निर्णय (भाग 14) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

शीर्षक निर्णय

रोहित बाहर जाते जाते  सोचता है ,पता नहीं आज के इस व्यवहार से नेहा उसके बारे में क्या सोचेगी ।

इतने में अंजलि के फोन से उसकी तंद्रा भंग होती है ,और अंजलि उस के लंच पर घर ना आने का कारण पूछती है ,

रोहित उससे कह देता है कि उसने एक मित्र के साथ लंच कर लिया है और वह बस अब घर आने ही वाला है और हंसते हुए कहता है सिर्फ लंच किया है पेट नहीं भरा ,वह तो सिर्फ अंजलि के हाथ के  बने खानेे से ही भरता है । अंजलि यह सुनकर हंसने लगती है

रोहित को यह बात अच्छी तरह से पता थी कि अंजलि ने भी अभी तक खाना नहीं खाया होगा ।

और वह सीधे घर की तरफ कार मोड़ लेता है ।

नेहा मन ही मन सोचती हैं अचानक से यू उठकर जाना अजीब आदत है सर की, क्या हम किसी के घर से जाते हैं तो कहना गुड मेनर नहीं होता ।

और उसी थोड़ा सा गुस्सा भी आता है । शायद उसके मन का गुबार पूरी तरह से नहीं निकला था । लेकिन फिर वह रोजी को खाना खिलाने में लग जाती है और वह उस बात को फिर भूल जाती है ।

रोहित सीधे घर पहुंच कर अंजलि से कहता है ,कि मेरा पेट नहीं भरा मुझे तुम्हारे हाथ का खाना  खाना है ।

अंजलि मुस्कुराते हुए कहती है जब मेरी ही हाथ से खाने से पेट भरता है तो तुम अपने फ्रेंड को भी यहां ले आते हम साथ मिलकर खाना खा लेते

रोहित मुस्कुराते हुए कहता है अगली बार से में भी ध्यान रखूंगा अब जब कभी मेरा क्लाइंट होटल में डिनर के लिए बोलेगा या लंच के लिए बोलेगा तो मैं उसे सीधे घर ले आऊंगा पर यह ध्यान रखना तुम परेशान ना हो जाओ, अंजलि हंसती हुई कहती है इतनीभी ज्यादा मैं नाजुक नहीं हूं और दोनों खिलखिला कर हंसने लगते हैं ।

रोहित के मन में यह विचार बार-बार आ रहा था ,कि नेहा मेरे बारे में क्या सोचेगी ,आज मैं दूसरी बार उससे बिना कुछ कहे उठ कर आ गया, लेकिन फिर वह सोचता है कि नेहा पढ़ी-लिखी और समझदार है , ठीक है उसके पास कोई ज्यादा डिग्री वाली पढ़ाई नहीं है ,लेकिन उसके बाद भी उसके पास संस्कार की पढ़ाई और आत्मविश्वास का सबक है ,लेकिन वह इस बात से जरूर चिंतित है कि वह बहुत भोली है उसके भोलेपन का फायदा कहीं कोई उठाना ले ।

काफी समय से अंजलि और नेहा की कोई बात नहीं हुई थी इसलिए अंजलि थोड़ी परेशान थी वह बार-बार मन में सोच रही थी कि कहीं यह दोबारा बीमार तो नहीं हो गई ।

नेहा अंजली से मिलना तो चाहती है लेकिन रोहित की वजह से वह सकुचा कर रह जाती है उसी मन ही मन ऐसा लगता है कि कहीं रोहित यह ना सोचें कि मैं पैसों के लिए यह सब कर रही हूं ।

अंजली नेहा को फोन लगा कर कहती है क्या बिल्कुल हमें भूल गई घर आ जाओ आज अंजलि पूरे अधिकार से नेहा से कहती है

नेहा को भी इस तरह के अधिकार जताना मन ही मन बहुत अच्छा लगता है और वह कहती है दीदी आज मैं जरूर आऊंगी फिर अचानक से ख्याल आता है ऑटो की तो हड़ताल है वह जाएगी कैसे तबाह अंजलि से कहती है आज तो नहीं आ पाऊंगी ऑटो की हड़ताल है मैं कल जरूर आऊंगी ।

अंजली रोहित को फोन लगा कर कहती है कि आज आते समय नेहा को और रोजी को घर लेकर आना, काफी समय से मेरी मुलाकात नहीं हुई , रोहित हसते हुए कहता है, जो हुकुम मेम साहब

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