विनोद अपने घर में सबसे बड़ा था. और वही अकेला अपने घर में कमाने वाला भी था आज वह जहां पर नौकरी करता था महीने की आखिरी दिन था और तनख्वाह मिलने का भी दिन था. सुबह घर से निकलते ही उसने अपने घर की पूरी लिस्ट बनाकर रखा हुआ था कि घर के लिए क्या क्या सामान खरीद के ले जाना है और घर के सदस्यों की महीने भर की जरूरतें भी अपनी लिस्ट में लिख रखा था. शाम हुआ और छुट्टी के समय उसे तनख्वाह मिली जो कि ज्यादा नहीं था क्योंकि वह ऑफिस में एक मामूली डाटा ऑपरेटर की नौकरी करता था जिसकी तनख्वाह मात्र 14000 थी।
तनख्वाह मिलते ही विनोद ने उन पैसों का हिसाब किताब लगाना शुरू कर दिया उसने उसने से ₹3000 घर के किराए के लिए निकाल दिया था बाकी बचे ₹11000 में दे ₹2000 राशन वाले की उधारी के लिए निकाल लिया।
बाकी बचे पैसों में से अपने भाई बहन के कपड़े अपने बच्चों के कपड़े अपने मां पिताजी के लिए दवाई और कुछ घर का सामान बाकी सब खरीदने के बाद उसे के पास सिर्फ ₹5000 बचे थे।
महीने के आखिरी दिन का उसके घर वाले भी बेसब्री से इंतजार करते थे कि विनोद की तनख्वाह मिलेगी तो सबकी जरूरतों का सामान आज आ जाएगा। जैसे ही विनोद घर पहुंचा और दरवाजे पर आवाज लगाई घरवाले दौड़कर दरवाजा खोलें। ऐसा रोज नहीं होता था क्योंकि रोज तो वह खाली हाथ आता था लेकिन महीने के आखिरी दिन सबको पता था कि विनोद आज सबके लिए कुछ न कुछ लाया होगा।
घर के अंदर प्रवेश करते ही विनोद ने सब का सामान सब के हाथों में पकड़ आते हुए अपने कमरे में चला गया और वहां पर अपनी बीवी रेनू के लिए एक सुंदर सा सलवार सूट खरीद कर लाया था और उसे बोला कि पहनकर ट्राई करो तुम पर बहुत ही जचेंगा। लेकिन जैसे ही सुट रेनू को पकड़ाया रेनू ने उसे फेंक दिया और बोली कि तुम्हारी अगर हरकतें ऐसे ही रहे तो एक दिन हम रोड पर आ जाएंगे हर महीने इतना खर्चा करने की क्या जरूरत है। कभी सेविंग के लिए सोचते हो कि कल को बच्चे बड़े होंगे तो उनको खर्चे बढ़ जाएंगे और तुम्हारी कमाई तो बढ़ेगी नहीं फिर कैसे करोगे बड़े होने पर बिटिया की शादी भी करनी है तुम को तो पता ही है कि शादी में कितना खर्चा आता है और फिर अभी तुम्हारी बहन भी है भाई भी है जिसकी शादी करनी है तुम्हें तो इन सब चीजों से मतलब ही नहीं बस तनख्वाह आया नहीं कि बस पैसा सारा उड़ा दो और महीने के 20 दिन भी नहीं बीतते हैं जो पैसे तुम मुझे रखने को देते हो यह पैसे भी खत्म कर देते हो।
विनोद बोला भाग्यवान तुम भी कितना सोचती हो जो होना है वह तो सब हो जाएगा अभी सब खुश है ना बस यही चाहता हूं आखिर में किसके लिए कमाता हूं अपने भाई बहन माता पिता और बेटे बेटियों के लिए ही तो कमाता हूं। रेनू ने कहा ठीक है कमाते हो तो लेकिन कुछ पैसा सेविंग करना भी जरूरी होता है।
विनोद रेनू की एक बात भी नहीं सुनता था इस वजह से रेनू हमेशा विनोद से नाराज रहती थी क्योंकि उसे अपने बच्चों की फिकर था कि बड़े होंगे तो उनका देखभाल कैसे होगा अगर विनोद का ऐसे ही हाल रहा तो बहुत दिक्कत हो जाएगा लेकिन विनोद किसी की सुने तब तो।
अगले महीने विनोद के भाई और बहन का एक साथ ही दोनों की शादी थी इस वजह से विनोद अब ऑफिस में ओवरटाइम भी करना शुरू कर दिया था क्योंकि सेविंग तो उसने कुछ भी किया नहीं था क्योंकि जितना भी तनख्वाह मिलता था वह उसी महीने खर्च कर देता था. जैसे तैसे करके विनोद ने शादी तो निपटा ही दिया था.
