सफ़र मुहब्बत का (भाग -20) : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा….

सब कंपनी जाने के बाद रस्तोगी जी के घर आ जाते है….गौरव और अनुराधा के बीच जो गेम हुआ उसमें अनुराधा बातों ही बातों में इज़हार कर देती है…

अब आगे….

गौरव और अनुराधा एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे….. कणिका अपना गला साफ करते हुए कहती है…. हम सब है यहाँ कहो तो चले जाएं . …तब तुम लोग आराम से बैठ कर एक दूसरे की आँखों में देखते रहना…

उसकी इस बात पर अनुराधा अपनी नज़रें झुका ली…गौरव भी थोड़ा पीछे हो  गया और बोला …. चले ही जाना चाहिए था ना रुके क्यों ….. ??

राहुल ने कहा देखा – देखा कितनी जल्दी दोस्तों को भूल गया… अभी तो सिर्फ इज़हार किया है वो भी code word मे… अभी से हमें जाने को बोल रहा है…

हाँ तो ठीक ही तो है… अकेला छोड़ो हमको तभी तो कुछ बात करेंगे.गौरव ने कहा

अनुराधा गौरव की इस बात पर मन में सोचने लगी…. देखो ज़रा वैसे तो कितने शरीफ़ बनते है और अब सबसे जाने को बोल रहे है…….

लो ये अकेले रहने की बात कर रहे हैं… जबकि अनुराधा इनके ही घर में रहती है… मीरा बोली

घर में रहने में और पास में रहने में फर्क होता है …वो तुम्हें अभी समझ नहीं आयेगा …. गौरव ने कहा

अनुराधा इन सभी की बातों को सुनकर बस नीचे देखे जा रही थी…. उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करे….

ये सब बातें तुम करते रहना अकेले में…

तभी एक नौकर ने आ कर कणिका को बोला….. दीदी बुलाया है आप सब को

आ रहे है कह कर कणिका ने सबको चलने के लिए बोला

सब वापस हॉल में आ गए…. वहाँ खाना लग चुका था….. गौरव जिसका मूड सुबह से ठीक नहीं था अब खुश लग रहा था..

शांति जी ने ये बात नोटिस कर ली…

अनुराधा जब भी गौरव की तरफ देखती तो उसे अपनी तरफ ही देखता हुआ पाती….. अब उसे थोड़ा सा गुस्सा आने लगा था..

खाना खा सब वापस जाने के लिए उठे तो कणिका बोली..पापा हम लोग थोड़ी देर के लिए long drive पर जाएं….

लेकिन अनुराधा अभी ठीक नही है… और सुबह से थक भी गयी होगी उसको rest की ज़रूरत है….. शांति जी ने कहा

दीनदयाल जी ने कहा….. अरे जाने दें ना आप आ जायेंगे थोड़ी देर में…जाओ बच्चों लेकिन जल्दी आ जाना

थैंक्स यू बाबा कह कर सब बाहर आ गए..

राहुल ने मीरा से कहा कणिका का दिमाग़ खूब चलता है इन सब बातों में..

हाँ…. देख रही हूँ मैं बड़ी तरीफ़े हो रही हैं कणिका की कहीं तुम्हें वो पसंद तो नहीं आ गयी … मीरा ने कहा

अरे….इसमें पसंद आने वाली क्या बात है

.. उसने किया ही ऐसा हमने क्यों नहीं सोचा तो तारीफ़ करनी तो बनती है… राहुल ने कहा

मीरा उसकी इस बात पर उसे मुस्कुराते हुए देख रही थी

क्या?? राहुल ने कहा

कुछ नहीं…..

चलो सब अब यहीं खड़े रहोगे ..कणिका ने कहा

सब बाहर आ गए….कणिका ने अपनी गाड़ी निकली…….

राहुल ने कहा तुम करोगी drive?

कणिका ने उसे चाबी देते हुए कहा जी नही

Drive आप करे … Driver साहब और हँस दी मैं अभी आयी तब तक आप सब adjust हो

राहुल ने मुस्कुराते हुए चाबी ली और driving seat पर बैठ गया मीरा ने  गाड़ी का दरवाज़ा खोला और किनारे वाली seat पर बैठ गयी….उसने अनुराधा को बैठने के लिए बोला स्मिता पीछे वाली seat पर बैठ गयी… गौरव अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था तब तक सब बैठ चुके थी राहुल ने उसे आवाज़ दी… गौरव ..

