मैं सिर्फ आपकी पत्नी ही नहीं किसी की बेटी भी हूँ। – नितु कुमारी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : दिशा सबको सुबह की चाय दे कर अपने कमरे में आयी और अपना फोन लिया तो देखा की रवि भैया के चार मिस्ड कॉल थे। इतनी सुबह-सुबह भैया ने क्यों फोन किया होगा, दिशा ने सोचा और वापस रवि भैया को कॉल लगाया।  रवि ने फोन उठाया और बहुत ही परेशान था और उसने कहा की दिशा तू जितनी जल्दी हो सके मम्मी पापा के पास चली जाओ,  पापा की तबीयत रात में बिगड़ गई थी उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया है।

यहां कोमल की भी हालत ठीक नहीं है इसलिए मैं उनके पास नहीं आ सकता। इसलिए  प्लीज तुम कुछ दिनों के लिए चली जाओ उनके  पास। मैं कुछ उपाय देखता हूँ, या तो मैं उन्हें अपने पास बुला लूंगा या   कोमल को लेकर वहां आ जाऊंगा लेकिन अभी कोमल अस्तपताल में है तो मैं नहीं आ सकता। दिशा ने ठीक है बोल कर फोन रख दिया।  फिर दिशा ने अपनी मां को फोन लगाया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

फिर वह सोचने लगी क्या हो गया पापा को अभी कल ही तो बात हुई थी कितने खुश थे वह ,भैया के पास जाने वाले थे ।दिशा की भाभी 8 महीने की प्रेग्नेंट है इसलिए दिशा के मम्मी पापा उसके भैया भाभी के पास जाने वाले थे , लेकिन अब ये क्या हो गया। दिशा को कुछ समझ नही आ रहा था।

दिशा ने भैया को ठीक है तो कह दिया था लेकिन वह सोचने लगी कि कैसे जाऊंगी । कैसे बात करूँ इनलोगो से, क्योंकि दिशा की शादी को 2 साल हो गए थे लेकिन इन दो सालों में वह सिर्फ एक बार मायके गई होगी वह भी तीन-चार दिनों के लिए  कुछ पेपर्स वर्क के लिए। उसके ससुराल वाले उसे जाने नहीं देते थे।

दिशा की सास और पति को उसका मायके जाना बिल्कुल पसन्द नही था। दिशा का पति करण सुधा जी की इकलौती संतान थी। शुरू में सबको लगा की एक ही बहु है इसीलिए उन्हे घर में अकेलापन लगता होगा इसी लिए दिशा को कही नही जाने देती। लेकिन उनका स्वभाव ही ऐसा था। दिशा के आते ही नौकरों को भी हटा दिया था। दिशा के मायके जाने पर बहुत हंगामा होता था। एक बार तो करण ने यहाँ तक कह दिया की अगर जाना ही है तो हमेशा के लिए चली जाओ।

दिशा ने भी अपनी किस्मत मान कर सब स्वीकार कर लिया था। लेकिन आज तो उसका जाना बहुत जरूरी था। क्योंकि आज उसके पापा को उसकी जरूरत थी। दिशा अपने घर में सबकी लाडली थी और वो भी अपने माता पिता को बहुत प्यार करती थी। अपने पिता के समझाने पर ही वो यहाँ रहने को तैयार हुई थी। 

दिशा ने सोचा लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए इस बार तो मैं जा कर रहूँगी क्योंकि किसी की पत्नी होने से पहले मै किसी की बेटी हूँ।  दिशा ने तुरंत अपना फ्लाइट टिकट करवाया और बाहर जाकर सबको बताया कि मैं कुछ दिनों के लिए मायके जा रही हूं । क्योंकि पापा की तबीयत खराब है। मैं अभी का खाना बना दे रही हूं बाकी आप लोग देख लीजिएगा।

इतना सुनते ही करण ने कहा की तुम्हारा दिमाग तो ठीक है । तुम कही नही जाओगी। तुम्हारे पापा की तबियत खराब है तो अपने भैया को बोलो आ कर देखें। अब वो तुम्हारा घर नही है,  तुम्हारा घर अब ये है तुम इस घर को देखो। तुम चली जाओगी तो  यहाँ माँ को कौन देखेगा? दिशा ने रवि की ओर देखा और कहा –

