ममता की जीत – मंजू तिवारी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सामान को बैग में रखा जा रहा था बच्चे के लिए छोटे-छोटे कपड़े,,, अस्पताल में किन-किन चीजों की जरूरत पड़ेगी उन सारी चीजों का प्रबंध किया जा रहा था,,,  इस काम में घर के सभी लोग लगे थे क्योंकि निधि यानी मेरा सी सेक्शन से दूसरे बच्चा आने वाला था बड़ा बेटा अभी बहुत ज्यादा बड़ा नहीं था केवल 2 साल का हुआ था मुझे कुछ हेल्थ इश्यू थे इसलिए डॉक्टर ने जल्दी से जल्दी अपने परिवार को पूरा करने के लिए कहा था,,, अगर बाद में कोई समस्या आती है। तो यूट्रस को रिमूव किया जा सकता है।

मेरा बड़ा बेटा अभी बहुत छोटा ही था जिसको देखकर मुझे बार-बार उस पर प्यार  आ रहा  और मैं उसके बारे में सोच रही थी कि कल मैं इसको छोड़कर ऑपरेशन थिएटर में कैसे जाऊंगी,,, सुबह हुई डॉक्टर ने सी सेक्शन का टाइम सुबह 9:00 बजे दिया था घर से निकलने में देर हो गई ससुर जी को थोड़ा बहुत ज्योतिष का ज्ञान था तो वह अपना और आने वाले पोता,पोती का एक ही नक्षत्र चाहते थे लेकिन घर से निकलते हुए देर हो गई इसलिए डॉक्टर दूसरी सर्जरी के लिए चले गए,,,, और नक्षत्र बदल गया तो  मेरे सी सेक्शन का टाइम 2:00 बजे  निश्चित हुआ,,, दादा और बच्चे का तो नक्षत्र एक नहीं हुआ लेकिन मां बेटे का नक्षत्र अब एक जरूर हो गया था प्रभु जिसको जिस नक्षत्र में भेजते हैं ।वह तभी आता है। किसी के करने से कुछ नहीं हो सकता,,,, यह सिद्ध हो चुका था,,,,,,

मैं सी सेक्शन के लिए ऑपरेशन थिएटर में पहुंच चुकी थी और अंदर जाते हुए मेरी नज़रें मेरे बड़े बेटे के ऊपर ही थी मेरे दोनों परिवार के परिजन तथा मेरे पति भी अस्पताल में थे ऑपरेशन थिएटर में जाते हुए सभी से नजरे बचा कर मेरे पति ने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए मेरा  हौसला बढ़ाया मैंने भी उनकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया मैं यह कहना चाहती थी बस कुछ ही देर में बाहर आ जाऊंगी,, सभी लोग बहुत खुश थे ,,,

 मैं ऑपरेशन थिएटर के अंदर पहुंच गई मेरी सी सेक्शन से डिलीवरी करने के लिए मेरी रीड की हड्डी में इंजेक्शन दिया गया धीरे-धीरे मेरे हाथ पैर बिल्कुल सुषुप्त अवस्था में चले गए ,,,जिन्हें मैं चाह कर भी हिला नहीं सकती थी,,, लेकिन मेरा दिमाग अभी सक्रिय था ,,आंखें थोड़ी-थोड़ी खुली थी और मैं बोल सकती थी,,,, लेकिन हाथ पैर उठाने में मैं सक्षम नहीं थी,,, बच्चे को दुनिया में लाने के लिए मेरे उदर को खोल लिया गया ,,,डॉक्टर बड़ी खुशी से ऑपरेशन में लगे थे ,,,,

जो सर्जन थे मेरे पापा के जान पहचान के थे मैं भी उनसे  पहले भी मिल चुकी थी क्योंकि मेरी भाभी की भी सी सेक्शन से डिलीवरी हुई थी  तो सब घर जैसा ही था ,,,, डॉक्टर्स की पूरी टीम थी  सर्जरी  कर रहे थे,,,,, यह सारी बातें मेरे कानों में सुनाई दे रही थी मुझे भी लग रहा था कुछ देर में मेरे कानों में खुशखबरी सुनाई देने लगेगी,,,,, लेकिन थोड़ी ही देर में एकदम से सन्नाटा सा छाने लगा सभी लोग बड़ी चिंता ग्रस्त थे और डरने वाली बातें कर रहे थे डॉक्टर जो सर्जन सबसे बड़े थे वह कह रहे थे पता नहीं क्या है। समझ में नहीं आ रहा काफी देर हो गई है।

