पश्चाताप, बेटी मुझे माफ़ कर देना – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

डाक्टर साहब जैसे ही आई,सी ,यू से बाहर आए पवन जी लपककर डाक्टर के पास पहुंच गए, डाक्टर साहब मेरी बेटी कैसी है । देखिए पवन जी मेरी पूरी टीम लगी हुई है आपके बेटी को बचाने के लिए ।

उसका स्टमक हमने क्लीन कर दिया है लेकिन प्वाइजन का असर अब भी है ।48 घंटे उसको आव्जरवेशन में रखा जाएगा उसके बाद ही बेटी ख़तरे से बाहर आ पाएगी।मैं मिल सकता हूं बेटी से अभी नहीं ।आप दरवाजे के कांच से बस देख सकते हैं बेटी को।अपनी हंसतीं खेलती बेटी को इस अवस्था में देखकर पवन और नीलिमा जी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।

             सोनल , हां सोनल नाम था पवन और नीलिमा जी की बड़ी बेटी का ।दो और बेटियां थीं छोटी ।सोनल देखने सुनने में बहुत सुंदर थी ।कालेज में बहुत से लड़के उसपर मरते थे । उनमें एक था साहिल जो मन ही मन सोनल को पसंद करता था लेकिन कभी सोनल के सामने इजहार नहीं किया। दोनों एक ही क्लास में थे।सोनम ग्रेजुएशन कर रही थी और आगे कुछ डिग्री कोर्स करके नौकरी करना चाहती थी।

जिससे घर में वो अपने पापा का हाथ बंटा सके ।पवन जी एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे ।आय सीमित थी तीन तीन बेटियां थीं सबकुछ खींचतान के ही हो पाता था। इसलिए सोनल ने सोच लिया था कि वो पढ़ लिखकर नौकरी करेगी और पापा की मदद करेगी । इसलिए वो कालेज में सिर्फ पढ़ाई से मतलब रखती थी फालतू के चक्करों में नहीं पड़ती थी।

 शामली – लतिका श्रीवास्तव

                सोनल के एक मामा थे जो सोनल का बहुत हौसला अफजाई करते थे।सोनल की और मामा की आपस में बहुत पटती थी। सोनल जब भी मुश्किल में होती तो मामा से सलाह करती थी।मामा सोनल को समझाते थे कि अच्छा पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़ी हो पहले जमाना बहुत खराब है । अभी शादी व्याह के चक्कर में न पड़ना।

             आज सोनल की सहेली संध्या के भाई की शादी थी । सोनल जरी के ब्लाउज के साथ काले रंग की साड़ी पहनी थी और हल्का से मेकअप करके ही वो सबपर कहर डाल रही थी बेहद खूबसूरत लग रही थी। शादी में जो कोई भी देखता देखता ही रह जाता। शादी निपट जाने पर संध्या के भाभी के घर से खबर आई कि वो काली साड़ी में कौन लड़की थी उसका पता चाहिए।

संध्या की भाभी ने पूछा तो संध्या ने कहा वो मेरी सहेली थी । संध्या की भाभी सीमा ने बताया कि वो हमारी दूर की रिश्ते दारी है मौसी लगती है उनको अपने बेटे के लिए तुम्हारी सहेली पसंद है । काफी पैसे वाले लोग हैं बंगला , गाड़ी है और रेडिमेड गारमेंट की फैक्ट्री चलती है । संध्या दी आप उनके घर का पता दे दे वो लोग मिलना चाहते हैं।

लेकिन भाभी सोनल अभी पढ़-लिख कर नौकरी करना चाहती है अपने पापा का हाथ बंटाना चाहती है । क्योंकि उनके पापा की सीमित आय है वो इतने पैसे वाले घर में शादी कैसे कर सकते हैं । लेकिन उन लोगों को कुछ नहीं चाहिए संध्या दी आप एक बार सोनल के मम्मी पापा से बात करके तो देखिए।

               संध्या ने जब सोनल के घर‌ वालों से बात की तो सोनल के पापा तैयार हो गए मिलने को। फिर क्या था वो लोग आ गए घर।और पवन जी से बोले मैं आपकी बेटी का हाथ मांगता हूं अपने बेटे के लिए। सोनल की मां ने कहा लेकिन हम लोग आपकी हैसियत के मुताबिक खर्चा नहीं कर सकते मेरे पास इतना पैसा नहीं है ।

मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे तो बस आपकी बेटी चाहिए । ईश्वर की दया से बहुत कुछ है हमारे पास। अच्छा मैं पहले घर में समझ लूं और बेटी से पूछ लूं फिर बताता हूं ।घर में जब चर्चा छिड़ी तो सोनल ने साफ मना कर दिया नहीं पापा अभी मुझे पढ़ना है और फिर नौकरी करनी है ।पर बेटा घर बैठे रिश्ता आया है और कुछ मांग भी नहीं रहें हैं ।

