निर्णय (भाग 12) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

निर्णय

नेहा अंजलि के घर रुक कर कुछ दिनों में पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाती है इस बीच रोजी रोहित और अंजलि इन तीनों की बाउंडिंग काफी के अच्छी हो जाती है , क्योंकि रोज ही ज्यादातर समय अंजलि और रोहित के साथ बिताती थी नेहा टेबलेट खाकर अक्सर सोती रहती थी ,

लेकिन नेहा अपनी सवालों का जवाब जानने के लिए अक्सर बेचैन रहती थी ,अब उसे इतना तो समझ में आ गया था, कि रोहित ने अंजलि को बैंक के लोन के बारे में पूरी बात नहीं बताई है , क्योंकि अंजलि ने अभी तक उनका जिक्र नहीं किया था।

1 दिन नेहा ने अंजलि से उस टेस्ट की रिपोर्ट के बारे में पूछा जो अंजलि और नेहा डॉक्टर सरिता कहां कराने गई थी , अंजलि मुस्कुराते हुए नेहा से कहती है कि पहले अपनी तबीयत बिल्कुल ठीक कर लो उसके बाद हम कुछ और सोचेंगे , ना हम कहीं जा रहे हैं और ना ही तुम कहीं जा रही हो , अब नेहा पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी थी , और वह अंजलि से घर जाने के लिए कहती है उसे रोकने का प्रयास करती है लेकिन नेहा घर जाने की जिद पर अड़ जाती है , ड्राइवर के साथ नेहा घर आ जाती है ।

घर आकर देखती है कि सारा घर अस्त-व्यस्त हो रहा है और घर में बहुत डस्ट भी हो गई, वह घर की साफ सफाई में लग जाती है , सारा घर साफ करने के बाद नेहा मार्केट से अपने खाने पीने के लिए सामान लेने जाती है ,  मार्केट में अचानक उसे ऐसा लगा कोई जानी पहचानी आवाज में भाभी जी कहकर कोई उसे ही आवाज दे रहा है वह पीछे मुड़कर देखती है तो वहां उसे राकेश का बहुत पुराना दोस्त अमन नजर आता है , नेहा उसे देख कर आश्चर्य मैं आ जाती है , क्योंकि उसने उनके  बारे में  कोरोना में उनकी डेथ की खबर सुनी थी ।

नेहा को आश्चर्यचकित देखकर राकेश का दोस्त हंसकर कहता है ,लगता है भाभी जी आपने भी कोई भूत देख लिया मुझे जो भी कोई यहां देख रहा है ,वह ऐसे ही डरावना सा चेहरा बना लेता है ,अरे !मैं जिंदा हूं मरा नहीं हूं ।

उसकी बात सुनकर नेहा एकदम से झेंप जाती है , पर मुस्कुराते हुए कहती है नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं है ।

मेरी हालत ज्यादा खराब होने के कारण मैं गांव चला गया था, , पूरे 1 साल बाद वापस लौटा हूं अब, राकेश का दोस्त नेहा से कहता है ,

और आप अकेली कैसे मेरा यार कैसा है, कहां है वह  तो आपको कभी भी मार्केट भेजना पसंद नहीं करता था , आप मार्केट में और वह भी रोजी के साथ ,

नेहा उसको आश्चर्य से देखती है और उदास होते हुए कहती है ,आपका दोस्त मुझसे से हम सब से इतना दूर चला गया अब उसका वापस आना संभव नहीं है ,राकेश का दोस्त हैरानी से नेहा को देखता है , और कहता है यह आप क्या कह रही है भाभी नेहा दुखी होकर कहती है ,जब आपको कोरोना हुआ था ,उसके कुछ दिनों के बाद राकेश भी पॉजिटिव हो गए थे ,लेकिन वह अस्पताल गए तो फिर घर वापस ही नहीं आए ।

अमन नेहा से पूछता है उसके घर का क्या हुआ नेहा कहती है मतलब ??

अमन नेहा से कहता है अब तो आपको अपने घर और गाड़ी की लोन की किस्त चुकाने में बहुत दिक्कत आएगी, क्योंकि राकेश ने घर और कार को गिरवी रख के पच्चीस लाख रुपए कल्लू भाई जान से लिए थे उसकी बहन की शादी थी , अब आप अकेली कार और घर टीचर्स डे कैसे चुका पाएंगे आप चाहो तो यह घर बेचकर कोई छोटा सा घर खरीद लेना जहां आप पर कोई लोन बकाया ना हो , यह बैंक वाले किसी के सगे नहीं होते , नेहा चुपचाप खड़ी रहती है और अमन को देखती है लेकिन वह उससे कुछ भी नहीं कहती,   और चुपचाप से हां कर देती है और अमन को घर पर बुलाते हुए वहां से अपने घर के लिए रवाना हो जाती है ।

घर आकर नेहा सोचती है कि मकान और कार को उसके नाम करने के लिए लाखों रुपए देने  पड़े होंगे ।

सोचते सोचते उसका दिमाग शून्य  में चला जाता है , वह कुछ सोच ही नहीं पाती , लगता है जैसे किसी ने उसके सोचने समझने की शक्ति छीन ली हो, नेहा घबरा जाती है कि आखिर उससे यह लोग क्या चाह रहे हैं कहीं कोई इन लोगों की यह प्लानिंग तो नहीं , इतना पैसा कोई किसी के लिए बिना मतलब के क्यों देगा । अब उसको लगने लगता है कि उसे रोहित से स्पष्ट बात कर लेना चाहिए और अगर मौका आए तो अंजलि से भी वह स्पष्ट बात करेगी ।

नेहा रोहित को फोन करके घर पर बुलाती है ।

वहां रहती हुए वह रोहित की पसंद और नापसंद बहुत कुछ जान गई थी तो उसने लंच पर रोहित की पसंद का खाना बनाया था ,दाल चावल रायता सब्जी चटनी सलाद और रोटी रोहित अक्सर सिंपल और सादा ही खाना खाता था ।

रोहित नेहा के घर आता है ,तो नेहा गेट पर ही रोहित का  मुस्कुराते हुए वेलकम करती है,

रोहित मुस्कुरा कर अंदर आता है ,और आते ही ही वह रोजी के बारे में पूछता है ,नेहा कहती है अभी खाना खाकर वह सोई है ।

नेहा रोहित से कहती है सर आइए लंच टाइम है ,आप यहां पर ही लंच कर लीजिए।

रोहित आश्चर्य से कहता है क्या मुझे लंच पर बुलाया है ।

नेहा मुस्कुराते हुए हां कर देती ।

रोहित कहता है मुझे अकेले को

अपनी दीदी को लंच पर नहीं बुलाया , अगर दीदी को पता लगा कि मैं अकेले लंच पर आया हूं तो तुम्हें बहुत डांट पड़ने वाली है ।

नेहा व्यंगात्मक मुस्कुराहट के साथ रोहित से कहती है कि आप हर बात कहां दीदी को बताते हैं ,तो यह वाली बात भी उन्हें मत बताइएगा कि आप यहां लंच पर आऐ थे ।

रोहित उसके चेहरे की मुस्कुराहट के साथ उसके शब्दों की गहराई का अर्थ लगा लेता है ,और बिना कुछ बोले टेबल पर बैठ जाता है ,वह अच्छी तरह से समझ चुका था कि नेहा जरूर उससे कुछ महीनों जानना चाहती है ,उसने ऐसे ही उसे लंच पर नहीं बुलाया है क्योंकि वह तो उस घर में रहकर भी कभी उससे बात करने की कोशिश नहीं करती

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