हम साथ साथ हैं – कमलेश राणा

कमलेश राणा

अनु… देखो… कब से फोन बज रहा है तुम्हारा। 

हाँ, अभी आई। 

अरे वैशाली, आज बड़े दिन बाद याद आई। 

याद तो बहुत आती है दीदी आप सबकी, बस फोन ही नहीं कर पाई। 

रवि के ऑफिस जाने के बाद बिल्कुल अकेली रह जाती हूँ , कभी ऐसे रही ही नहीं। आपको तो पता ही है कितना बड़ा परिवार है वहाँ मायके में हमारा। यहाँ रवि के माता पिता उन्हें बहुत कम उम्र में ही छोड़कर इस दुनियां से चले गए थे, उनके चाचा – चाची ने पाला पोसा उन्हें पर कोरोना काल बनकर आया और उन्होंने भी संसार को अलविदा कह दिया। 

उस कठिन दौर में परिवार की अहमियत अधिक समझ में आई जब हम दोनों अकेले रह गये,क्या बात करें सारे दिन। रवि का ऑफिस भी बंद था,दिन काटे नहीं कटते थे।वहाँ तो घर में सारे दिन चहल – पहल रहती थी। किसी के बीमार होने पर या कहीं चले जाने पर भी सारी व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चलती रहती थी। 

तभी तो पापा के बाद सबके सहयोग से माँ उस दुख से उबर पाईं वरना रो – रो कर पागल ही हो जातीं। अभी तो कोई दो मिनिट के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता, जरा भी उदास दिखती हैं तो, बड़े तो बड़े चाचियों के छोटे छोटे बच्चे भी कहने लगते हैं- चलो, उठो ताई। यहाँ क्या कर रही हो आप और ऐसी बातें करने लगते हैं कि मन बंट जाता है उनका। 




मुझे तो दादी, बाबा, मम्मी, पापा, तीन चाचा- चाची, बुआ और कुल मिलाकर ग्यारह भाई- बहन के परिवार में इतना सुख मिलता था न कि मैं तो पापा से भी हमेशा यही कहती थी कि मेरी शादी तो आप संयुक्त परिवार में ही करना पर भाग्य के आगे किसका जोर है, किस्मत तो यहीं लिखी थी मेरी। 

वैशाली मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है तुम्हारी बातें सुनकर, आजकल तो लड़कियाँ माँ बाप से कह देतीं हैं कि वो अकेला लड़का ही ढूँढें ताकि न किसी की रोकटोक हो और न ही बंधन, न संपत्ति का बंटवारा हो और न ही लाड़ प्यार का, बस अपना ही राज्य हो। 

पहली लड़की देखी है मैंने जिसे संयुक्त परिवार चाहिये। बहुत सारे माता पिता को इस बात पर बड़ा गर्वित होते हुए भी देखा है, भाई, ठाठ हैं हमारी बेटी के तो राज कर रही है। अकेला लड़का जो देखा है हमने। 

दीदी संयुक्त परिवार के कुछ बंधन जरूर हैं पर फायदे उससे कहीं ज्यादा हैं। आज पापा नहीं हैं पर मेरे यहाँ जब भी कोई फंक्शन होता है तो तीनों चाचा और भाई बहन सब इतना करते हैं कि शायद पापा भी नहीं करते। 

जब हम साथ- साथ होते हैं तो लगता है जिंदगी गुलज़ार है। मैं जानती हूँ परिवार का महत्व क्योंकि मैंने दोनों स्थितियां देखी हैं और उनके अंतर और नफा नुकसान को बहुत करीब से महसूस किया है। 

#परिवार

कमलेश राणा

ग्वालियर

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