प्यार…धोखा और…. मर्डर – संगीता अग्रवाल

मै बालिग़ हूँ अपने फैसले कर सकती हूँ आप लोगो को कोई हक नही मुझपर अपने फैसले थोपने का !” सरला जी के कानो मे अभी तक बेटी रिया के ये अंतिम शब्द गूँज रहे थे जो उसने चार दिन पहले घर छोड़ने से पहले कहे थे । कितना समझाया था उनके पति और रिया के पिता मनोज जी ने उसे ।

” बेटा अरुण तुम्हारे लायक नही है वो एक बदमाश है पहले से उसके ऊपर अपनी पहली पत्नी को मारने का केस चल रहा है !” मनोज जी ने तब कहा था।

” पापा वो केस झूठा है जो कि अरुण की पहली पत्नी के मायके वालों ने उस पर लगाया है उससे पैसे ऐठने को । अरुण की पत्नी का पैर फिसला था अरुण ने नही मारा उसे !” रिया ने तर्क दिया।

” बेटा अरुण ने गलत बताया है तुम्हे सच वही है जो दुनिया कहती है। फिर तुम ये भी तो देखो तुम पढ़ी लिखी तुम्हारा सपना था लन्दन जाकर एम बी ए करने का । अब जब सब सेट हो गया तो तुम एकदम से अरुण से शादी की जिद पकड़े बैठी हो !” सरला जी ने भी समझाने का प्रयत्न किया।

” मम्मी सपना था पर अरुण ने मुझे एहसास करवाया कि हम एक दूसरे से दूर नही रह सकते इसलिए शादी करना चाहते है और आप जो लंदन के लिए पैसे खर्च करना चाहते थे वो हमे दे दो जिससे हम अपना घर अच्छे से बसा सके !” रिया बेशर्मी से बोली।

” एक पैसा नही दूंगा मैं समझी तुम !” मनोज जी बेटी की बेहयाई देख चिल्लाये।

” ठीक है मुझे भी इस घर मे नही रहना जा रही हूँ मैं !” रिया गुस्से मे बोली।

” नही बेटा ऐसा मत बोल हम तेरे भले के लिए बोल रहे है । अच्छा ऐसा कर पहले लंदन जा पढ़ाई पूरी कर आ फिर जैसा कहेगी वैसा होगा। पर अभी तू ना तो इस घर से जा सकती है ना अरुण से शादी कर सकती है समझी तू!” सरला जी उसका हाथ पकड़ते हुए बोली।




” मैं बालिग़ हूँ अपने फैसले खुद कर सकती हूँ आप लोगो को कोई हक नही मुझपर अपने फैसले थोपने का !” ये बोल सरला जी का हाथ झटक कर रिया अपने कमरे मे चली गई और थोड़ी देर बाद अपना सामान पैक कर चलती बनी। जिस इकलौती बेटी के लिए सरला जी और मनोज जी ने हर सुख सुविधा का ध्यान रखा था उसकी हर मांग को पूरा किया था वही उन्हे आँख दिखा चलती बनी उस राह की तरफ जो उसे जाने किस मंजिल तक ले जाएगी। 

उसके जाने के बाद मनोज जी ने तो खुद को कठोर बना लिया पर सरला जी माँ थी वो बेटी की चिंता मे घुले जा रही थी। उन्होंने मनोज जी से छिपकर रिया को फोन भी करना चाहा पर उसका नंबर लगातार बंद आ रहा था।

कुछ दिन बाद रिया की सहेली से ही पता लगा उसने अरुण से शादी कर ली है और वो लोग मेरठ छोड़ दिल्ली चले गये। सरला जी बेटी के इस कदम से गुस्सा भी थी ओर उन्हे बेटी की चिंता भी थी पर ना तो सरला जी ना ही मनोज जी कुछ कर सकते थे क्योकि रिया ने तो नंबर ही बदल लिया था । रिया के बारे मे थोड़ी बहुत जानकारी उसकी दोस्त से मिलती रहती जिसे रिया किसी पीसीओ से फोन करती थी शायद वो नही चाहती थी कि उसका नंबर किसी के भी जरिये उसके माँ बाप तक पहुंचे। 

वक़्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था और रिया को घर से गये नौ महीने हो गये। 

” बेटा शीतल रिया से कहना एक बार घर आ जाये उसे देखने का बहुत मन करता है उसके पापा भी उसके बिना बहुत उदास है भले वो कुछ कहते नही है।” एक दिन सरला जी ने रिया की दोस्त से कहा। 




” आंटी मेरी तो खुद रिया से दो महीने से बात नही हुई अब मेरे पास तो उसका नंबर है नही और वो करती नही फोन । लगता है अपनी जिंदगी मे खुश है वो अब !” शीतल ने कहा।