बेबी को पेट से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। सर्जरी के बाद भी अगर बेवी  पेट से बाहर नहीं आता है। और हम उसको बाहर निकलने में कामयाब नहीं होते हैं। तो मां बेटे को कैसे बचाया जाए गा,,,,, डॉक्टर पसीना पसीना हो रहे थे,,,, क्योंकि अब दो जाने दांव पर लगी थी,,, डॉक्टर कह रहे थे,,, ऐसी अवस्था में इन्हें कहीं बड़े अस्पताल में रेफर भी नहीं किया जा सकता,,,,,,, स्थिति करो और मारो वाली बन गई थी,,,,, यह सब मुझे कानों से सुनाई दे रहा,,,,, यह सब सुनकर मुझे अपने बड़े बेटे का मुस्कुराता हुआ चेहरा मेरी आंखों के सामने घूम रहा था,,,,,

कहीं कुछ अनहोनी हो गई तो मेरे बड़े बेटे और मेरे पति मेरे माता-पिता का क्या होगा,,,,, बड़े बेटे को तो मेरा चेहरा भी याद नहीं रहेगा,,,, और मेरे बड़े बेटे की देखरेख मेरे जैसी कौन करेगा,,,,, अभी मेरी जरूरत है। उसे,,,,, मन ही मन में भगवान से प्रार्थना कर रही थी हे प्रभु इतना बड़ा अनर्थ मत करना,,, मेरा बड़ा बेटा बड़ा मासूम है।,, जिसे मैं अभी बाहर छोड़ कर आई हूं।,,,, जो मां  मां कहता हुआ मुझे ढूंढ रहा है ।

बाहर मेरा इंतजार कर रहा है।,,,,,, सारे लोग  क्या जवाब देंगे उसे,,,,, मेरे दोनों पिता दोनों मां यानी मेरे सास ससुर और मम्मी पापा सभी तो बाहर इंतजार कर रहे हैं।,,,, मेरे माता-पिता और मेरा पति का क्या हाल होगा अगर मुझे कुछ हो जाता है।,,,,,, और मुझे दुनिया में आने वाले बच्चे की भी फिक्र थी जो मेरे साथ ही जिंदगी और मौत से लड़ाई लड़ रहा था,,,, मेरे मन में बार-बार ख्याल आ रहा था एक बेटा मेरा बाहर मेरा इंतजार कर रहा है। दूसरा बच्चा मेरे साथ मौत की लड़ाई लड़ रहा है।,,,, मेरा हृदय कांप रहा था मैंने डॉक्टर से कहा डॉक्टर साहब मुझे घबराहट हो रही है।,,

सांस लेने में परेशानी हो रही है।,,,,, डॉक्टर ने मुझे हौसला दिया घबराने की जरूरत नहीं है।,,,,, डॉक्टर ने मेरी ऑक्सीजन बढ़ा दी जिससे थोड़ा मुझे आराम महसूस हुआ,,,,, फिर मेरा मन बहलाने के लिए मुझे बातों में लगने लगे,,,, मुझे पूछने लगे आपको बीवी बॉय चाहिए या बेबी गर्ल,,,,, मैंने डॉक्टर से कहा कुछ भी हो जाए बस सकुशल होना चाहिए,,,,,, साथ में ही बच्चे को उदर से निकलने का प्रयास किया जा रहा था,,,,, मुझे अपने शरीर पर धक्के महसूस हो रहे थे,,,,,, मेरी आंखों के सामने मेरा पूरा परिवार घूम रहा था,,,,