गौरव ने उसकी तरफ देखा और बोला… हाँ

अरे बैठो ना तुम क्या कर रहे हो..

हाँ आ रहा हूँ कह कर वो अपने बैठने के लिए जगह देखने लगा….. तभी कणिका ने आते हुए कहा मैं बैठूँगी आगे तुम पीछे बैठो…..गौरव मुस्कुराते हुए अनुराधा के पास बैठ गया …. राहुल ने कणिका को देखा और आँखों ही आँखों में उसकी तारीफ़ की….. मीरा ने राहुल को एक हाथ मारा और बोली

चलो ….

राहुल ने गाड़ी स्टार्ट की और रोड पर दौड़ा दी

अनुराधा गौरव के इतने पास कभी नही बैठी थी… वो अपने में ही सिमटी जा रही थी ….बाकी सब बहुत खुश थे सब उनके plan के मुताबिक चल रहा था …

सब एक दूसरे से बातें करते हुए चले जा रहे थे…. बस अनुराधा ही थी जो कुछ नही बोल रही थी…

मीरा ने अनुराधा से कहा.. क्या हुआ अनुराधा तुम कुछ बोल नहीं रही हो.. कुछ परेशानी है??

नही.. अनुराधा ने धीरे से कहा

अगर ठीक नहीं लग रहा तो बताओ हम रोक देंगे गाड़ी..

नहीं ऐसी कोई बात नहीं ….

गौरव ने कहा… शायद मेरे साथ बैठने में इनको परेशानी हो रही है… गाड़ी रोको राहुल.. गौरव की आवाज़ में गुस्सा था

राहुल ने कणिका की तरफ देखा… कणिका ने मीरा की तरफ…..

क्या सुनाई नही दिया क्या एक दूसरे की तरफ देख रहे हो रोको गाड़ी  …..गौरव ने कहा

राहुल ने गाड़ी रोकी….. गौरव बाहर आया और उसने कणिका को पीछे बैठने को कहा…… गौरव के गुस्से से सब वाक़िफ़ थे…. कणिका उतर कर पीछे बैठ गयी…. गौरव आगे बैठा और उसने राहुल से कहा वापस चलो …..

राहुल ने देखा गौरव का गुस्सा बढ़ रहा है.. उसने कुछ ना बोलना ही ठीक समझा… इस वक़्त सब चुप थे …. एक सन्नाटा सा हो गया गाड़ी में…

कुछ देर में गाड़ी वापस कणिका के घर के सामने खड़ी थी…. गौरव ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला आवाज़ दी किशन गाड़ी निकालो…..

सब लोग गाड़ी से उतर गए…. किसी की कुछ बोलने की हिम्मत नही हो रही थी….

किशन ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और गौरव उसमें बैठ गया…..

राहुल ने अनुराधा को गौरव की गाड़ी में बैठने को कहा .. अनुराधा सिर नीचे कर के गाड़ी में बैठ गयी..

गौरव ने किसी की तरफ नही देखा… उसने  किशन से कहा चलो या अब चलने के लिए भी महूरत निकालना होगा….. किशन ने जी कहा और गाड़ी स्टार्ट कर दी

राहुल ने गाड़ी की तरफ देखा और मन में बोला… अब ये क्या करेगा पता नहीं..

कणिका ने कहा… इतना गुस्सा गौरव को कैसे आ गया?

पता नहीं ….. चलो हम लोग भी चलते है

ह्म्म्म कह कर सब चले गए

भरद्वाज मेंशन पहुँच कर गौरव अनुराधा का  हाथ पकड़ कर उसके  रूम मे ले जाकर दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया

अनुराधा ने हैरानी से उसे देखा  और कहा  है…. सर आप ये क्या कर रहे है कोई आ जायेगा ??

गौरव उसकी बातों को अनसुना कर अनुराधा को वहाँ रखी हुयी चेयर पर बैठता  है….और खुद एक और चेयर लेकर उसके सामने बैठ जाता है…

गौरव ने उसका हाथ अपने हाथ में ले कर कहा … किस तरह मैं आपको बताऊँ कि मैं आपसे कितना प्यार करता हूँ… मैं जो कर सकता था मैंने सब किया…मैं कैसे आपको विश्वास दिलाऊँ कि मैं जो कह रहा हूँ सच है….. किस बात से डरती हो आप और क्यों?