एक थी नन्दा – डॉ उर्मिला शर्मा

बिना लेंन देन के शादी हो रही है मेरे एक जिम्मेदारी तो वैसे भी कम हो रही है।अब नौकरी करके क्या होगा। नहीं पापा मैं तैयार नहीं हूं। फिर भी सोनल पर घर में दबाव पड़ने लगा । नीलिमा ने कहा पहले हम घर चल कर देखते हैं उनके और लड़के से भी मिले तब ही कुछ पक्का हो पाएगा।

             पवन जी और नीलिमा जी सेठ निरंजन जी के घर गए बडा सा बंगला ,दो दो गाड़ियां खड़ी घर के अंदर पैर रखते ही पवन और नीलिमा जी की आंखें चौंधिया गई।इस घर में बेटी का रिश्ता होने वाला है खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। बेटा आयुष भी था सामने ।एक बेटी थी इशिता जो बड़ी थी और शादी के बाद कनाडा में रहती थी ।

तो क्या सोचां आपने पवन जी पहले मेरी बेटी और आपका बेटा आपस में मिल लें तो ही कुछ बात आगे बढ़ सकती है । हां हां क्यों नहीं वो तो बहुत जरूरी है ।

फिर दोनों की मुलाकात कराई गई नकारने वाली कोई बात थी ही नहीं क्योंकि सोनल थी ही इतनी खूबसूरत और आयुष भी अच्छी पर्सनालिटी का मालिक था। पसंद तो दोनों ही एक दूसरे को थे लेकिन सोनल अब भी तैयार नहीं थी उसपर नौकरी का भूत जो सवार था।

       सोनल घर में काफी विरोध कर रही थी लेकिन पवन जी तो मन ही मन पक्का कर चुके थे शादी करने को। लेकिन असलियत कुछ और थी आयुष इस शादी को तैयार नहीं था क्योंकि वो किसी और को पसंद करता था । पापा के जबरदस्ती से ही वो सोनल से मिलने गया था और कुछ न बताने का प्रामिस भी लिया था निरंजन जी ने बेटे से ।

बेटा जिस लड़की को पसंद करता था उसे निरंजन जी और निर्मला जी अपने घर की बहू नहीं बनाना चाहते थे।और बेटे से कह दिया था कि तुम्हारी शादी वहीं होगी जहां मैं चाहूंगा नहीं तो जायदाद से बेदखल करके सबकुछ इशिता के नाम कर दूंगा ।इधर सोनल किसी तरह तैयार नहीं हो रही थी वो अपने मामा से भी सलाह लें रही थी ।

औलाद – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा

फिर हार कर नीलिमा जी ने अपने भाई को फोन किया कि भांजी को समझाओ अच्छा रिश्ता है ।भाई ने कहा दीदी अभी सोनल पढ़ना चाहती है तो पढ़ने दो लेकिन तुम्हारे जीजाजी चाहते हैं कि अच्छा रिश्ता मिल रहा है तो कर दो शादी।अब नौकरी करना जरूरी तो नहीं है ।सब तरफ से दबाव पड़ने पर आखिर सोनल मान ही गई।

                     उधर आयुष पर भी उसके पापा का बहुत दबाव था बेटा बार बार मना कर रहा था इसी टेंशन में निरंजन जी को हाटअटैक आ गया था इलाज कराना पड़ा तो आयुष को न चाहते हुए भी बात माननी पड़ी। शादी तय हो गई ,आज सोनल मामा के साथ यूनिवर्सिटी गई थी शादी का कार्ड बांटने ।तो जब सोनल ने साहिल को कार्ड दिया तो वो बड़े मायूस होकर बोला अरे सोनल तुम शादी कर रही हो तुम तो

पढ़ाई पूरी करके नौकरी करना चाहती थी न हां यार करना तो चाहती थी पर ,,,,,,,।सोनल के मामा ने भांप लिया कि ये लड़का सोनल को पसंद करता है लेकिन बात मन में ही रखी ।सोनल और आयुष की शादी हो गई।

              शादी के बाद पहली रात को ही आयुष ने सोनल से कह दिया कि देखो सोनल मैं किसी और को पसंद करता हूं हमारी शादी जबरदस्ती हुई है मैं तुमको पसंद नहीं करता ।सोनल भौंचक्की होकर पूछने लगी क्या अंकल आंटी को ये बात पता है हां उन्हें पता है तो फिर मेरी जिंदगी क्यों बर्बाद कर दी ।

आयुष की बड़ी बहन इशिता कनाडा से शादी के लिए आई थी । सुबह-सुबह देखा कि आयुष सोफे पर सो रहा है तो मां को बताया । मां ने बहुत डांटा आयुष को कि देखो अब तुम्हारी शादी हो गई है भूल जाओ उसको ।

इतने में सोनल भी बाहर आ गई और बोली आंटी जी जब आपको पता था कि आपका बेटा किसी और को पसंद करता है तो ये शादी फिर क्यों की ‌।अरे बेटा वो कुछ दिन में भूल जाएगा तुम थोड़ा प्यार से उसका दिल जीतने की कोशिश करो।

