भगवान भी कंफ्यूज किस की सुने ! किस की नहीं !! जहाँ आशा की तेज-तेज चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी, वही संजीव और उसकी माँ की राम नाम जपते हुए “भगवान इस बार मुझे लड़का चाहिए पहले भी लड़की हो गयी,पर इस बार मेरी लाज रख लो भगवान“।
तभी नर्स बाहर आते हुए मुबारक हो ! बेटा हुआ है,ये सुन ! ख़ुशी की लहर दौड़ गयी । भगवान आपका शुक्रिया – “अब और कुछ नही चाहिए लड़का हो गया तो सब मिल गय ,क्योंकि लड़का ही वंश को आगे लेकर जाता है “। पूरे अस्पताल में मिठाई बाटी गयी और कुछ दिनो में आशा घर आ गई ।
आशा की बेटी जो आठ वर्ष की है अपने छोटे भाई को हाथ में ले खिलाने लगी ।तभी संजीव अंदर आया अरे ! तुम क्या कर रही हो वो अभी छोटा है, उसे लग जाएगी । जाओ तुम जाकर अपनी पढ़ाई करो । जब देखो घर वाले उसे हर बात पे टोकने लगे पहले भी ऐसा होता था पर अब ज़्यादा होने लगा । जब भी कोई चीज आती तो पहले छोटू को मिलती फिर उसे, वैसे तो वो बड़ी थी पर सब ने उसे अपनी नज़रों में छोटा कर दिया ।
संजीव की माँ भी अपने पोते को ही दुलार करती,पोती को तो दूर से भी फटकार ही मिलती ।काजल इस बात से बहुत परेशान रहने लगी । सब उसे ही लाड़ करते है यही सोच वो खीज भावना से भर गयी और हर बात पे ग़ुस्सा करने लगी ।
धीरे- धीरे काजल ने अपने में ही खुश रहना सीख लिया । उसे डांस का शौक़ था, इसलिए उसने आशा से इजाज़त ले डांस एकेडमी में एडमिशन ले लिया । जो पहले चिड़चिड़ी रहती थी अब वो थोड़ी नर्म पड़ने लगी दोनो भाई-बहन साथ वक्त गुज़ारने लगे।काजल जैसा करती छोटू भी वैसा करने लगता,काजल उसे खूब मना करती पर वो किसी की नही सुनता हमेशा अपने मन की करता ।लेकिन संजीव के आते ही सब बंद हो जाता और काजल पढ़ाई में लग जाती ।
संजीव- मुझे पता है,मेरे पीछे घर में क्या होता है” तुम नही बताओगी तो मुझे पता नही लगेगा”….इसका डांस बंद करो और पढ़ाई पे तवज्जो दो और क्या तुम लड़के को भी इसके साथ लगा के रखती हो ।
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आशा – दोनो भाई-बहन है तो साथ तो रहेंगे ही बात आयी गयी हो गयी।
एक बार तो हद हो गयी छोटू लाली लिपस्टिक लगा डांस कर रहा था। ये देख आशा उसकी तरफ भागी तभी संजीव की माँ ने उसे देख लिया और आशा को खूब डाँटा ये क्या हमारे लड़कों को भांड बना रखा है आने दो आज संजीव को तुम्हारी तो मती ख़राब हो गयी है।नही माँ जी वो तो ऐसे ही कर रहा है छोटा है ना ….
शाम को जैसे ही संजीव घर आया तो सारी रिपोर्ट हाई कमान तक पहुँच गयी फिर मत पूछो क्या हुआ ? काजल की ख़ुशियों पे तो ताला लगा ही और छोटू को भी काला पानी की सजा मिली,यानी उसे हॉस्टल में डाल दिया।पूरा परिवार तीतर-बितर हो गया ।कोई हँसी-ठिठोली कुछ भी नही सब खामोश रहने लगे।
वक्त गुजरा सब बदल गया पर संजीव और उसकी माँ की बच्चों में भेदभाव करने की आदत ना बदल सकी ।काजल कॉलेज में आ गयी और वो पढ़ाई में ही व्यस्त रहने लगी । छोटू भी दसवीं कक्षा में आ गया । हर बार की तरह वो छुट्टियों में घर आया तो बेटा ये खा ले क्या चाहिए बोल ! काजल मन में सोचते हुए जिसे ये सब पसंद है उससे कोई नही पूछेंगा। इसी भेद भाव की भावना के चलते दोनो के बीच एक लकीर खिच गई ।दोनो ऐसे मिलते मानो पड़ोसी है कोई प्यार अपना पन नहीं बचा ।
अगले ही पल खबर मिली की काजल ने कॉलेज में टॉप किया ये सुन आशा की आँख भर आयी ! क्योंकि वो ही जानती थी कि उसने कितनी कड़ी मेहनत की है ।सारी गली में मिठाई बांटी जा रही थी,तभी उसकी दादी बोली “इसमें मिठाई बाटने की,इतना खर्चा करने की क्या ज़रूरत है”।बस पढ़ ली जितना पढ़ना था,अब कोई लड़का ढूँढ इसके हाथ पीले कर दो ।
काजल – माँ जी मैं अभी और पढ़ूँगी
दादी – देख रहे हो संजीव क्या कह रही है !
