अंजलि… चलो यहां से, मैं नहीं चाहता सेठ दामोदर प्रसाद की इकलौती बेटी इन फटेहलो के यहां पर अपनी जिंदगी बर्बाद करें। मैंने तुमसे पहले भी कहा था की प्रणय तुम्हें वह सारी सुख सुविधा नहीं दे सकता जो तुम्हें अपने पापा के घर में मिली है और ऐसा कहकर दामोदर जी अपनी बेटी को उसके ससुराल से जबरदस्ती अपने घर ले आए।
अंजलि.. दामोदर प्रसाद जी की इकलौती बेटी, बड़ी नाजो और लाड प्यार से पली थी। जैसे कि हर मां-बाप चाहते हैं उनकी बेटी को ससुराल में वह सारी सुख सुविधा मिले कि उसे कभी अपने मायके की याद भी ना आए किंतु सोचा कभी किसका पूरा हुआ है जो दामोदर प्रसाद जी का होता।
अंजलि जब युवावस्था में आई तब वह शहर के सबसे बड़े कॉलेज में अध्ययन के लिए गई। इस उम्र में युवा होते बच्चों के सपने भी सुंदर और रंगीन होते हैं, इन्हें अपने अच्छे बुरे का होश भी नहीं रहता। अंजलि को कॉलेज छोड़ने के लिए कार से एक ड्राइवर ले जाया करता था, कहने को वह ड्राइवर था किंतु देखने में इतना हैंडसम और बातें उसकी इतनी चुलबुली और प्यारी होती कि किसी को भी आकर्षित करने के लिए वह काफी था और अंजलि भी इस सबसे कैसे दूर रहती।
रोज अंजलि ड्राइवर प्रणय के साथ कॉलेज जाती और धीरे-धीरे करके पीछे की सीट से आगे की सीट पर बैठने लगी। आधे घंटे के कॉलेज के रास्ते के दौरान दोनों अपनी दुनिया जहां की बातें करते रहते और धीरे-धीरे उन्हें महसूस हुआ कि वह दोनों ही एक दूसरे को बेइंतहा चाहने लगे हैं, किंतु प्रणय को डर था… कहां अंजलि उनके सेठ जी की इकलौती बेटी और कहां वह जिसके पास अपना कोई ढंग का मकान भी नहीं था, किंतु प्रेम तो अंधा होता है, एक दिन अंजलि ने अपने पिता दामोदर प्रसाद जी से कह दिया…
मैं प्रणय से प्रेम करती हूं और उसी से शादी करना चाहती हूं! तब दामोदर जी ने साफ इनकार कर दिया.. नहीं.. मैं तुम्हें उस ड्राइवर से शादी नहीं करने दूंगा, अरे! हमारे स्टेटस और उसके स्टेटस में जमीन आसमान का अंतर है, जब लोग यह देखेंगे तो हमारी सारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी! किंतु बहती हवा को कौन रोक पाया है.. और अंजलि ने भी तमाम विरोधों के बाद बावजूद प्रणय से कोर्ट मैरिज कर ली और उसकी दुल्हन बनाकर ससुराल आ गई !
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प्रणय और ससुराल वाले उसे हमेशा खुश रखते और उसे किसी भी चीज की कमी नहीं होने देते! अंजली बहुत समझदार थी, उसने अपने आप को ससुराल के माहौल में ढाल लिया किंतु दामोदर जी से अपने इकलौती बेटी का इस हाल में में रहना नहीं सुहा रहा था ,जबकि अंजलि की मां ने उन्हें कई बार समझाया की अंजलि प्रणय के साथ खुश है! प्रणय अच्छा लड़का है
और वैसे भी जब अंजलि हमारी इकलौती बिटिया है तो हमारा सारा बिज़नस भी अपने आप ही प्रणय और अंजलि का हो जाएगा किंतु दामोदर जी को किसी की कोई बात नहीं सुनाई देती थी! और वह अंजलि के ससुराल जाकर जबरदस्ती अंजलि को घर ले आए और अंजलि से कहा…..
देखो बेटा, यह पूरी शान औ शौकत, आलीशान घर, गाड़ी सब तुम्हारा है, तुम इसको ठोकर मार कर उन फटेहालों के यहां पर कैसे रह सकती हो? मैं तुम्हें प्रणय से तलाक दिलवा कर एक अच्छे एनआरआई लड़के से तुम्हारी शादी करना चाहता हूं! और यह सुनते ही अंजलि भड़क गई और तब उसने अपने पापा से कहा….
पापा मैं प्रणय के साथ बहुत खुश हूं और चाहे जैसी भी परिस्थिति हो प्रणय हमेशा मेरा साथ देगा! मुझे किसी तरह की कोई तकलीफ वहां पर नहीं है, अगर आप सोचते हैं कि पैसों से ही खुशियां खरीदी जा सकती हैं तो यह आपका भ्रम है। “ना मुझे आपका पैसा चाहिए और ना आपकी संपत्ति”। मुझे आपका किसी भी प्रकार का लालच प्रणय से दूर नहीं कर सकता और ऐसा कहकर अंजलि अपने ससुराल को भाग गई!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
#ना मुझे आपका पैसा चाहिए ना आपकी संपत्ति!