एक दिन शाम हो गई थी विनोद अभी तक घर नहीं लौटा था घर के सारे सदस्य परेशान थे क्या हो गया भैया तो 7:00 बजे तक घर पर आ जाते हैं अभी तक क्यों नहीं आए विनोद का भाई अपनी भाभी से पूछ रहा था। ऑफिस भी उन्होंने फोन लगाया तो पता चला कि विनोद तो 6:00 बजे ही ऑफिस से निकल चुका है। विनोद का फोन भी नहीं लग रहा था।
तभी अचानक से एक कॉल आया और उससे पूछा गया कि क्या आप लोग विनोद के फैमिली से बोल रहे हैं जवाब दिया गया हां बताइए क्या बात है जल्दी से आप सिटी हॉस्पिटल पहुंच जाइए विनोद का बहुत ही बड़ा एक्सीडेंट हो गया है सब दौड़कर हॉस्पिटल पहुंचे। जैसे ही वह काउंटर पर पहुंचे उन्होंने पूछा कि यहां पर विनोद नाम का कोई एक्सीडेंट पेशंट आया है क्या। बताया गया कि जी आए तो थे बट सॉरी हम उन्हें बचा नहीं सके क्योंकि सर पर चोट काफी गहरा था।
यह बात सुनकर सब रोने लगे और विनोद की पत्नी को यह बात याद आने लगी कि वह हर महीने कहती थी कि तुम अपना एक हेलमेट क्यों नहीं खरीद लेते हो वह हर बार यही कह कर टाल देता अगले महीने खरीद लूंगा क्या हो गया पास से तो आना है। आज अगर शायद विनोद हेलमेट पहना होता तो उसके सर में इतने तेज से चोट नहीं आती और शायद उसकी जान नहीं जाती खैर आनन-फानन में हॉस्पिटल से विनोद की लाश को ले जाकर सही से दाह संस्कार किया गया।
अब घर में वीरानी छा गई थी क्योंकि घर में एक यही कमाने वाला था और आय का दूसरा स्रोत भी नहीं था जिससे घर वालों को खर्चा चले सब यही सोच कर परेशान थे कि अब करे तो क्या करें।
विनोद के छोटे भाई ने फैसला किया कि अब वह काम करेगा क्योंकि इतना बड़ा परिवार है खर्चा कैसे चलेगा। शुरुआत के एक-दो महीने तो सब कुछ ठीक रहा किसी भी चीज की कमी नहीं रही लेकिन कुछ दिनों के बाद ही विनोद के भाई अनूप की पत्नी अनूप की कान भरने लगी कि तुम कमाओगे और सारे लोग बैठकर खाएंगे क्या? ऐसा कब तक चलेगा।
अनूप की पत्नी अक्सर अपनी जेठानी को ताने देते रहती थी। लोगों को शर्म भी नहीं आता है दूसरों के कमाई खाते हुए यह ना कि कुछ काम ही कर ले क्या औरतें काम नहीं करती है क्या। विनोद की मां कई बार अपनी छोटी बहू को समझा चुकी थी बहू विनोद जिंदा था तो सबको वही कमाकर खिलाता था और तुम्हारा पति 2 महीने क्या खिला दिया तुम तो सबको ताने हीं मारने लगी।
अनूप की पत्नी जवाब में कह दी मां जी तभी तो आज उनके परिवार और हम सब का बुरा हाल है सेविंग के नाम पर घर में जीरो है एक रुपए भी बैंक में बैलेंस नहीं था और मैं नहीं चाहती कि मैं मेरे आनेवाले फ्यूचर भी ऐसा ही हो कल को मेरे बच्चे पैदा होंगे और उन्हें दर दर की ठोकरें खाना पड़े। मै ऐसा नहीं चाहती।
अगले महीने विनोद के बच्चों की स्कूल की फीस भरनी थी विनोद की वाइफ ने अपने देवर से इस बात की चर्चा की तो अनूप की वाइफ ने बीच में ही टोक दिया भाभी अगर आपके पास पैसा नहीं है तो जरूरी थोड़ी है कि आप अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाए। सरकारी स्कूल में बच्चे नहीं पढ़ते हैं क्या हम भी सरकारी स्कूल में पढ़े हैं आप भी सरकारी स्कूल में पढ़ी हैं तो क्या हम टैलेंटेड नहीं है।