सब बाहर कैसे मेरा खुशी-खुशी इंतजार कर रहे हैं कि कुछ देर में मैं बाहर आ जाऊंगी और यहां यह सब क्या हो रहा है।,,,,, मैं भगवान की शरण में थी प्रार्थना कर रही थी अपने बड़े बेटे के लिए और अपने उदर में जो बेटा जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहा था उसके लिए,,,,,, लंबे संघर्ष के बाद डॉक्टर बेटे को उदर से निकलने में सफल हो गए,,,,, बेटे का कोई अंग  कहीं फस गया था क्योंकि मुझे आखिरी टाइम में बहुत उल्टियां होने लगी थी,,, शायद यही कारण था की बेबी मेरे पेट के ऊपरी हिस्से में कहीं उलझ गया था,,,,

हम मां बेटे ने जिंदगी और मौत से ऑपरेशन थिएटर में बहुत संघर्ष किया,,,,, एकदम से बच्चे को उदर से बाहर निकालने के बाद एक डॉक्टर की मेरे कान में आवाज गई,,,,, एक डॉक्टर ने बड़े डॉक्टर से पूछा सर बेवी को ऑक्सीजन लगेगी,,,,, यह सुनते ही मेरा कलेजा कांप  गया,,,,, डॉक्टर ने जवाब दिया नहीं बेबी को ऑक्सीजन की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है इसकी क्राइंग बहुत जोर से है।,,,,,, सच में बच्चे की  रोने की आवाज इतनी जोर से थी कि मेरे कानों में पहुंचकर ममता की सुखद अनुभूति करा रही थी,,,, मुझे बेटे का रोना बहुत अच्छा लग रहा था,,,,,

क्योंकि बेटे का जोर से रोना उसकी कुशलता को बता रहा था कि वह ठीक है।,,,, ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरा बेटा मुझसे कह रहा हो मां डरने की बिलकुल जरुरत नहीं है। मैं बिल्कुल ठीक हूं।,,,,, सभी डॉक्टर ने मुझे खुशखबरी दी बोले कंग्रॅचुलेशंस आपको दूसरा भी बेटा हुआ है।,,,,, मैंने कहा मुझे पता है। मैंने डॉक्टर को भी धन्यवाद दिया,,,, शायद बेटा तो अब अपने पिता नाना दादा के पास चला गया था जो उसका इंतजार कर रहे थे,,,,, मैं भी खुश थी मन ही मन भगवान को धन्यवाद दे रही थी,,

क्योंकि मेरे बेटों को भगवान ने ममता का दान और मुझे जीवन दान दे दिया था,,,, अब मुझे धीरे-धीरे नींद अपने आगोश में ले रही थी  मतलब मैं बेहोशी में जा रही थी ,,,,, डॉक्टर ने स्ट्रेचिंग की और मैं धीरे-धीरे बेहोशी में चली गई,,,,, कुछ देर में मैं भी ऑपरेशन थिएटर से बेहोशी की हालत में बाहर अपने परिजनों के पास आ गई,,,, मेरा पूरा परिवार बहुत खुश था,,,,,

मेरे दोनों पिता पापा और ससुर जी दोनों रो रहे थे,,,, शायद यह खुशी के आंसू थे,,,,, तभी डॉक्टर ने आकर कहा आपकी बेटी और आपकी बहू बहुत ही बोल्ड है।,,,,,, तारीफ के काबिल है।,,,, मौत के नजदीक होते हुए भी हौसलो से मौत को मात दे दी है।,,,, डॉक्टर ने सारा वाकया सुनाया,,,,,  सब लोग मेरी देखभाल कर रहे थे और मेरे होश में आने का इंतजार कर रहे थे,,,,,, मुझे तीन से चार घंटे बाद होश आ गया,,,,,,

धीरे से आंखें खुली तो मेरे बेड के कुछ दूरी पर ही मेरे बेटे को लेकर मेरी चाची बैठी हुई थी,,,, मैंने उसे दूर से ही धुंधली  नजरों से देखा,,,, न जाने क्यों उस मासूम चेहरे पर मुझे उसके बहादुरी के भाव नजर आ रहे थे,,,,, मेरे होश में आते ही सभी ने मेरे बड़े बेटे को मेरे पास बिठा दिया,,,,, मेरा  बड़े बेटे को उठाने का मन था लेकिन मैं असमर्थ थी उसको उठाने में,,,,, और मैं उसका बार-बार सिर चूम रही थी और भगवान को धन्यवाद दे रही थी हे प्रभु तुमने मुझे मेरे बेटे से मिला दिया,,,,,,