” क्या दो महीने से कॉल नही आया ..अच्छा बेटा जिस पीसीओ के नंबर से तुम्हारे पास कॉल आती थी वो दोगी जरा !” अनजानी आशंका से सरला जी का मन काँप सा रहा था एक माँ थी वो भले बेटी ने कुछ भी किया हो पर उसकी सलामती की दुआ तो वो हर दिन करती थी। 

शीतल से नंबर ले वो मनोज जी के पास आई।

” सुनो जी रिया ने शीतल को भी दो महीने से फोन नही किया !” धड़कते दिल से वो पति से बोली।

” तुम फिर शीतल को फोन करके उसकी जानकारी ले रही थी तुम्हे कितनी बार कहा है मर गई वो हमारे लिए फिर क्यो तुम उसे याद करती हो बार बार !” मनोज जी रिया का जिक्र होते ही हर बार की तरह चिल्ला पड़े।

” ठीक है हमारे लिए मर गई पर दुनिया के लिए तो ज़िंदा है फिर क्यो नही फोन कर रही आपको नही लगता कुछ गड़बड़ भी हो सकती है । मेरा मन घबरा सा रहा है इसलिए उस पीसीओ का नंबर भी लिया है शीतल से कम से कम उसकी खबर तो मिल जाएगी !” सरला जी रोते हुए बोली उन्हे रोता देख मनोज जी का दिल पिघल गया और उन्होंने सरला जी से पीसीओ का नंबर लिया और मोबाइल मे डाइल किया।

” हेलो जी आप कहाँ से बोल रहे है ?” मनोज जी ने पूछा।

” आपको किससे बात करनी है ये तो रोहिणी का पीसीओ है !” वहाँ से आवाज़ आई।




” आपके पीसीओ से दो महीने पहले तक एक लड़की अक्सर बात करती थी क्या आप उसे जानते है ?” मनोज जी ने पूछा। 

” साहब जी यहां रोज कोई ना कोई लड़की आती ही रहती ऐसे किस किस को याद रखेंगे हम !” वो बोला।

” अच्छा अच्छा ठीक है तुम रोहिणी के कौन से सेक्टर से हो अपनी लोकेशन बताओगे जरा वो क्या है कि मेरी बेटी की सहेली आस पास रहती है उससे बात नही हो पा रही है घर हमें मालूम नही तो आपके पीसीओ की लोकेशन से मदद मिल जाएगी !” मनोज जी झूठ बोल गये। उस शख्स ने लोकेशन बता दी। 

” सुनिए हमें पुलिस के पास जाना चाहिए !!” सरला जी बोली।

” पर अगर रिया जानबूझ कर फोन ना कर रही हो तो ? या फिर वो लोग अब वहाँ रहते ही ना हो ?” मनोज जी बोले।

” फिर भी एक बार वहाँ चल कर तो मालूम कर सकते है !” सरला जी अधीरता से बोली। उनकी अधीरता देख मनोज जी ने दिल्ली जाकर पता लगाने का निश्चय किया । दोनो पति पत्नी थोड़ी देर बाद कुछ जरूरी सामान ले दिल्ली के लिए निकल गये। 

ढूंढते ढूंढते दोनो उसी पीसीओ पर पहुंचे ।

” सुनिए भैया मैं वही हूँ जिससे आज सुबह आपकी बात हुई थी !” मनोज जी ने उससे कहा।

” जी साहब जी !” 

” देखो ये तस्वीर क्या तुम इसे पहचानते हो ?” मनोज जी ने रिया की फोटो दिखा पूछा।




” जी साहब जी ये आती तो थी यहाँ पर कहाँ रहती है ये नही पता !” वो शख्स बोला। 

मनोज जी और सरला जी ने आस पास पूछना शुरु किया पर कुछ पता नही लगा। थक हार कर दोनो पास की पुलिस चौकी गये और सारी बात बताई।

” आप जैसे मातापिता अपने बच्चो की लाड मे हर जिद पूरी कर उन्हे उद्दंड बना देते है और जब वो अपनी जिद पूरी करने को गलत राह चले जाते है तब पछताते है !” इंस्पेक्टर उनकी बात सुनकर बोला। इंस्पेक्टर की बात सुन दोनो ने सिर झुका लिया क्योकि बात तो सच थी । माँ बाप होने के नाते बच्चे की जिद पूरी करना हमारा फर्ज होता है पर कभी कभी हमेशा की जिद उन्हे उद्दंड बना ही देती है जिसका नतीजा कई बार बच्चो को गलत राह ले जाता है। 