विनोद की वाइफ उनका मतलब समझ चुकी थी और बस उसने बोला हाँ हाँ सही कह रही हो छोटी बहू मैं कल से ही बच्चों का नाम कटवा कर सरकारी स्कूल में एडमिशन करवा दूंगी।
धीरे-धीरे अनूप की वाइफ ने घर पर पूरा कंट्रोल कर लिया था। अब तो घर में खाने के भी लाले पड़ने लगे थे जब देखो किचन खाली ही रहता था कभी चावल नहीं है तो कभी सब्जी नहीं है तो कभी दाल नहीं है। विनोद की वाइफ ने बोलना भी छोड़ दिया था क्योंकि जब भी बोलने जाती तो यही जवाब मिलता कि आप कमाती क्यों नहीं है कब तक आप किसी और के भरोसे पर रहेंगी।
1 दिन सुबह सुबह ही अनूप और अनूप की वाइफ यह घर छोड़कर जाने लगे एक्चुअली उसने इसी मोहल्ले में ही एक दूसरा घर किराए पर ले लिया था और उन्होंने अपने सास-ससुर से भी बोला मां जी और बाबू जी अगर आप लोगों को हमारे साथ चलना है तो आप चल सकते हैं बाकी आपकी मर्जी है।
अनूप की माँ बोली की जाओ तुम्हें जहां जाना हो हम तुम्हारे साथ नहीं जाएंगे हम अपने घर में ही रहेंगे और यहीं मर जाएंगे। लेकिन अनूप के बाबूजी ने अपनी पत्नी को समझाया कि यहां रह कर कैसे हम जी पाएंगे घर में और कोई कमाने वाला नहीं है और हम यहां पर बड़ी बहू पर भी बोझ बनेंगे वहां पर कम से कम दो वक्त का खाना तो नसीब हो जाएगा। अंत में सास ससुर में डिसाइड किया कि वह छोटी बहू के घर जा कर ही रहेंगे।
विनोद के मां बाबूजी ने विनोद की पत्नी से जाकर बोला बहू हम तुम्हारा दुख समझ सकते हैं लेकिन तुम ही बताओ हम क्या करें अब इस बुढ़ापे में अब हमसे कोई काम तो होगा नहीं और अगर हम यहां रहेंगे तो तुम्हारे पर ही बोझ बने रहेंगे। इसलिए हम चाहते हैं कि छोटी बहू के ही घर जा कर रहे कम से कम तुम्हारे ऊपर बोझ तो नहीं बनेंगे और फिर हम यही पड़ोस में ही तो रहेंगे कोइ दिक्कत हो तो तुम हमें बता देना।
बड़ी बहू ने बोला ठीक है बाबू जी जैसी आपकी इच्छा। घर छोड़कर सब चले गए थे घर बिल्कुल ही सुना हो गया था।
विनोद की पत्नी अकेले बैठ कर रो रही थी अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपना और अपने बच्चों के पालन-पोषण करें क्योंकि पहले तो छोटे देवर कमा कर लाता था जैसे-तैसे भी घर का खर्चा चल जाता था लेकिन अब क्या करें। वह यह सब सोच ही रही थी तभी बच्चे स्कूल से वापस घर आ गए थे और अपनी मां को रोते हुए देख कर पूछने लगे मां क्या हो गया तूम रो क्यो रही हो। विनोद की पत्नी ने अपने बच्चों से कुछ नहीं छुपाया सब कुछ बता दिया जो भी घर में हुआ था। विनोद के बच्चों ने अपने मां का हिम्मत बंधाया और बोला की मां आप चिंता मत करो आप तो पढ़ी लिखी हो घर में ट्यूशन पढ़ा लो हम अपने दोस्तों से बात करेंगे कि तुम सब हमारे मम्मी से ट्यूशन पढ़ लो।