दो-तीन दिन तक तो सब ठीक ही रहा,,,, मैं हॉस्पिटल में ही थी,,,, कि मेरे बेटे को जौंडिस यानी की पीलिया हो गया,,,,,, छोटा शहर था इसलिए बच्चों को रखने के लिए जो मशीन होती है वह दूसरे अस्पताल में थी,,,, बेटे को मशीन में रखने के लिए दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया,,,,,, अभी तक बेटा मैंने अपनी गोद में नहीं लिया था,,,,, और वह दूसरे अस्पताल में भी चला गया,,,,,, मेरा बड़ा मन दुखी था मैंने तो अभी उसको छुआ भी नहीं और वह बीमार भी हो गया,,,,,,

दूसरे अस्पताल में भी बेटे ने सभी को इतना परेशान किया,,,,, गोद में लेने पर चुप हो जाता था मशीन में लेटते ही रोना स्टार्ट कर देता था,,,, डॉक्टर घर वालों को डांट लगाते यह भूखा है।,,,, कुल मिलाकर वह मशीन में बहुत ही कम समय कर लिए लेटा था और रोता  ही रहता,,,,, मैंने अपने पति से कहा एक बार उस अस्पताल में बेटे को देखकर आए,,,, पति ने अस्पताल में जाने के लिए मना कर दिया बोले बेटा के साथ पूरा परिवार मौजूद है।

मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ सकता और डरने की जरूरत नहीं है।  क्योंकि तुमने मुझे दो बच्चों का पिता बनाया है।,,,, तुम्हारी देखभाल भी बहुत जरूरी है।पापा भी बेटे की छुट्टी करवाकर अस्पताल से आ गये,,,,, और बोले यह बेटा तुम लोगों को नहीं मिलेगा,,,,, इसके पिता तो इसको देखने भी नहीं गए,,,,, मैंने अपने पति का बचाव किया,,,,, जब आप सब लोग वहां पर थे तो हम लोगों को चिंता करने की क्या जरूरत है।,,,,, पापा यानी ससुर जी हंसने लगे,,,,, बिटिया बहुत तेज हो तुम,,,,, कितनी आसानी से पति का बचाव कर लिया,,,,,,

और बेटे को मेरी तरफ बढ़ा दिया,,,, यह मेरे और मेरे बेटे का प्रथम स्पर्श था एक दूसरे के लिए,,,,, बेटा जैसे ही मेरी गोद में आया,,,, उसे देखकर मुझे ऐसा लग रहा कि वह मुझे बरसों से जानता हो,,,, और अपने आप मेरी छाती से लगकर अमृत पान करने लगा,,,,,,  मैं अपनी बेटे पर असीमित ममता लूट रही थी और एक स्रोत ममता का मेरी दोनों आंखों से बह रहा,,,,,,,,

मेरी दोनों आंखों के ममता के स्रोत से मेरे बेटे ने स्नान कर लिया,,,,, आज मेरे दोनों बेटे 12 और 14 साल के होने वाले हैं।,,,,, दोनों बेटों के गुंजन से मेरा घर आंगन गूंज उठता है।,,,, और मेरे सीने में ममता का अथाह  सागर उमरता रहता है। जिसकी लहरें दोनों बेटों को भिगोती रहती हैं। आज मैं खुश हूं। भगवान ने मुझे जीवन दान दिया,,,, और मेरी ममता ने मौत को चारों खाने चित कर दिया था,,, आखिर एक मां की ममता की जीत हो चुकी थी,,,,आज मैं बच्चों और पति के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही हूं। किसके लिए भगवान को लख-लख धन्यवाद देते हैं।,,,,,

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#ममता #

प्रतियोगिता हेतु

स्वलिखित मौलिक रचना, सर्वाधिक सुरक्षित

मंजू तिवारी, गुरुग्राम

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