मम्मी मिल गई – सुधा जैन

अनाया बहुत ही प्यारी सी लड़की है ।अपना एजुकेशन कंप्लीट करके बैंक में काम करने लगी है। अपने पापा और मम्मी दोनों की लाडली थी। अनाया के पापा ने लव मैरिज की थी, इस बात को ना तो अनाया के  पापा के परिवार वाले स्वीकार कर पाए और ना मम्मी के, इसलिए उसे ना तो नाना नानी का प्यार मिला, ना दादा दादी का ।

अपनी  सहेलियों को जब अपने कजिन  को बातें करते हुए देखती तो मन में एक टीस सी उठती।” काश मेरा भी ऐसा भरा पूरा परिवार होता “

लेकिन सभी को सब कुछ कहां मिल पाता है?

परिवार से अनाया के पापा ने दूर शहर में अपना ट्रांसफर करवा लिया था ,ताकि स्मृतियां पीछा ना कर सके।

अनाया की मम्मी भी पढ़ी लिखी थी ,और कॉलेज में पढ़ाने  लगी। जय  अनाया  दसवीं कक्षा में थी, तभी उसकी मम्मी स्कूटी से घर आ  रही थी, और एक ट्रैक्टर की टक्कर में सिर पर गहरी चोट आई और वे इस दुनिया से विदा हो गई।

अनाया और उसके पापा पर तो जैसे पहाड़ टूट गया। बहुत टूट गए दोनों, लेकिन यह जो जिंदगी है ना वह चलती रहती है ।

थोड़े दिनों तक पापा खुद ही सब कुछ काम करने लगे ,फिर धीरे-धीरे काकी मिली, उम्र होगी 62 वर्ष, गरीबी की मारी हुई थी, सभी काम करने लगी।

समय बीतता रहा ,अनाया की बैंक में जॉब लग गई।


अनाया के पापा चाहते थे, अब बिटिया की शादी कर दूं ,लेकिन अनाया के बगैर 1 दिन भी रहने की कल्पना नहीं कर पा रहे थे।

अनाया अपने पापा मम्मी की लव  मैरिज से इसलिए डरी हुई थी, क्योंकि उसे लगता था कि बहुत सारे रिश्ते पीछे छूट जाते हैं। अनाया के बैंक में ही नीरज भी काम करते हैं, वे मन ही मन अनाया को  पसंद करने लगे। लेकिन अनाया  कोई रुचि नहीं ले रही थी। एक दिन  उसके टेबल के पास आकर बोले” मुझसे शादी करोगी”

अनाया बोली” मुझे लव मैरिज नहीं करना है “

नीरज हंसकर बोले “लव मैरिज करने का कौन कह रहा है? मैं तो अरेंज मैरिज करने का कह रहा हूं। तुम्हारी स्वीकृति हो तो मेरे पापा मम्मी को तुम्हारे यहां भेजूं”

अनाया मुस्कुरा पड़ी। उसकी मुस्कुराहट को ही स्वीकृति मानकर नीरज ने अपने पापा मम्मी से बात की, और अनाया के पापा से बात करके अनाया को देखने दिखाने का कार्यक्रम रखा गया।

नीरज उसकी दो बहनें,  पापा मम्मी सभी अनाया के घर पर आए। अनाया के पापा ने सभी का स्वागत सत्कार किया ।अनाया अपने ड्रेस बदल रही थी, तभी नीरज की मम्मी ने कहा “हम अनाया को जींस टॉप में भी देख सकते हैं।

अनाया ड्राइंग रूम में आई, वैसे ही  उसे देखते ही रह गए ।अनाया थी भी बहुत सुंदर।

नीरज की मम्मी उसके पास आई प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा, और शगुन के स्वरूप उसे उपहार दिया, और अपने गले से लगा लिया।


अनाया की मम्मी खीर बहुत अच्छे से बनाती थी, आज भी अनाया ने  अपने पापा और काकी के सहयोग से खीर बनाई थी ।सभी ने बहुत ही मन से खीर  खायी,और प्रशंसा भी की।