विनोद की पत्नी ने अपने बच्चों से लिपटकर बोला ठीक है बच्चों कुछ ना कुछ तो मैं करती हूं। तभी विनोद की पत्नी को याद आया कि उसकी एक फ्रेंड इसी शहर में एक स्कूल में टीचर है और वह बहुत पहले ही विनोद की पत्नी से कहती थी कि तू इतनी पढ़ी-लिखी हो कहीं पर जॉब क्यों नहीं करती हो क्या पूरी जिंदगी घर में गुजारने के लिए इतनी पढ़ाई की थी तो तब विनोद की पत्नी हंसकर टाल देती थी कि अरे यार कहां टाइम मिलता है जॉब करने का घर में ही पूरा टाइम बीत जाता है।
लेकिन आज उसे अपनी दोस्त की बातें सही लग रही थी अगर वह बाहर जॉब कर रही होती तो उसे दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ती और वह खुद आत्मनिर्भर होती और उसके बच्चे भी सही स्कूल में पढ़ रहे होते हैं उनके नाम कटवा कर सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं करवाना पड़ता। उसने सोचा चलो जो हुआ सो हुआ एक बार फोन करके देखती हूं क्या पता अभी भी उसके स्कूल में कोई टीचर पोस्ट खाली हो।
विनोद की पत्नी अपनी दोस्त रमा को फोन लगाया। रामा ने फोन उठाते ही कहा हाय रेनू कैसी हो बहुत दिनों बाद याद किया कैसे याद आ गई तुम्हें आज अपनी दोस्त रमा कि सब ठीक तो है ना। रेनू ने रमा से बोला कि नहीं यार कुछ भी ठीक नहीं है उसने सब कुछ फोन पर बता दिया। कि कुछ दिनों पहले ही उसके पति का एक्सीडेंट में मृत्यु हो गया था और फिर घर से अब उसके देवर देवरानी भी छोड़ कर चले गए हैं।
रमा ने बोला इतना कुछ हो गया और तुमने मुझे आज तक कुछ भी नहीं बताया। अब बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या मदद कर सकती हूं रेनू ने बोला यार मेरे लिए कोई जॉब ढूंढ सकती है तो बता। रमा बोली रेनू तू मेरी बेस्ट फ्रेंड है और तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है बस 10 मिनट रुक मैं प्रिंसिपल साहब से बात करके तुम्हें बताती हूं क्योंकि वह कह रहे थे कि हमारे ही स्कूल में एक मैथ के टीचर का पोस्ट खाली होने वाला है क्योंकि पहले वाली टीचर जॉब छोड़ने वाली है।
रेनू बोली यार तुम मेरे लिए ऐसा कर दोगी तो तुम्हारा एहसान मैं जीवन भर नहीं भूलूंगी। रमा बोली इसमें एहसान कैसा एक दोस्त ही तो दूसरे दोस्त के काम आता है।
रमा ने फोन काट कर प्रिंसिपल साहब को फोन लगाया और उनसे पूछा कि सर आप बता रहे थे कि आपके स्कूल में मैथ की टीचर स्कूल छोड़कर जाने वाली है मेरी एक दोस्त है जो बहुत ही अच्छा मैथ की टीचर है आप चाहे तो उसे मैं कल इंटरव्यू के लिए लेकर आऊं। प्रिंसिपल ने जवाब दिया अगर वह तुम्हारी दोस्त है और तुम उसे जानती हो तो फिर इंटरव्यू की कोई जरूरत नहीं है कल से ही उसे बुला लो नौकरी के लिए।
रमा ने अपनी दोस्त रेनू को फोन करके बताया। रेनू अब तुम्हें टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी नौकरी पक्की हो गई सर ने बोल दिया है कल से स्कूल आने के लिए तैयार हो जाओ कल से तुम हमारे साथ ही स्कूल में पढ़ाओगी।