खैर मामले की नजाकता को समझते हुए इंस्पेक्टर ने रिया का पता लगाने को एक टीम लगा दी । रोहिणी के उस सेक्टर के साथ साथ वो लोग आस पास भी उसका पता लगाने लगे। मनोज जी और सरला जी ने पास मे एक होटल मे कमरा ले लिया जिससे रिया की खबर लगने तक वो यही रुक सके। उधर पुलिस छानबीन कर रही थी । 

होटल के कमरे मे बैठे सरला जी और मनोज जी यही सोच रहे थे कि एक बार बेटी की सलामती की खबर मिल जाये तो वो लोग वापस चले जाये। समय गुजरता जा रहा था साथ ही सरला जी और मनोज जी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी माँ बाप थे आखिर भले बेटी ने उनके साथ गलत किया पर थी तो आखिर अपना खून ही। एक हफ्ता गुजर गया वो लोग अब निराश होते जा रहे थे पर तभी आशा की एक किरण नज़र आई । रिया को तो नही पर रोहिणी से कुछ दूर अरुण को एक चाय वाले ने पहचान लिया और उस इलाके मे घर घर पूछताछ करने पर जिस घर मे रिया और अरुण रहते थे उसका भी पता लग गया । पर ये क्या उसमे तो ताला था । कहाँ गये दोनो।  पुलिस ने मकान मालिक से सम्पर्क साधा क्योकि वो वहाँ नही रहता था । मकान मालिक से मिली जानकारी के अनुसार उन दोनो ने नौ महीने पहले घर लिया था। उससे ज्यादा वो कुछ नही जानता था उसे हर महीने किराया मिल जाता था उसे इससे ज्यादा उसे मतलब नही था। आस पास से पूछताछ करने पर पता लगा शुरु शुरु मे दोनो पति पत्नी अच्छे से रहते थे पर दो महीने बाद ही दोनो मे झगड़े होने लगे फिर दो महीने पहले दोनो मे जोरदार झगड़ा हुआ और उसके बाद रिया अपने मायके चली गई ( अरुण ने पड़ोसियों को यही जानकारी दी थी ) और अरुण अकेला रह रहा था पर चार दिन से उनके घर पर ताला था अरुण कहाँ है ये किसी को नही पता। 




अब पुलिस ने अरुण की तलाश शुरु की क्योकि रिया के साथ कुछ गलत हुआ है इस बात का भान हो गया था पुलिस को वरना अरुण सबसे ये नही बोलता कि रिया अपने मायके चली गई जबकि वो वहाँ तो गई ही नही। 

एक महीना और बीत गया पर अरुण का सुराग नही लगा पर एक महीने बाद अचानक एक खबरी से अरुण का सुराग लगा और पुलिस ने उसे अलीगढ से दबोच लिया। 

पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर भी अरुण ने पहले तो खुद को निर्दोष बताया और कहा उसे क्या पता रिया कहा गई। मेरे लिए अपने माँ बाप को छोड़ा अब किसी ओर के साथ भाग गई होगी।  लेकिन पुलिस की सख्ती के बाद जो उसने उंगला तो पुलिस वालों के भी रोंगटे खड़े हो गये। 

उसने जो बताया वो उसी की जुबानी लिख रही हूँ।।।।

” सर मैने रिया को अपने प्यार के जाल मे फंसाया ही इसीलिए था कि वो अपने पिता की इकलौती बेटी है खूब पैसा लाएगी और मैं बैठ कर खाऊंगा किन्तु !” ये बोल अरुण चुप हो गया।

” किन्तु क्या बता जल्दी !” पुलिस वाला कड़क कर बोला।

” किन्तु वो खाली हाथ चली आई पागल लड़की उसे लगता था प्यार ही सब कुछ है जबकि आज की दुनिया मे पैसा ही सब है । मुझे लगा शादी के बाद उसके माता पिता मान जाएंगे पर नही वो तो सारी दौलत पर कुंडली मारे बैठे थे। इधर रिया ने मेरा जीना हराम किया था नौकरी करने को ले। सच मे बीवी बन गई थी वो दिमाग़ खराब हो गया मेरा एक तो पैसो की तंगी उस पर उसकी टर्र टर्र !” अरुण दाँत चबाते हुए बोला।

” फिर आगे क्या हुआ?” इंसेक्टर ने पूछा।




” मैने पैसो की तंगी दूर करने का एक उपाय सोचा किन्तु रिया मेरा साथ देने की जगह भड़क गई ! उल्टा सीधा बोलने लगी रोज झगड़े होने लगे !” अरुण ये बोल रुक गया।