ये हमदर्दी है सर…… आपको लगता है ये प्यार है… लेकिन ऐसा नहीं है

आपको क्यों ऐसा लगता है कि ये हमदर्दी है? आप क्यों इस एक शब्द को लेकर मेरे प्यार को सिर्फ एक हमदर्दी का नाम दे रहीं है

क्योंकि यही सच है……

कैसे पता आपको कि ये ही सच है…. और क्यों मुझे आपसे प्यार नही हो सकता…. बताएं?

मुझे नही पता….

जब पता ही नहीं तो ये बोल क्यों रहीं हैं आप?

अनुराधा गौरव की इस बात पर सिर को नीचे कर लिया

गौरव अपनी जगह से उठा और  दरवाज़े की तरफ जाते हुए बोला… ठीक है अगर आपका यही फैसला है तो मैं अब कुछ नहीं कहूँगा आप आज़ाद है….

कह कर गौरव दरवाज़े से बाहर चला गया…..

अगले दिन गौरव रोज़ की तरह ऑफिस जाने के लिए रेडी हो कर नीचे आया…. उसने शांति जी को मन्दिर से बाहर आते हुए देखा वो मुस्कुराया और जा कर उनको गले लगाते हुए बोला…… Good morning डार्लिंग… शांति जी ने भी good morning बोला dining table पर  दीनदयाल जी के पास वाली चेयर पर बैठ गया…

अनुराधा भी सबके साथ ही dining table पर आ गयी थी उसने सबको good morning की

गौरव ने उसकी तरफ देखा और पूछा…कैसी है आप?

अनुराधा ने  हैरानी सी उसकी तरफ देखा और बोली – जी ठीक हूँ

शांति जी ने दोनो को देखा और मन में सोचा कुछ तो हुआ है इन दोनो के बीच…

गौरव ने नाश्ता किया…. दीनदयाल जी और शांति जी के पैर छुए और अनुराधा को बाय की…किशन ने उसे आते देखा तो वो बाहर की तरफ गाड़ी निकालने जाने लगा

अनुराधा उसे जाते हुए देख रही थी और थोड़ा सा परेशान भी थी…. रात को इतना कुछ हुआ और सर इतने normal कैसे है? उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था

समझ में तो शांति जी को भी नहीं आ रहा  था

सुबह से शाम हो गयी अनुराधा का सारा दिन यहीं सोचने में निकल गया कि गौरव इतना कैसे बदल गया ..

कुछ दिन में सब normal हो गया वही रूटीन जो पहले गौरव और बाक़ी सब का था…

अनुराधा अब काफ़ी ठीक थी और वापस अपनि ड्यूटी  जॉइन करने के और अपने घर जाने के बारे में सोच रही थी….

शांति जी ये सब समझ नहीं पा रही थी …उन्हें गौरव का ऐसे शांत होना समझ नही आ रहा था…उधर राहुल, मीरा और कणिका भी इसी सोच में थे और परेशान भी… कि पता नही गौरव के दिमाग़ में चल क्या रहा है…

रात को गौरव जब घर आया तो अनुराधा ने उस से कहा… सर मैं अब ठीक हूँ और ड्यूटी जॉइन करना करना चाहती हुँ…

शांति जी ने और दीनदयाल जी ने ने मना किया लेकिन गौरव ने उन्हें रोक दिया

गौरव ने उसकी तरफ देखा और बोला… Good…ठीक है आप जॉइन कर सकती है नो प्रॉब्लम

तो कल सुबह मिलते है… Good Night …. कह कर गौरव ऊपर अपने कमरे में चला गया

अनुराधा ने सोचा  था कि गौरव उसका हाल पूछेगा और मना करेगा… लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ…… बुझे मन से अनुराधा अपने रूम में गयी और दीवार से लग कर खड़ी हो गयी….. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे….. थोड़ी देर में वो शांत हुयी और मुह धो कर अपने बेड पर लेट गयी….

