत्यु के बाद मात्र दस साल की उम्र से घर को मां की तरह संभालाना पड़ा था , सिर्फ़  इस डर से कि भाई और पिताजी मुझसे स्कूल नहीं छुड़वाएंगे , मेरा बचपन इन्होंने खराब किया और शादी के बाद मेरे ससुराल में इनका बेधड़क आना- जाना आज समझ में आता है  

िवा स्वार्थ के इन्होंने किया ही क्या है ? आज मेरी  बेटी ने सारे बदले ले लिए मेरे सामने देवी मां की तस्वीर थी एकाएक मेरे हाथ उनके सामने जुड़ गए मैंने आदर पूर्वक सिर झुकाया और मुझे लगा कि मेरी बेटी ने तो मेरे बचपन से लेकर आज तक का एक ही बार में बदला ले लिया। जरुरत थी उन्हें  उनकी असलियत बताने की खरीखोटी ही सही उन्हें उनकी औकात बताने की  

द्वारा -ड.विभा कुमरिया शर्मा।

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