नाराजगी, खुशियों से बड़ी नहीं होती- हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : आज घर की इकलौती बिटिया सोनल की लगन होने जा रही थी, सगाई भी शाम को थी, सारे मेहमान आ चुके थे। सोनल भी बिल्कुल गुड़ियों की रानी की तरह लग रही थी। सोनल की मां रेवती अपने आंसू को भरसक छुपाने का प्रयत्न कर रही थी किंतु आंसू थे कि बार-बार आ ही जाते थे। चार-पांच दिन बाद सोनल इस घर से विदा हो जाएगी।

जब सोनल का जन्म हुआ घर में कितनी खुशियां थी, पूरा घर उसकी खुशियों की  नजरे उतारता था। बहुत वर्षों के बाद में उनके घर में बिटिया ने जन्म लिया था! दादा दादी, ताऊजी ताई जी, चाचा बुआ का पूरा भरा पूरा परिवार था। किंतु पता नहीं क्या हुआ.. सोनल के पापा और ताऊजी में छोटी सी  कहासुनी के चलते एक घर दो घरों में बंट गया।

ताऊ जी पड़ोस में ही दूसरा मकान बनवाकर रहने लगे। चाचा बुआ की भी शादी हो गई। चाचा की नौकरी के चलते चाचा का परिवार दूसरे शहर में रहता था और बुआ बेंगलुरु में अपनी ससुराल में रहती थी। आज सोनल की लग्न वाले दिन सब बाहर से खुश होने पर भी अंदर से खुश नहीं थे, क्योंकि जहां सारा परिवार इकट्ठा था

वही सोनल के ताऊजी का परिवार इस शादी में नहीं आ रहा था, और जब परिवार के पूरे सदस्य ही घर की शादी में ना आए तो फिर उस शादी का मजा पूरा हो ही नहीं सकता। सोनल अपने बड़े पापा बड़ी मम्मी को याद कर रही थी! सोनल की बस एक ही इच्छा थी कि उसकी शादी में उसका परिवार एक साथ हंसता दिखाई दे

ताकि वह अपने ससुराल जाते समय यहां की अच्छी-अच्छी यादें अपने साथ ले जा सके! लग्न का मुहूर्त 10:00 बजे का था, सोनल के पापा मम्मी सुबह ही अपने बड़े भाई साहब भाभी जी को मनाने के लिए चले गए, कितनी कोशिश की उन्होंने की सोनल को  ताऊजी का आशीर्वाद मिले ताकि आने वाली उसकी जिंदगी खुशियों से महकती रहे,

किंतु वहां सोनल के ताऊजी ताई जी ने रेवती और महेंद्र जी को बहुत भला बुरा कहा और सारी पुरानी बातें लेकर बैठ गए। तब महेंद्र जी ने कहा.. देखिए भाई साहब जो हो गया वह पुरानी बातें थी, आज आपकी बिटिया सोनल जो आपकी लाडली बेटी हुआ करती थी उसकी लगन सगाई है, अगर आज आप नहीं पहुंचे तो सोनल इस शादी में कैसे खुश रहेगी?

उसने आपको हमेशा से मुझ से भी ज्यादा प्यार किया है! हमेशा बड़े पापा बड़ी मम्मी करके आपके आगे पीछे नाचती रही है, और आपने भी तो भाई साहब उसकी हर इच्छा पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तो क्या आप अपनी बिटिया को आशीर्वाद भी नहीं देंगे। आपको पता है ना.. अपने पूरे परिवार में गुड्डू (सोनल की बुआ) के अलावा बाद यह इकलौती बेटी है,

उसका कितना मन है कि उसकी शादी में इसके बड़े पापा, चाचू बुआ सभी साथ हो और भाई साहब चाहे आप हमसे कितना भी रूठ जाए पर कम से कम अपनी बिटिया की खातिर तो कृपया आए ! पता है भाई साहब आपने उसकी कितनी सारी शैतानियां हमें पता भी नहीं चलने दी, सिर्फ आपकी गोदी में ही बैठकर खाना खाती थी,

आपसे ही अपनी जिद मनवाती थी ।नहीं…. मुझे तुम्हारे घर में पैर भी नहीं रखना और तुम भी यहां से चले जाओ, दोबारा मत आना। अरे .. मनाओ जाकर खुशियां, हम कौन होते हैं तुम्हारे लिए..? अब तुम्हारा और हमारा कोई रिश्ता नहीं है? क्या हम नहीं आएंगे तो तुम्हारी बेटी की शादी नहीं होगी..? 

जाओ करो धूमधाम से अपनी  बेटी की शादी! महेंद्र रेवती, विशंभर जी की ऐसी बातें सुनकर आंखों में आंसू लिए घर लौट आए! पंडित जी बार-बार मुहूर्त निकलने की बातें बोल रहे थे, मुहूर्त बीता जा रहा था, किंतु सोनल चौकी पर बैठने के लिए तैयार ही  नहीं हो रही थी! सब समझा समझा कर हैरान हो गए किंतु सोनम को पूरा विश्वास था की उसके बड़े पापा बड़ी मम्मी और उनका पूरा परिवार इस शादी में जरूर आएगा।

आधा एक घंटा बीत गया अब तो सोनल को भी लगने लगा कि शायद उसकी शादी बड़ों के आशीर्वाद के बिना ही होगी। जैसे ही वह लग्न में  बैठने लगी तभी उसके बड़े पापा की आवाज सुनाई दी… क्यों बिट्टू.. मेरी चिड़कली.. मेरे आशीर्वाद के बिना ही ससुराल चली जाएगी क्या? अरे तेरे बड़े पापा मम्मी क्या अपनी लाडो की शादी का कोई भी फंक्शन छोड़ सकते हैं? हां हमें नाराजगी थी, लेकिन तेरी खुशियों से बड़ी कोई नाराजगी नहीं!

अरे भाई पंडित जी…. अब शुभ मुहूर्त में क्यों देरी कर रहे हो? मेरी लाडो की धूमधाम से शादी होगी और ऐसी शादी होगी की पूरा शहर देखेगा और तब बड़ी मम्मी ने उसके काजल का टीका लगाते हुए कहा… मेरी सोन चिरैया को किसी की बुरी नजर ना लगे, भगवान मेरी उम्र भी मेरी बिटिया को लग जाए और तभी बैंड की मधुर आवाज बजने लगी!

अंदर बैठी औरतें लगन और बन्नी के मधुर मधुर गीत गाने लगी! सोनल की आंखों में खुशी के आंसू आने लगे। सोनल क्या.. वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख में आंसू थे! दोनों भाई राम भरत की तरह गले मिल रहे थे और दोनों देवरानी जेठानी तो ऐसे हंस बोल रही थी जैसे कभी कुछ हुआ ही ना था। फिर से यह घर घर लग रहा था।

बिना अपनों के घर भी कोई घर होता है क्या..? वह तो सिर्फ एक मकान होता है! जहां रिश्ते फलते फूलते हैं वह घर चाहे छोटा हो या बड़ा, मायने नहीं रखता! बस मायने रखती हैं खुशियां और आज सोनल को उसके हिस्से की सारी खुशियां एक साथ मिल गई!

   हेमलता गुप्ता स्वरचित

  #घर

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