गौरव अपने कमरे में आया उसने चेंज किया…कुछ सोचा अपने फोन में एक msg type किया…..और सो गया

अगले दिन अनुराधा गौरव के साथ ऑफिस जाने के लिए रेडी

थी….गौरव ने एक नज़र उसे देखा और बाहर जा कर गाड़ी में बैठ गया आज गाड़ी किशन की जगह डेविड ले कर जाने वाला था…

अनुराधा आगे सीट पर बैठ गयी और गौरव पीछे… रास्ते में अनुराधा ने mirror से कई बार गौरव की तरफ देखा लेकिन गौरव अपने tab में उसे busy दिखा |

ऑफिस पहुँच कर रीना ने अनुराधा को देखा तो वो काफी खुश हुयी और उसकी तबियत के बारे में पूछा

शाम को गौरव के साथ अनुराधा घर आ  गयी… गौरव ने उस से काम के अलावा कोई बात नही की…

दो दिन बाद सुबह जब गौरव ऑफिस जाने के लिए रेडी हो कर नीचे आया तो उसने देखा डेविड नही है…

उसने डेविड को आवाज़ दी… अनुराधा ने बताया कि डेविड की तबियत ठीक नही है और शांति जी ने बताया कि किशन आज अपनी माँ को लेकर डॉक्टर के घर जाने वाला है… तो आज उसे अनुराधा के साथ जाना होगा

गौरव ने ठीक है कहा और गाड़ी में आ कर बैठ गया अनुराधा ने गाड़ी स्टार्ट की और ऑफिस की तरफ ले जाने लगी…

शाम को अनुराधा ने गौरव से कहा सर मैं पार्किंग में से गाड़ी ले कर आपको लेने के लिए आती हूँ..

गौरव ने हाँ कहा….. और अनुराधा गाड़ी लेने चली गयी…. उसने गाड़ी नीचे लगायी और गाड़ी, से उतरी तो उसने देखा उसके फोन में गौरव का msg था…. आप टेरेस पर आ जाए मैं यहीं हूँ…

अनुराधा ने ok लिखा और लिफ्ट से टेरेस पर पहुँच गयी….

उसने टेरेस का दरवाज़ा खोला वहाँ हल्की रोशनी थी उसने आवाज़ लगायी …सर चलिए

कोई आवाज़ नहीं आयी…. वो थोड़ा और आगे बढ़ी उसने फिर आवाज़ लगायी …सर

उसके आगे बढ़ते ही टेरेस का दरवाज़ा बंद हो गया अनुराधा ने पीछे मुड़ कर देखा और  दरवाज़ा खोलने की कोशिश करने लगी…. लेकिन वो लॉक था…

उसने कुछ सोच कर कहा …सर क्या कर रहे है आप ? और कहाँ है आप?

मैं यहाँ हूँ… दूसरी तरफ से आवाज़ आयी..

अनुराधा ने देखा तो गौरव टेरेस की दीवार पर चढ़ कर खड़ा हुआ था….

अनुराधा ने हैरानी से उसे देखा और बोली सर आप यहाँ क्या कर रहे है? चलिए उतरिए यहाँ से

गौरव उसी दीवार पर आगे की तरफ बढ़ने लगा.,..

अनुराधा गौरव के थोड़ा पास गयी उसने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाया और बोली सर please उतरिए यहाँ से गिर जाएंगे आप

तो क्या होगा ??

सर कैसी बातें कर रहें हैं ..गिर कर क्या होगा आपको पता नहीं है

जी कर भी क्या करूँ….

मतलब??

आपकी दादी, बाबा हैं आपके दोस्त है… आप से कितना प्यार करते है

और आप ??

सर चलिए उतरिए यहाँ से please…

गौरव से एक कदम और बढ़ाया और बोला….. आप नहीं करती ना मुझसे प्यार आपको कोई लगाव नहीं मुझसे

सर आप नीचे आ जाइए हम आराम से बात करते है

की थी ना बात आराम से  लेकिन आपने तो मेरे प्यार को हमदर्दी समझ लिया …तो अब क्या करूँ मै??

सर नीचे आइये please…. सर

अब क्या आऊँ मैं…. मैं जा रहा हूँ.. गौरव ने इतना कह कर अपना एक पैर आगे की तरफ बढ़ाया

गौरव …… अनुराधा ज़ोर से बोली

गौरव ने उसकी तरफ देखा और नीचे कूद गया

अनुराधा दीवार की तरफ गौरव कहते हुए गयी….. और नीचे देखने लगी उसे गौरव कहीं दिखायी नहीं दिया

गौरव….. गौरव उसने तेज़ तेज़ पुकारा और रोने लगी….. गौरव माफ कर दो please….. बहुत प्यार करती हूँ मैं आपसे बस कह नहीं पा रहीं थी…. गौरव गौरव कहाँ हो आप…. अनुराधा इधर उधर दीवार के नीचे देख रही थी उसकी आँखों से आँसू बहे जा रहे थे….. आप ऐसा नहीं कर सकते गौरव मैं क्या जवाब दूँगी दादी को बाबा को… वो मुझे कभी माफ नहीं करेंगे

गौरव गौरव वो पूरी ताकत से चल्लायी…..