रेनू के चेहरे से अब थोड़ा तनाव कम हो गया था बस यही सोच रही थी कि जो काम वह आज करने जा रही है अगर वह शुरू से ही कर दी तो आज शायद उसके इतने बुरे दिन नहीं आए होते दोस्तों यह सच ही कहा गया है कि भगवान अगर एक रास्ते बंद करता है तो दूसरे रास्ते खोलता भी है और ऐसा नहीं है कि इस दुनिया में सारे लोग बुरे हैं।
अगले दिन से ही रेनू स्कूल जाने लगी। कुछ दिनों बाद ही रेनू का स्कूल में अच्छा खासा नाम हो गया वह अपने क्लास में बहुत ही फेमस हो गई क्योंकि उसको मैथ पढ़ाने का जो तरीका था वह जबरदस्त था वह बच्चों को इतना जल्दी मैथ के फार्मूला रटा देती थी कि सारे बच्चे अपने टीचर के गुण गाते रहते थे। एक दिन रेनू को यह बात पता चला कि जो इस स्कूल में नौकरी करते हैं अगर वह अपने बच्चों को इस स्कूल में पढ़ाते हैं तो उनकी 50% फीस माफ हो जाती है। यह जानकर रेनू बहुत ही खुश हुई। रेनू कुछ दिनों में अपने बच्चों का एडमिशन भी सरकारी स्कूल से इसी स्कूल में करवा दिया था।
धीरे धीरे रेणु का जीवन भी नॉर्मल होता चला गया था। स्कूल के सालाना वार्षिक समारोह में रेनू कोबेस्ट टीचर का अवार्ड मिला और यह बात वहां के लोकल न्यूज़ पेपर में भी छप गई थी। न्यूज़पेपर के द्वारा जब यह बात उसके देवर-देवरानी को पता चली तो वो लोग अगले दिन ही रेनू के घर बधाई देने के लिए आए।
लेकिन रेनू ने बिल्कुल ही उनको जाहिर नहीं करने दिया कि वह उनसे नाराज है और सब से हंसकर मिली। अब रेनू की लाइफ बिल्कुल ही नॉर्मल हो गई थी उसके देवर-देवरानी से भी रिश्ता नॉर्मल हो गया था वह भी इनके घर आते थे यह भी उनके घर जाती थी।
दोस्तों इस कहानी का सार यही है कि ठीक है आप अपने घर का काम को निपटाए घर आपकी प्राथमिकता है क्योंकि माना जाता है कि एक स्त्री घर को संभालती है लेकिन उसके साथ ही अगर आप अच्छी पढ़ी-लिखी हैं तो अपने आप को सिर्फ रसोई में कैद मत कर लीजिए अपने हुनर का प्रदर्शन कीजिए क्योंकि कब समय कैसा आ जाए यह कहा नहीं जा सकता है इसीलिए आप अपने आप को आत्मनिर्भर बनाइए अगर आज रेनू जो काम कर रही थी अगर वह पहले कर रही होती तो उसके जीवन में कभी भी तकलीफ नहीं आती।
हमारे समाज में क्या होता है कि संयुक्त परिवार में एक कमाने वाला होता है और पूरे परिवार बैठकर खाता है इसीलिए हम पिछड़े और गरीब रहते हैं दोस्तों अगर परिवार के सारे सदस्य अपना योगदान थोड़ा-थोड़ा भी करें तो हमारा परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होगा क्योंकि परिवार में कलह होने का कारण आर्थिक तंगी ही होता है अगर परिवार में पैसे की कमी ना हो तो बहुत कम संभावना होती है आपस में मतभेद होने की। इसलिए आप सभी महिलाओं से अनुरोध है कि आप अपनी रसोई रूपी जेल से अपने आप को मुक्त करें और बाहर की दुनिया में जाकर उड़ने की कोशिश करें अच्छा लगेगा आपको और आपके परिवार को भी।