थोड़े दिन बाद ही शादी का मुहूर्त निकल आया। अनाया ससुराल आ गई, अपने पापा को छोड़कर, उसे बहुत बुरा लग रहा था, वह सोचने लगी” ईश्वर ने क्या रीत बनाई है ,जिस घर में बचपन बिताया ,उसे छोड़ कर आना कितना कठिन होता है “।

ससुराल की दीवारें उसे अपरिचित लग रही थी।

नीरज प्रेम भरी नजरों से उसे देख रहे थे। इतने में नीरज के बहन आकर बोली” भाभी आज  आपको किचन में प्रवेश करना है और अपने हाथों से कुछ मीठा बनाकर सभी को खिलाना है, क्योंकि बाद में सभी मेहमान चले जाएंगे, अतः मुंह दिखाई के साथ साथ वह  रस्म में भी हो जाएगी। अनाया नीरज की बहन के सहयोग से तैयार होकर नीचे आई। पिंक साड़ी में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी ,जैसे ही परिवार के सभी रिश्तेदारों ने उसे देखा ,देखते ही रह गए। नीरज की मम्मी प्यार से बोली” अनाया किचन में आज क्या बना कर खिलाओगी हमें”?

“खीर बनाऊंगी”

अनाया बोली।

बाकी सारा खाना तो बाहर महाराज जी बना रहे थे। नीरज की मम्मी उसे खीर में बनने वाली सभी सामग्री देकर बाहर मेहमानों मे व्यस्त हो गई। अनाया ने दूध उबलने रखा, चावल डालें और पास में  स्टूल पर बैठ गई। शादी की थकान तो थी ही, हल्की सी झपकी लग गई और दूध पतीली में चिपक गया। हल्की सी स्मेल आने लगी,” अरे यह तो दूध के जलने की स्मेल है” नीरज अनाया के पास आकर बोले, अनाया की झपकी एकदम टूटी और घबरा गई।” अब क्या होगा”? खीर तो जल गई। नीरज ने बोला” मत परेशान हो, मैं बाजार से कुछ मीठा ले आऊंगा”


लेकिन अनाया बहुत घबरा रही थी ।इतने में ही नीरज की मम्मी आई और सब कुछ समझ गई, उन्होंने अनाया को बोला “चलो इसे दूसरे पतीले में निकालते हैं” उन्होंने खीर को सावधानीपूर्वक दूसरे पतीले में निकाला …उसमें इलायची और केवड़े का फ्लेवर डालकर अच्छे से हिला कर नीरज को खिलाया। जलने ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा था।

अनाया को बोला “बस इसे तुम मेहमानों को सर्व कर दो,  वह मेहमानों को सर्व करने लगी, खीर खाकर सभी बहुत खुश हो रहे थे। मेहमानों को खिलाने के बाद नीरज , मम्मी , अनाया, सभी खाना खाने बैठे ।नीरज की मम्मी ने अनाया को अपने हाथों से खीर खिलाई। अनाया को उस खीर में बिल्कुल अपनी मम्मी के हाथों का स्वाद लग रहा था ।उसने प्यार भरी नजरों से अपनी सासू मां की तरफ देखा। सासू मां ने उसके सिर पर हाथ फेरा  और मुंह दिखाई में सुंदर सा हार दिया। मेहमान हो चुके थे। अनाया थक गई थी ,दोपहर में  अच्छे से नींद आ गई ।

शाम को पापा का फोन आया “कैसी है मेरी प्यारी बिटिया, कैसा रहा आज का दिन, और हां मुंह दिखाई में क्या मिला, मेरी प्यारी बिटिया को ?

अनाया ने पापा  को जवाब दिया “मैं बहुत अच्छी हूं, पापा आप कैसे हैं? मुझे आपकी बहुत याद आ रही है, और हां मुंह दिखाई में “मुझे मम्मी मिल गई”

कहते हुए अनाया की आंखों में आंसू आ गए और अनाया के मुंह से “मम्मी मिल गई “।

सुनकर पापा की आंखों में गहरी संतुष्टि का भाव नजर आ रहा था।

कहानी मौलिक और अप्रकाशित

सुधा जैन

 

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