पति के नाम एक पाती – सरला मेहता

सुनो जी,

प्यार भरी लंबी उम्र,,,

और क्या लिखूं,प्रिये प्रियतम 

के नाम से कभी पुकारा ही नहीं। हाँ, पाँती लिखने ही बैठी तो आज सारी दिल की बातें लिख ही दूँगी।

आप बहुत अच्छे हैं,अरे यह ‘आप’ संबोधन तो मेरे लिए दीवार ही बन गया है। आज तो मैं ‘तुम’ ही लिखूंगी,चाहो तो बुरा मान जाना,और क्या?

       अच्छा जी,तुम मेरे परिवार वालों को तुम्हारे माँ पापा,तुम्हारे भाई बहन या तुम्हारे रिश्तेदार कह कर क्यूं बुलाते हो? मैंने तो कभी भेदभाव नहीं किया। इस घर में आकर मैंने सबको अपना बना लिया और उस घर को भुलाकर । आगे से तुम भी ऐसा ही करोगे तो मुझे बहुत सुकून मिलेगा। ठीक है न।


हाँ, मानती हूँ ,मुझे दिल से चाहते हो और मेरे लिए मंहगी सौगातें लाना नहीं भूलते। परंतु कभी सोचा या पूछा है मेरी पसंद के बारे में,कभी नहीं। मुझे हलकी फुलकी कॉटन सिल्क या शिफॉन की साड़ियां वो भी हरे,गुलाबी नीले रंगों में पसन्द है,जिनकी प्लेट्स फॉल आसानी से सेट हो जाती है। तुम तो भारी भरकम लकदक गहरे रंगों की कांजीवरम बनारसी साड़ियों में मुझे किसी शोरूम का बुत बना देते हो।कितना असहज हो जाती हूँ ,सोचा है कभी ?

शिकायत का पिटारा खोला है तो यह भी बता देती हूँ, किचन मेरा और

तुम्हारी पसंद के छोले मटर पनीर आदि खा लेती हूँ बेमन से।पर कभी हींग जीरे से बघारी दालें,भरवाँ गिलकी भिन्डी मैथी -आलू कड़ी पकौड़ा भी मेरे खातिर चख लिया करो। और हाँ , यूँ तो तुम मेरे बनाए व्यंजन चटकारे लेकर खाते हो,पर मेहमानों के सामने नुस्ख निकालना नहीं भूलते। जबकी सभी मेरे खाने की तारीफ़ ही करते हैं।शायद यही सुनने के लिए नुस्ख निकालते हो।


अरे हां,कभी कभार हमारे घर की सजावट,परदे के रंगों आदि के बारे में मेरी राय लेने में क्या जाता है तुम्हारा।

हमेशा,,,धूम धड़ाके वाली सस्पेंस मूव्ही ही दिखाते हो।चलो तुम्हें अंग्रेजी मूव्ही व  हेमा धर्मेद्र पसंद है,मेरे खातिर  कभी  मिली उपहार जंजीर जैसी फिल्मों से जया अभिताभ से भी

मेरी मुलाकात करा दिया करो। हूँ,,यूँ भी चेंज के लिए कभी किसी कविता गज़ल शायरी या संगीत के कार्यक्रम में भी जा सकते हैं।बातें बहुत हैं लिखने को,अब फिर कभी। देखो बुरा मत मानना,दिल के गुबार और किसे बताती भला।

तुम भी चाहो तो कुछ लिखना ज़रूर। वैसे तुम बहुत अच्छे हो।

प्यार सहित,,,

सदा तुम्हारी अपनी

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