मेरे साथ जो हुआ तुम्हारे साथ नहीं होगा – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

घर में आज अंजना की बेटी की शादी थी ।बारात आने वाली थी सभी लोग बारात की आगवानी में दरवाजे पर खड़े थे । तभी बारात आ गई पंडित जी बोले दूल्हे की मां आए और दूल्हे की आरती उतारें । अंजना अपनी बहू सीमा को आवाज देने लगी अरे सीमा आरती की थाल ले आ ।

बहू आरती की थाल लिए जल्दी जल्दी आ रही थी । मुंह पर घूंघट होने के कारण सीमा का पैर फर्श पर बिछे कालीन में उलझा और वो थाल सहित गिर पड़ी । अंजना चिल्लाने लगी अरे ये क्या कर दिया देखकर नहीं चल सकती क्या । सीमा झिझकते हुए बोली मांजी वो मुंह पर पल्ला था न तो दिखाई नहीं दिया ठीक से। अंजना बोली क्या एक तू ही घूंघट करती है क्या हम लोगों ने तो सारी जिंदगी घूंघट में निकाल दिया जबतक मेरी सास थी अभी भी मेरे सर से पल्ला नहीं हटता । एक तू है तेरे से एक काम ढंग से नहीं होता।

                  पास में ही खड़ी अंजना की नन्द अंजना ने टोका क्या भाभी आप किस ज़माने में रहती है अब कौन करता है ये घूंघट वूघटं मैं पहले भी आपको समझता चुकी हूं पर आप है कि सुनती नहीं । अंजना बोली अपनी ननद से तुम लोगों ने अपनी बहुओं को बहुत छूट दे रखी है ऐसे बहूएं बिगड़ जाती है ।

अंजना की नन्द राधा ने कहा अरे छोड़ो भाभी आजकल कोई बंधन में नहीं रहना चाहता आजकल तो शादी होते ही बहुएं माडर्न डेस्र में आ जाती है ।। अंजना बोली राधा तुमने तो देखा ही है हम लोग मां जी के सामने कैसे घूंघट में रहते थे । राधा होना तो ये चाहिए कि जो हमारे साथ हुआ वो हम बहूं के साथ नहीं होने देंगे।

देखो यहां हमारी बहू भी है और लोगों की बहुएं भी है , हां ढंग से कपड़े पहनो अश्लील न लगे बोली अरे भाभी छोड़ो जमाना बदल गया आपने मां जी के सामने किया तब ये सब चलता था तो क्या जो आपके साथ हुआं वहीं बहू के साथ करोगी क्या । यदि बहू सलवार सूट पहनती हैं तो उसमें बुराई क्या है न पहनाओ बहुत माडर्न कपड़े। थोड़ी आजादी से तो जीने का सबको अधिकार है न । शादी समारोह में आई सभी महिलाओं ने राधा की बात का समर्थन किया और सभी ने फिर अंजना से कहा अरे अंजना भाभी छोड़ो ये घूंघट वूघटं।

            शादी समारोह खत्म हो गया तो अंजना बिस्तर में लेटे लेटे राधा और वहां आई सभी की बातों को सोंच रही थी कि तभी वहां राधा अपनी बहू के साथ आ गई और साथ में एक सलवार सूट भी ले आई । राधा अंजना के बहू को वो पैकेट पकड़ाती हुए बोली आज से तुम यहीं पहनोगी । सीमा झेंप रही थी और अंजना की तरफ देख रही थी,इतने में अंजना बोली राधा समाज वाले और खानदान वाले क्या कहेंगे मैंने भी तो सारी जिंदगी किया  घूंघट।

राधा बोली हां किया होगा तब ऐसा चलन था तो जो तुम्हारे साथ हुआ वहीं तुम अपनी बहू के साथ करोगी होना तो ये चाहिए कि जो मेरे साथ हुआ वो हम लोग अपनी बहू बेटियों के साथ नहीं होने दूंगी। राधा अपनी बहू से बोली जाओ जरा सीमा की मदद करो सलवार सूट पहना कर लें आओ उसको एक बार सामने आ गई तो उसकी भी थोड़ी झिझक खुल जाएगी।

           सीमा सकुचाईं सी सूट पहनकर आ गई।अरे ये क्या सीमा राधा बोली तुम फिर चुन्नी से इतना घूंघट निकाले हो चलो अभी आदत नहीं है तो थोडा सा सिर ढक लो लेकिन इतना नहीं कि गिर पड़ो ।

       फिर तो धीरे-धीरे सीमा की झिझक जाती रही और अंजना ने भी रोकना टोकना बंद कर दिया ।

अंजना आज सोंच रही थी सही ही तो कह रही है राधा क्या ये जरूरी है कि जो मेरे साथ हुआ वहीं हम दूसरों के साथ भी करें । जमाना कहां से कहां पहुंच गया है।और हम वहीं पुरानी दकियानूसी विचारों को लिए बैठे हैं । बदलाव ही समय की मांग है ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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