पेट की भूख –  डा.मधु आंधीवाल 

रानी एक होटल वार में काम करके अपने शराबी पति और अपनी बेटी रमा का पेट पालती थी । रानी बहुत ही सुन्दर व कम उम्र की महिला थी । कुछ पढ़ी लिखी भी थी जब उसकी शादी हुई तो उसका पति सुरेश एक छोटा सा कारखाना चलाता था पर ऐसी संगत हुई कि सारे बुरी आदतों ने उसे जकड़ लिया । शराब की उसे ऐसी लत लगी सब कुछ उसकी भेंट चढ़ गया । कारखाना भी बन्द होगया । रोटी तक के लिये मोहताज होगये । आये दिन वह रानी को मारने पीटने लगा । होटल मालिक का बहुत कर्ज सुरेश पर होगया था इसी लिये उसने दबाव बना कर रानी को अपने होटल में रख लिया । आज होटल का वार्षिक समारोह था । घर पर खाने को कुछ नहीं था  रमा दोपहर से ही भूख से बेहाल थी । रानी अभी तक नहीं आई थी । जब उससे इन्तजार नहीं हुआ तो वह होटल पहुँच गयी । वह शीशे में से देख रही थी सब मेजो पर बहुत भीड़ थी । सब मस्ती में थे खाने की विभिन्न सामग्री मेजों पर सजी थी । ये सब देख कर उसे और अधिक भूख लगने लगी । इतनी देर में वह शीशे से अन्दर देखती है कि उसकी मां रानी अजीब सी ड्रेस पहन कर सब मेजों पर गिलासों में कुछ परोस रही है और लोग उसको अपनी अपनी ओर खींच रहे हैं। रानी अपने को बचा रही है। रानी अब कुछ कुछ समझने लगी थी और वह इतना घबड़ा गयी और डर से वहीं बेहोश होगयी । जब रानी रात में वह होटल से बाहर आई तो उस पर खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था बाहर वह देखती है कि रमा बेहोश पड़ी है। वह रमा को उठाये बाहर दौड़ी जा रही थी । एक ट्रक आया और दोनों को कुचलता चला गया । अब दोनों के पेट की भूख शान्त हो चुकी थी ।

स्व रचित 

डा.मधु आंधीवाल एड.

अलीगढ़

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