“रवि मैं सिर्फ आपकी पत्नी ही नही किसी की बेटी भी हूं”।  आप मुझे नहीं रोक सकते वहां जाने से। वैसे भी मैं आपसे पूछ नहीं रही आपको बता रही हूं। और दूसरी बात वह मेरा घर था, है और रहेगा। अगर वह मेरा घर नहीं  है तो फिर आप लोग हर बार यह क्यों कहते हैं, कि देखते हैं इस बार तुम्हारे घर से क्या आता है। तुम्हारे माता पिता क्या देते हैं तुम्हे। एक और बात मेरे पिता ने जो प्यार  रवि भैया को दिया वही  मुझे भी दिया है ,जो कुछ रवि भैया को दिया वही मुझे भी दिया।

अपनी सम्पति भी हम दोनों में  बराबर बाँट दिया। उस वक़्त  तो आपने नहीं कहा की वो तुम्हारा घर नही है तुम क्यों लोगी। आपको चाहिए सब कुछ लेकिन करना कुछ नही है।  जितना  हक रवि भैया का बनता है उतना ही मेरा भी हक बनता है उनकी सेवा करने का।  रही बात आपकी मां की तो वो अभी बिल्कुल स्वस्थ है । कुछ दिन वह  वह अपना काम चला सकती है। ऐसे नहीं है कि वह बिस्तर पर है और मै उस हाल में उन्हे छोड़कर जा रही हूँ।

आज तक आपने रोका और मैं रुक गयी, लेकिन आज नही आज एक बेटी के फर्ज की बात है।  आपकी पत्नी से पहले मैं उनकी बेटी हूँ। उन्होंने मुझे ये जीवन दिया है मेरे अंदर उन्ही का खून है। मेरा घर और मेरा गोत्र बदल सकता है लेकिन मेरा खून नही। अगर आप अपनी माँ के लिए परेशान हो सकते है तो मैं क्यों नहीं।   जो कष्ट आपकी मां ने आपको जन्म देने में सहा है वही  कष्ट मेरी माँ ने मुझे जन्म देने में भी सहा है।

इसलिए हम दोनों का अपने अपने माता-पिता  के प्रति बराबर की जिम्मेदारी बनती है । इस लिए मैं जा रही हूँ। इतना सुनने के बाद रवि ने कहा तुम बहुत जवाब देने लगी हो,ठीक है अगर तुम्हें जाना है तो जाओ लेकिन फिर हमेशा के लिए ही चली जाना। दिशा थोड़ा मुस्कुराई और उसने कहा मुझे पता था आप यही धमकी देंगे,  ठीक है यही सही आज मैं खुद को एक ऐसे रिश्ते से आजाद करती हूं जिसमें रहने पर मैं अपने माता-पिता की सेवा न कर सकूं।

आज से मैं इस रिश्ते से आजाद हूँ। इतना कहकर वह कमरे में चली गयी। अपना सामान पैक किया , टैक्सी बुलाया और चली गयी। आज रवि और उसकी मां दोनों देखते रह गए। आज दिशा को अपने फैसले पर तनिक भी अफसोस नहीं था। अपने जवाब देने का कोई पछतावा नही था। एयरपोर्ट से निकलते ही सीधे दिशा अस्पताल पहुंची।

वहां अपनी मां के गले लग कर दोनों माँ बेटी खूब रोये। थोड़ी देर बाद सरिता जी ने पूछा भी की दिशा जवांई  बाबू भी आये है क्या? उन्होंने तुम्हे अकेले आने दिया? दिशा ने कहा माँ अभी ये सब बातें छोड़ो पापा कैसे है? क्या हुआ उन्हे कल तक तो ठीक थे। सरिता जी ने कहा पता नहीं बेटा ठीक तो थे लेकिन कुछ दिनों से उन्हें कमजोरी जैसी लग रही थी हमने सोचा रवि के पास जा ही रहे हैं वहीं पर दिखा देंगे लेकिन कल रात अचानक ही बेहोश हो गए।

