रुकमणी – उषा शर्मा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : रुक्मणी की शादी बालपन में ही हो गई थी हंसने खेलने की उम्र में उसके नाजुक कंधों पर घर गृहस्ती की जिम्मेदारियां आ गई 

रुकमणी के पति पहले गांव में ही घर घर जाकर सबके हजामत बनाया करते फिर उन्होंने शहर में अपना काम शुरू कर दिया , तो उन्होंने सोचा कि अपनी पत्नी को भी शहर में ही लेकर चलूं  , वहां पर काम अच्छा चल रहा है वहीं पर किराए के मकान में आराम से रहेंगे ।

दोनों लोग गांव छोड़कर शहर में एक किराए के मकान में रहने लग गए

दिन बीते रुक्मणी को पहली बेटी हुई

अपने पति की कमाई के अनुसार बच्चे की परवरिश ढंग से करने लगे धीरे-धीरे उसके 3 बच्चे और हो जाते हैं ।

रुकमणी दो बेटी और दो बेटों की मां बन जाती है बच्चों को सरकारी स्कूल में एडमिशन करा देते हैं पढ़ लिख कर अपनी जिंदगी आराम से काट सकें सभी मां बाप अपने बच्चों के लिए अच्छे से अच्छा करने की सोचते हैं , चाहे उनके पास खाने के लिए पैसे हो या ना हो लेकिन बच्चों के मामले में कभी कंजूसी नहीं करते ।

अब रुकमणी ने सोचा कि मैं भी छोटा-मोटा काम कर लूं तो शायद पैसों की तंगी ना रहे यही सोच कर घर-घर में झाड़ू पोंछा करने का काम शुरू कर देती है ।

बच्चों को स्कूल भेजकर खुद बड़े-बड़े लोगों के यहां काम करने के लिए चली जाती तो बड़े लोग अपने घर से बचा हुआ खाना रुक्मणी को दे देते जिससे उसका परिवार आराम से चलता रहा ।

बच्चे बड़े होते हैं दोनों बेटियों की भी शादी एक साथ ही कर देते हैं  ,दोनों अपने ससुराल चली जाती है 

 बड़ा बेटा गलत आदतों में पड़ गया  दोस्तों के साथ मिलकर शराब के नशे में डूबता चला गया मां बाप उसे समझाते तो वह उल्टा ही उन लोगों को सुनाने लगता ।

एक समय ऐसा आया सुबह से लेकर शाम तक शराब के नशे में डूबा ही रहता ।

कभी मां से लड़ झगड़ कर पैसे ले जाता तो कभी चुरा कर ले जाता इन्हीं आदतों से उसकी शादी नहीं हुई छोटे वाले बेटे ने लव मैरिज कर ली लड़की वालों ने बहुत दिनों तक केस चलाया   पुलिस घर पर आई लड़के को पकड़ कर ले गई एक दो दिन जेल में बंद रहा 

फिर मामला शांत हो गया

छोटे बेटे की पत्नी को कुछ महीने बाद लड़की होती है  एक दिन रुक्मिणी के पति को जब हार्ट अटैक आया, तब वो काम पर थे, छोटे बेटे के पास ख़बर आई 

 हॉस्पिटल में भर्ती कराने छोटा बेटा ही लेकर जाता है छोटे बेटे के कंधे पर सिर रखकर रुकमणी के पति उससे कुछ बातें करते हैं थोड़ी देर बातें की और फिर उनको बहुत तेज सीने में दर्द होता और वह चल बसे  ।

डॉक्टर के पास तो पहुंच ही नहीं पाए रास्ते में ही उनके प्राण निकल गए 

बेटा अपने पिता को घर लेकर आ जाता है

उनका क्रिया कर्म किया जाता है उनकी आत्मा की शांति के लिए जो भी पूजा पाठ होता है सब कुछ रुकमणी अपने बलबूते पर करवाती है । क्योंकि बड़ा बेटा तो कुछ कमाता नहीं था और छोटा बेटा अपना घर चलाने के लिए छोटा-मोटा काम करता है 

बाप को मरे हुए 2 महीने भी नहीं बीते होंगे कि छोटे वाले लड़के ने अभी शराब पीना , जुआ खेलना , सट्टा लगाना चोरी करना , ना जाने कौन-कौन से गलत काम शुरू कर दिए अब तो रुकमणी का जीना दुश्वार हो गया बड़ा बेटा तो पहले से ही बिगड़ा था लेकिन छोटा बेटा उससे भी ज्यादा बिगड़ गया है जिस घर में रुकमणी किराए पर रहती थी और उस घर के मकान मालिक दूसरे शहर में रहा करते थे 1 साल बाद किराया लेने आते ।

लेकिन जब छोटा बेटा हद से ज्यादा बिगड़ने लगा तो किसी मोहल्ले वाले ने उसकी शिकायत मकान मालिक से कर दी

जिससे मकान मालिक ने अपना घर बेच दिया, और  रुक्मणी को घर खाली करने का आदेश दे दिया ।

जिस घर को वह है 25 साल से संभालती आ रही थी जिस घर के आंगन में उसने तरह-तरह के पेड़ पौधे लगाए कहीं पर तुलसी जी , तो कहीं नींबू का पेड़ ,किसी कोने में पपीता का पेड़  आज वह उस” घर आंगन ” छोड़कर रुकमणी हमेशा हमेशा के लिए जा रही है

ट्रक में सामान भर गया है और रुक्मणी रोते हुए इस

 ” घर आंगन ”  निहारते हुए जा रही है 

जय श्री राधे कृष्णा दोस्तों 

स्वरचित,,,,, उषा शर्मा

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