” क्या उपाय सोचा तूने ?” इंस्पेक्टर ने फिर पूछा।

” मेरे दो तीन दोस्त थे जो रिया को पसंद करते थे मैने रिया से कहाँ वो एक एक रात उनके साथ बिता ले बदले मे वो हमें पैसे देते बल्कि मैं तो ओर लोगो का बंदोबस्त भी करने को बोला था जिससे हमारे बुरे दिन खत्म हो जाते । पर वो तो भड़क गई मुझे दलाल तक बोल डाला । मेरे खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने जा रही थी वो !” अरुण एक भद्दी गाली देता हुआ बोला।

” तो तूने क्या किया उसके साथ बोल जल्दी तेरी बीवी थी वो और तू उसे किसी और के सामने परोसने को तैयार हो गया पैसो के लिए कैसा इंसान है तू। बता क्या किया तूने उसके साथ  !” इंस्पेक्टर ने गुस्से मे एक डंडा जमाते हुए पूछा।

” मार डाला साहब !” कुटील हंसी हँसता अरुण बोला।

” क्या …..कैसे…और लाश …!  वो कहाँ है ?” इंस्पेक्टर ने हैरानी से पूछा ।

” उसी के दुपट्टे से गला घोंट दिया उसका …और लाश को हमारे मोहल्ले के खाली प्लाट मे दबा दिया । किस्सा ही खत्म हो गया सारा !” अरुण बिना किसी पछतावे के बोला।




” ओह्ह …कब मारा तुमने उसे ?” 

” तीन महीने पहले !” 

” तो तुम अब क्यो भागे इतने समय तक उसी घर मे रहते रहे फिर अब ऐसा क्या हुआ कि तुम अलीगढ भाग गये !” इंस्पेक्टर ने पूछा।

” साहब कर्जा हो गया था कहाँ से चुकाता फिर एक डर भी था कि आज नही तो कल उसके माँ बाप उसे ढूंढते आ गये तो …इसलिए मै चुपचाप निकल गया !” अरुण बोला।

” लेकिन फिर भी पकड़ा तो गया ना …क्या मिला एक मासूम को मार कर तुझे वो तो तुझसे कितना प्यार करती थी तेरे लिए अपने माँ बाप यहां तक की अपने सपने तक को छोड़ दिया और तूने उस प्यार का अच्छा सिला दिया उसे अब सारी जिंदगी जेल मे कटेगा तब पता लगेगा किसी की जान लेने का अंजाम क्या होता है !” इंस्पेक्टर बोला।

अरुण के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई और अदालत मे कार्यवाही शुरु हो गई । अरुण की निशानदेही पर रिया का सड़ा गला शव बरामद कर लिया गया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया बाद मे उसके माता पिता की मौजूदगी मे उसका अंतिम संस्कार भी दिल्ली मे ही किया गया क्योकि लाश सड गई थी तो उसे उसके माता पिता को नही सौंपा जा सकता था। 

रिया के माता पिता की तो दुनिया ही उजड़ गई थी अब तक भले बेटी पास नही थी लेकिन इतनी तसल्ली तो थी वो जिंदा तो है । कुछ समय बाद हो सकता है वो उसे माफ़ भी कर देते पर ऐसी नौबत ही नही आई । एक बार गुस्से मे जो उसने अपने घर की देहरी लांघी तो वापिस शव भी नही आ पाया उसका। 

दोस्तों ये एक काल्पनिक कहानी है अगर मेरी कहानी से किसी को ठेस पहुंची हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ । इस कहानी के जरिये मेरा मकसद माँ बाप और आज की युवा पीढ़ी को सावधान करना है। वो युवा पीढ़ी जो झूठे प्यार की खातिर ना केवल अपने भविष्य से खिलवाड़ करने से भी नही चूकती बल्कि अपने जन्मदाता अपने माता पिता के प्यार को भी ठोकर लगा देती है। और बदले मे बहुत सी लड़कियों का अंजाम रिया जैसा होता है।  मैं ये नही कहती हर प्रेम विवाह का अंजाम गलत होता है पर जो प्यार आपको आपके सपनो तक से दूर कर दे वो कभी सही नही हो सकता। 

यहाँ मैं सभी माता पिता से भी हाथ जोड़ विनती करूंगी अपने बच्चो को प्यार कीजिये पर उनकी हर जिद पूरी कर उन्हे जिद्दी और स्वार्थी मत बनाइये उनको महंगी से महंगी चीजे दिलाने की जगह अपना थोड़ा वक़्त दीजिये उनके दोस्त बनिए जिससे आप उन्हे उनका अच्छा बुरा वक़्त रहते बता सके। 

आपकी दोस्त 

संगीता

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