लालिमा बिखेरता सूरज – डा.मधु आंधीवाल

आज इस सयुंक्त परिवार में जैसे हंसी को लकवा लग गया हो जहां पूरे समय हंसी के ठहाके बाहर तक सुनाई देते हो वहां ये सन्नाटा अजीब लग रहा था । लाला जी  अपनी पत्नी ,पांच बेटों ,चार बहुयें व नाती पोतों के साथ रहते थे । बहुत बड़ा व्यापार था । पांचवा बेटा राहुल का मन व्यापार में नहीं था । वह शुरू से पढ़ने में होशियार था तब लाला जी ने उसे रोका नहीं और उसे शहर भेज दिया । कस्बे में लालाजी का बहुत अच्छा रुतवा था । राहुल ने एम बी ए कर लिया और एक मल्टीनेशनल कम्पनी में नियुक्ति भी मिल गयी । 

        लालाजी को बस उसकी शादी की चिन्ता थी पर उन्होंने ने तो यह सोचा ही नहीं था कि राहुल उनकी पसंद को दरकिनार करके अपनी पसंद से शादी करेगा । राहुल ने शहर में ही रहने वाली  सौम्या से कोर्ट मैरिज कर ली । लाला जी और पूरे परिवार को बहुत दुख हुआ । धीरे धीरे राहुल ने सम्बन्ध भी समेट लिये । लाला जी और उनकी पत्नी ने भी अपने दिल को कठोर बना लिया भरा पूरा परिवार था फिर पहले जैसा चलने लगा । बस सब त्यौहार पर राहुल की याद में सुस्त हो जाते थे । 

       अचानक कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को चपेटे में ले लिया । राहुल की नौकरी भी कोरोना की भेंट चढ़ गयी ।लालाजी और राहुल के भाईयों को टीवी के माध्यम से सारी स्थिति पता लग रही थी । उनको राहुल की बहुत चिन्ता होने लगी । शहर में पूरा लाक डाउन था । लोग कैसे भी शहर छोड़ कर अपने गांव और कस्बो की ओर पलायन कर रहे 

थे । बड़े भाई ने लालाजी को बिना बताये राहुल से सम्पर्क किया पहले राहुल बिलकुल चुप रहा पर जब उन्होंने प्यार से पूछा तो वह रोने लगा बोला भाई नौकरी तो बहुत लोगो की गयी पर मेरे पास तो घर में राशन भी खत्म है। मैं और सौम्या को कुछ समझ नहीं आ रहा उस पर सौम्या मां बनने वाली है। बड़ा भाई रोते हुये बोला छोटे तू कैसे भी वहाँ से निकल मै रास्ते में कैसे भी तुझे लाने का इन्तजाम करता हूँ और बिना बताये वह राहुल को लाने निकल पड़ा ।

        लाला जी बहुत सोच में चबूतरे पर बैठे थे मन ही मन चिन्तित शहरों की हालात सही नहीं थे । अचानक उन्हें लगा कि सड़क पर कोई वाहन आ रहा है। जैसे ही कार रुकी उसमें से बड़का उतरा लाला जी बोले तू कहां गया था सीमा सब बन्द हैं वह बोला पिताजी मै दरोगा जी से परमीशन लेकर अपने आंगन की खोई खुशी लेने गया था । लालाजी कुछ समझ पाते इतनी देर में राहुल और सौम्या उनके पैरों पर लिपट कर रोने लगे । लाला जी ने दोनों को उठाया और सबको आवाज दी सब बाहर आकर अचम्भित होगये । चारों बहुओं ने सौम्या को चिपटा लिया और बोली पागल रो क्यों रही है। अब कहीं नहीं जाओगी हमारे साथ रहोगी ।

        आज लालाजी की हवेली में ठहाके गूंज रहे थे । छिपता सूरज एक अनोखी लालिमा बिखेर रहा था । जैसे लाल कमल खिल रहे हो ।

#परिवार 

स्व रचित

डा.मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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