पूरे हुए अरमान – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :

अपने हाथों में फोन लिए निशिता की आंखें बहने लगी थी। उसकी आवाज रूंध  गई थी।

 वह कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। बड़ी मुश्किल से उसने कहा

” बेटा खुश रहो ।”उधर से पूरन उसे फोन कर बार-बार बोल रहा था.. मम्मी तुम ठीक हो ना!” 

“बेटा ,मैं ठीक हूं, थोड़ी देर में बात करती हूं।” यह कहकर निशिता ने फोन रख दिया ।

आज उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था। वह  फटी आंखों से अपने आप को देख रही थी।

 फोन रखने के बाद निशिता अपने बेडरूम में आकर अपने दिवंगत पति आकाश की तस्वीर के पास खड़ी हो गई।

“देखिए आकाश…!,आज आपके बेटे नू आपके सारे अरमान पूरे कर दिए…आप खुश तो हैं ना…!”

उसने आकाश की तस्वीर के आगे दीपक जलाया और फिर बाहर आकर खिड़की पर बैठ गई।सामने सड़क पर यातायात जारी था और निशीता का मन पीछे की ओर भाग रहा था।

 कई विचार अकुला रहे थे और आंखों के आगे पुरानी कहानी चलचित्र की भांति दौड़ने लगी थी ।

जब वह 19 साल की भी नहीं थी तभी उसके बड़े पापा ने उसके लिए रिश्ता लेकर घर आए थे ।

“सुदेश देखो, बहुत अच्छा एक रिश्ता लेकर आया हूं लड़का आर्मी में है। कोई डिमांड नहीं है। अच्छा भला परिवार है ।तुम निशिता की शादी की बात चलाओ।”

 पापा ने भी अपने बड़े भाई की बात मानकर शादी की बात किया। सब कुछ ठीक था तो शादी हो गई ।

देखते-देखते निशिता आकाश की दुल्हन बनाकर उसके घर आ गई ।

आकाश आर्मी में लेफ्टिनेंट था।

अपने इस नए घर में आकर निशिता बहुत ज्यादा खुश थी।

नई जिंदगी, आकाश सा पति सबकुछ एक सपने की तरह था।

2 महीने बाद जब आकाश अपनी नौकरी पर वापस गया तब तक निशिता आकाश के अंश को अपने  गर्भ में धारण कर चुकी थी ।

आकाश उसे बार-बार कहता

” निशिता, हमारा बच्चा होगा न चाहे वह बेटा हो या बेटी मैं उसे डॉक्टर ही बनाऊंगा और कुछ भी नहीं । “

निशीता हँसकर कहती”ठीक है लेकिन ऐसा क्यों?”

“क्योंकि जब मैं और तुम बूढ़े हो जाएंगे तब हमारा फ्री में सारे इलाज हो जाएगा।”

“हे भगवान आप भी न।”निशीता हंसने लगती।

 

 

सब कुछ बड़ा ही अच्छा चल रहा था कि अचानक बॉर्डर पर जंग शुरू हो गई। धीरे-धीरे बात बढ़ने लगी और  भारत सरकार की तरफ से युद्ध की घोषणा कर दी गई।

आकाश को बॉर्डर पर जाना जरूरी था।

अपने बटालियन के साथ बॉर्डर पर जाने से पहले उसने निशिता को फोन किया कहा

” निशिता ,कुछ भी हो सकता है। अपना ख्याल रखना और हमारे होने वाले बच्चे की और उसे एक कामयाब डॉक्टर बनाना ।”

निशिता रो पड़ी। उसने कहा 

“आप ऐसा मत बोलिए ।आप लौट कर जरूर आएंगे।”

 आकाश हंसने लगा। उसने कहा

” फौज में यही बात सच नहीं होती है। जिंदगी एक पानी की बूंद की तरह होती है कब उड़ जाए पता ही नहीं चलता।”

 उसके बाद आकाश से कोई बातचीत नहीं हो पाई।

कुछ दिनों बाद एक मनहूस खबर आई  जिस आर्मी वैन में आकाश जा रहा था उसे ही दुश्मनों ने  अपना शिकार बना लिया।

लेफ्टिनेंट आकाश शहीद हो गया और  निशिता की सूनी जिंदगी के साथ बचे थे तो अपने स्वर्गीय पति के अरमानों को पूरा करना।

अब रो कर भी कोई फायदा नहीं था ।

आने वाले बच्चे को देखने को जितनी  खुशी निशिता को थी उससे बहुत ज्यादा आकाश को थी।

 अपने नवजात बच्चे को गोद में लेते हुए निशिता फूट-फूट करो पड़ी ।

अब आकाश कहीं भी नहीं था,थे तो सिर्फ उसके अधूरे अरमान।

 आकाश के  बाद निशिता ने उसके सारे अरमान पूरे करने के लिए अपने कमर कस ली।

 उसने अपनी भावनाओं को कंट्रोल किया और उसकी सारी इच्छाओं को अपने सिर माथे लगा लिया।

उसके ससुराल और मायके दोनों ही उसके साथ खड़े थे इसलिए उसे बहुत ज्यादा परेशानी नहीं हुई। उसने अपनी छूटी हुई पढ़ाई शुरू की।

कई बार उसके ससुराल और मायके वालों ने उसके ऊपर विवाह का दबाव भी डाला लेकिन  निशिता के दिल में  सिर्फ आकाश था।

 उसने सीरियसली से मना कर दिया।

उसने कहा 

मेरे पास आकाश की निशानी है और वही मेरी जिंदगी है।

मुझे अपने बच्चे को पालना है और कुछ नहीं ।मैं अपनी जिंदगी इसके लिए अर्पण कर सकती हूं ।”

निशिता ने अपनी पढ़ाई जारी रखी ।उसके बाद उसने पीएचडी किया और नेट की परीक्षा निकाल वह एक अच्छे कॉलेज में व्याख्याता के पद पर थी ।

उसका बेटा पढ़ाई में बहुत ही अच्छा था। मेहनती भी था।

अपने पिता का प्यार से वंचित बेटे को देखकर निशिता उसे गले से लगा लिया करती थी।

धीरे धीरे समय बीता आकाश और निशीता का बेटा पूरन अपनी पढ़ाई में आगे बढ़ता गया। निशीता के साथ खड़े रहने वाले उसके सास ससुर ईश्वर के भरोसे उसे छोड़ कर परलोक चले गए।और इस परीक्षा में पूरी लगन के साथ डटी रही निशीता।

आज पूरन ने उसे फोन कर चौंका दिया था।पूरन पूरे मेडिकल कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।वह फाइनल ईयर का टॉपर था ।

निशीता को यकीन नहीं हो रहा था…ये सब उसे सपना लग रहा था।

निशीता अभी भी विचारों में खोई हुई थी कि दरवाजे पर कॉलिंग बेल बजने लगी।

बाहर निशीता के मम्मी पापा और भाई बहन थे। उन्होंने आकर उसे गले से लगा लिया।

उसके पापा उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले

“शाबाश बेटी, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।”

निशीता की आँखें भर आईं।उसने कहा

“मम्मी ,पापा!,मैं ने आकाश के सारे अरमान पूरे कर दिए।

वह तो सिर्फ पूरन को डॉक्टर ही बनाना चाहता था।पूरन तो टॉपर बन गया।

आज उसे कितनी तसल्ली मिली होगी।”

“हाँ बेटी हम सबको भी।”उसकी मां ने कहा और उसे गले से लगा लिया।

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 *सीमा प्रियदर्शिनी सहाय 

 #अरमान*

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