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संजीव – कोई नहीं माँ जी इसके कहने से क्या होगा,होगा तो वोही जो हम चाहेंगे ।काजल पैर पटकते हुए चली गई और छोटू के पास जा खड़ी हुई।
छोटू -दी आप इतना क्यों घबराती हो अपने हक़ के लिए लड़ना सीखो
काजल – मुझे हक़ में सिर्फ़ वो प्यार और तवज्जो चाहिए जो तुम्हें मिली बस और कुछ नही चाहिए ।
छोटू- पापा लड्डू से क्या होगा ,आज तो बाहर खाने चलते है ।दीदी ने टॉप किया हैं
संजीव – ठीक है सब तैयार हो जाओ तो चलते है
पास में ही मेला लगा हुआ था तो सब वही चले गए आशा भी बहुत खुश थी क्योंकि कितने सालो के बाद चारों कही बाहर आए थे ।दोनो बहन-भाई भी झूला झूलने और चाट खाने में मस्त थे । तभी जोर से शोर होने लगा आइए डांस प्रतियोगिता में हिस्सा लीजिए और इनाम पाइए ये सुन ! दोनो एक दूसरे को देखने लगे मानो वो जाना चाहते है । तभी छोटू काजल का हाथ पकड़ अंदर ले गया और अपना नाम लिखवा दिया।
काजल -ये ठीक नही है छोटू पापा को पसंद नही है
कुछ नही होता और ये एक प्रतियोगिता है तो उसमें तो भाग ले सकते है ।छोटू नाम की आवाज़ सुन संजीव और आशा अंदर पहुँचे तो देखा की छोटू राधा की पोशाक पहन डांस कर रहा था ।ये देख संजीव मन ही मन बड़बड करने लगा। तेरी लड़की ले के गयी होगी कभी नही सुधरेगी मेरे लड़के को बदल कर ही छोड़ेगी ।आने दो आज मैं बताता हूँ ।प्रतियोगिता ख़त्म होते ही परिणाम घोषित किया गया और छोटू सेकंड आया और ईनाम के तौर पे उसे एक म्यूज़िक प्लेअर मिला जिसे पा वो खुश हो गया और भाग के अपने पापा के पास गया।
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पंडाल में पहुँचे सब लोगों ने संजीव और आशा को बधाई दी और कहा आपका बेटा तो बहुत अच्छा डांस करता है संजीव बच्चों को घूरते हुए …पापा माफ़ कर दो छोटू आगे से ऐसा नही करेगा ।
संजीव – तू ही ले के गई होगी
पापा दीदी की कोई गलती नही है मैं ही उन्हें ले के गया था। क्योंकि मुझे डांस बहुत पसंद है,और मैं आगे जाकर डांस में ही मास्टर करना चाहूँगा ।
क्या कहा ????
छोटू – पापा आज कल कोई काम छोटा-बड़ा , या लड़का-लड़की की जात देख नही होता जो पसंद है जिसमें ख़ुशी मिले वोही करना चाहिए ।”अब हैश टैग का ज़माना है और आप आज भी वहीं पुरानी सोच में जकड़े हो।”आपने दीदी को भी कुछ नहीं करने दिया ,लेकिन मैं तो वहीं करूँगा जो मुझे पसंद है ।ये कह छोटू म्यूजिक प्लेयर उठा चल दिया।
सुना आशा क्या कह रहा है -“मैंने इसके लिए क्या-क्या नहीं किया हमेशा, काजल से पहले इसे तर्ज़ी दी और आज हम इसके लिए कोई मायने नहीं रखते ।
हमने इसे भी तो माना किया था ये तो मान गई थी तो वो ….
पापा अब आप मुझे तर्ज़ी दे उसके साथ ग़लत कर रहे है ।ये भेदभाव करना बंद करो और दोनों को एक और सही नज़रिए से देखो ।दोनो ही आपके अंश है तो एक से चले क्यों वंश……
ये सुन ! हमारी बेटी सच में बड़ी समझदार हो गई है ।
संजीव घर जाकर चाय पीते हुए आसमा में देखते हुए ….भगवान मैंने आपसे लड़का माँगा था तो थोड़ी सद बुद्धि ही दे देते …..
भगवान सब जगह सब की सुने पर भगवान की कोई ना समझे ! “तुमने लड़का माँगा था दे दिया अब इससे ज़्यादा कि वारंटी नहीं मिलेगी जो लिखा है भुगतना पड़ेगा अच्छा या बुरा वो आपके कर्मों पे निर्भर करता है “।।
#भेदभाव
स्वरचित
स्नेह ज्योति