            कौन सा प्यार आयुष तो ढंग से बात ही नहीं कर रहा है ।और बराबर अपनी गर्लफ्रेंड से बात करता रहता है।सोनल बहुत परेशान हो गई ये क्या हो गया । निरंजन जी को जब ये पता लगा तो उन्होंने आयुष की गर्लफ्रेंड को फोन करके ब बहुत डांटा और बोला उसकी शादी हो गई है दूर हो जाओ तुम उससे ।एक हफ्ता हो गया और आयुष सोनल के नजदीक भी नहीं आता था ।

दृष्टिकोण – पुष्पा जोशी

आज इशिता के साथ सोनल बाजार गई तो वहां एक काफी शाप पर आयुष और उसकी गर्लफ्रेंड काफी पी रहे थे ।घर आकर सोनल ने आयुष से पूछा तो वो बोला अच्छा मेरी जासूसी मत करो ।सोनल प्यार से समझाने की कोशिश कर रही थी तो आयुष ने उसका हाथ झटक दिया जिससे सोनल गिर गई और उसके माथे पर चोट लग गई । आवाजें सुनकर निर्मला जी कमरे में आई और सोनल को संभाला ।

             सोनल ने घर आकर अपने मम्मी पापा को सबकुछ बताया तो वो सकते में आ गए ।पवन जी ने निरंजन जी के घर जाकर बात की जब आपको सब पता था तो क्यों शादी की उसकी ।

देखिए पवन जी सोनल मेरी बेटी की तरह है कुछ दिन दे आप सब ठीक हो जाएगा मेरी बात का विश्वास करें ।अब पवन जी कुछ कर तो सकते नहीं थे ।घर आकर सोनल को समझाया देखो बेटा धीरे धीरे आयुष को अपनी तरफ मोडों थोड़ा प्यार से रहो तो ठीक हो सकता है और फिर से सोनल को ससुराल भेज दिया ।

            आज निरंजन जी ने आयुष को धमकी दी कि मैं तुम्हें अपनी जायदाद से बेदखल कर दूंगा यदि तुमने सोनल को न अपनाया तो इतना सुनते ही आयुष गुस्से से कमरे में आया और सोनल के बाल पकड़कर कहने लगा तुम चली क्यों नहीं जाती यहां से । इसी तरह एक महीने बीत गए सोनल के सास ससुर उसको रखना चाहते थे लेकिन आयुष रस्ते पर नहीं आ रहा था ।

इसी टेंशन में सोनल ने रात को अपने ससुर के दवाई में से नींद की गोलियां निकाली और खा ली ।सुबह जब सोनल उठी नहीं तो देखा सोनल बेहोश पड़ी है और आयुष कमरे में नहीं है ।

तुरन्त सोनल को अस्पताल ले गए । डाक्टर बोले काफी देर हो गई है देखते हैं जान भी जा सकती थी।पवन जी पश्चाताप के आंसू रो रहे थे क्यों बेटी को दोबारा वहां भेज दिया । मैंने खुद ही बेटी को मौत के मुंह में धकेल दिया ।इसका प्रायश्चित कैसे करूंगा मैं ।

                आज सोनल मौत के मुंह से निकल कर घर आ गई है ।पवन जी बेटी का हाथ पकड़ कर रो रहे हैं मुझे माफ़ कर दे बेटा आज तो मैंने तूझे खो दिया था बेटा । तेरे बगैर ये तेरा बाप कैसे जिंदा रहता। फिर आंसू पोंछते हुए पवन जी बोले बेटा इन बातों को एक बुरा सपना समझ कर भूल जा और नई जिंदगी शुरू कर ।

खडूस चौधरी – आरती झा आद्या

अपनी पढ़ाई पूरी करके तूझे जो करना है कर अब मैं तेरी मर्जी के बगैर कुछ नहीं करूंगा ।और बेटा मैं आज ही वकील से मिलकर तलाक के पेपर तैयार करवा रहा हूं इस रिश्ते से छुटकारा पाने को ।सोनल के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान देख कर पवन जी को सुकून आया । बेटा यही मेरा सबसे बड़ा प्रायश्चित होगा।

                सोनल पढ़ाई पूरी करके अपने दो और साथी के साथ वेडिंग प्लानर का काम शुरू किया है ।उसी सिलसिले में आज सोनल कहीं वेडिंग सेट लगवाने गई थी तो वहां उसको साहिल मिल गया अरे सोनल तुम हां और साहिल तुम यहां कैसे मेरे दोस्त की शादी है उसी में आया हूं अच्छा।और तुम बताओ कैसी चल रही है

शादी वाली जिंदगी कैसी शादी साहिल मेरा डायवोर्स हो गया अरे साहिल चौंका । फिर साहिल किसी न किसी बहाने से सोनल से मिलता रहता और एक दिन साहिल ने अपने मन की बात सोनल को बता दी ।सोनल यूनिवर्सिटी टाइम से मैं तुम्हें पसंद करता था क्या तुम मुझसे शादी करोगी । देखो साहिल अभी मैं इस बारे में नहीं सोचना चाहती । लेकिन सोचना जरूर हां ज़रूर ।

              और कुछ समय बाद सोनल ने साहिल से शादी कर ली और दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

27 मई

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