उसने कुछ सोचा उसे एक लकड़ी का स्टूल जैसा दिखायी दिया….. वो गयी और दीवार से सटा कर उसे खड़ा कर दिया…. वो रोते रोते बोली जब आप ही नही तो मैं क्या करूँगी जी कर… कहते हुए उसने एक पैर अपना स्टूल पर रखा और चढ़ने लग  उसका balance बिगड़ा और वो पीछे गिरने को हुयी तो उसको किसी ने पकड़ लिया वो वैसे ही रोते हुए बोली जाने दो मुझे छोड़ो…. छोड़ो

आप चलीं गयी तो मुझे protect कौन करेगा…. अनुराधा ने पलट कर देखा गौरव उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था…. तभी तालियों की आवाज़ से पूरा टेरेस गूँज उठा lights जली अनुराधा ने चारों तरफ देखा तो सब खड़े थे….

राहुल, मीरा, कणिका, स्मिता, डेविड, किशन…

सबके चेहरे पर खुशी थी

अनुराधा ने गौरव की तरफ देखा और गुस्से में कुछ बोलने को हुयी तो गौरव ने अपने होंठों उसके होंठों पर रख दिए…. अनुराधा  अपनी बड़ी – बड़ी आँखों से उसे देखे जा रही थी….

राहुल ने कहा…. अरे भाई बाक़ी मुहब्बत तुम बाद में कर लेना पहले दादी, बाबा को बता दो उनका कई बार फोन आ गया..

सब खिलखिला कर हँस दिए

गौरव ने अनुराधा को गले से लगा लिया… अनुराधा ने भी गौरव को कस के पकड़ा हुआ था

गौरव और अनुराधा को अपने मुहब्बत भरे सफ़र की मंज़िल मिल गयी थी

अनुराधा और गौरव की शादी  रीति रीवाज़ों के साथ बहुत धूम – धाम से हुयी…

एक साल बाद नन्हें कदमों की आहट भरद्वाज मेंशन में सुनायी दी… अनुराधा की प्रेग्नेनसी का लास्ट month था… गौरव ऑफिस जा चुका था…

शांति जी गुलाबो के साथ मिल कर लड्डू बना रही थी….. दीनदयाल जी बाहर ही सोफे पर बैठे हुए थे…. अचानक अनुराधा को pain होने लगा उसने गुलाबो को आवाज़ लगायी…. गुलाबो के साथ शांति जी किचन से बाहर आयी उन्होंने अनुराधा को देखा तो डेविड से गाड़ी निकालने को बोला…. दीनदयाल जी ने गौरव को फोन किया…… सब लोग हॉस्पिटल पहुँचे…. स्मिता भी आ गयी थी डॉक्टर ने बताया सब normal है….

थोड़ी देर बाद खुशखबरी मिली डॉक्टर ने बताया बेटी हुयी है….. गौरव ने ये सुना तो शांति जी के गले लग गया उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे…

अनुराधा को रूम में shift किया सब उसके पास थे… गौरव ने उसके माथे को चूमा और भीगी हुयी आँखों से थैंक्स बोला अनुराधा की आँखों में भी आँसू आ गए वो मुस्कुरा रही थी…

समाप्त

आप सभी पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया अपने मेरी कहानी को पसंद किया और  इतना प्यार .दिया …..इतने प्यारे -प्यारे comments करने के लिए….इस हौसला अफ़ज़ाही का शुक्रिया

भाग – 18 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -18) : Moral Stories in Hindi

 

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

©®

 

1 thought on “सफ़र मुहब्बत का (भाग -20) : Moral Stories in Hindi”

  1. Kahani bhut hi pyari🥰 aur acchi thi🤗…. Pr aapne itne din baad kyu daala iss part ko mai kbse intezaar kr rhi thi….

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