  दिशा ने डॉक्टर से बात किया डॉक्टर ने कहा कि उन्हें 5 दिन हॉस्पिटल में रखना होगा, उनके शरीर में खून नहीं बन रहा था और उन्हें थोड़ा खून भी चढ़ाना पड़ेगा और उनका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है। हम  डोनर ढुंढ रहे है आप भी कोशिश कीजिये। दिशा का ब्लड ग्रुप भी ओ पॉजिटिव था ।

दिशा ने अपने पिता को ब्लड दिया। 5 दिन हॉस्पिटल में उनके साथ रही। फिर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करवा कर घर ले गयी ।     दिशा ने अपने पिता को एक मिनट के लिए भी अकेले नहीं  छोड़ा था। उसने रवि भैया को भी आने से मना कर दिया कहा की आपका भाभी के साथ रहना ज्यादा जरूरी है। यहाँ के लिए मैं हूँ।

जब दिशािशा के पिता गिरीश जी थोड़े ठीक हो गए तब उन्होंने ने भी दिशा से पूछा की बेटा रवि इतने दिनों के लिए कैसे मान गये। दिशा ने बड़े ही प्यार से कहा पापा ये बातें बाद में पहले आप पूरी तरह से ठीक हो जाइये। भैया के पास भी तो जाना है न, वो कह रहे थे उनसे अकेले नही संभलेगा ।  

एक दिन सुधा जी के पास उनकी बहन का फोन आया और वह बहुत रो रही थी पूछने पर उन्होंने कहा कि दीदी सृष्टि की शादी को 6 महीने हो गाये है,लेकिन उसके ससुराल वाले उसे आने नहीं दे रहे हैं ।बहुत मन कर रहा है दीदी उसे देखने का उसके साथ रहने का। फोन पर तो देख लेती हूँ लेकिन फिर भी बेटी है थोड़े दिन तो रह ही सकती है न। 

देखो इनकी भी तबीयत ठीक नहीं है।   पता नहीं दीदी लड़के वाले क्यों लड़कियों  को उसके घर नहीं आने देते। अरे जीवन भर  तो उन्हे वही रहना है लेकिन साल भर में क्या 15,20 दिन भी वह अपने मां-बाप के पास नहीं रह सकती। अरे बेटे या बेटी दोनों को जन्म देने और पालने में तो एक बराबर का ही कष्ट होता है।

एक लड़की एक बहु और पत्नी से पहले किसी की बेटी होती है। लड़के वालें ये क्यों नही सोचते है।  जब सुधा जी की बहन  और बेटी को यह तकलीफ हुई तो सुधा जी को बुरा लगा और उन्होंने सोचा की उन्होंने भी तो यही किया है। दिशा के माता पिता को भी तो ऐसा ही लगा होगा।

दिशा के साथ उन्होंने कितना गलत किया उन दोनों को एहसास  हुआ।  दिशा ने कभी उन लोगों की सेवा करने से इनकार नहीं किया , तो क्या वह अपने मां-बाप के साथ कुछ दिन नही रह सकती।  ठीक ही तो कहा था, उसने की “मैं आपकी पत्नी ही नही किसी की बेटी भी हूँ। “

करण अपने किये पर बहुत शर्मिंदा था ।  उसने हिम्मत कर के दिशा को कॉल किया। करण का कॉल देख कर दिशा को लगा कि शायद करण तलाक के लिए बोल रहा होगा उसने भी आत्मविश्वास के साथ कॉल रिसीव किया। सामने से करण ने पहला शब्द सॉरी बोला। 

दिशा को तो भरोसा ही नहीं हुआ लेकिन फिर  करण ने कहा सारी दिशा हमने जो कुछ भी किया उसके लिए सॉरी हमें माफ कर दो और तुम जितने दिन चाहो अपने पापा की सेवा करो और जब वह पूरी तरह से ठीक हो जाए तभी तुम आना मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ। प्लीज हमें माफ कर दो और वापस आ जाना । मैं तुम्हे लेने आऊंगा तुम आओगी न दिशा? दिशा बस हाँ कह पायी और उसके नैन भींग गए। आज उसके पास दोनों घर थे।

 

#मैं  सिर्फ आपकी पत्नी ही नही किसी की बेटी भी हूँ।

# स्वरचित….

# पहला पोस्ट…

नितु कुमारी 

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