लड़के वाले सीजन -3 (भाग – 22) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश और शुभ्रा की हल्दी तेल की रस्म शुरू हो गयी हैँ…. दोनों तरफ ढ़ोलक की ढापों  से पूरा घर गूंज रहा हैँ… इधर शुभ्रा को उसकी माँ बबिता जी हल्दी लगा रही हैँ तभी विक्की हांफता हुआ आता हैँ…. वो दादा नारायण जी और पापा से कहता हैँ कि जल्दी बाहर चलिये….

नारायण जी और घर के सभी लोग घबराते हुए बाहर आतें हैँ…बाहर पुलिस की चार गाड़िय़ां आकर रुकती हैँ…

अब आगे…

दादा नारायण जी और घर के सभी सदस्य गेट पर खड़े हैँ… सभी  अचंभित हैँ कि इतने पुलिस वाले क्यूँ आयें हुए हैँ हमारे घर … तभी गाड़ी के अंदर से एसीपी निकलते हैँ…. उनके साथ बाकी उनके सुरक्षा गार्ड भी है …. दूसरी गाड़ी से  कुछ लड़के, लड़किय़ां उतरें हैँ…साथ में कुछ महिलायें थी…. दादा नारायण जी को चेहरे कुछ जाने पहचाने से लगे तो वो आगे बढ़े … एसीपी साहब ने कैप ऊतारकर  नारायण जी के पैर छूये … नारायण जी भाव विभोर हो गए.. उनके पैरों पर पहुँचने से पहले ही गले से लगा लिया नारायण जी ने उन्हे…

तू आये गयो  अतुल … मोये उम्मीद ना हती कि तू आयेगो…. मन बहुत खुश हैँ गयो तोये देखके.. नारायण जी अतुल जी के हाथों को अपने गालों पर लगाते हुए बोले….

कैसे नहीं आता चाचा जी… आपका कार्ड पहुँचा तो खुद को रोक नहीं पाया…. मन तो तभी था कि दौड़ता हुआ तभी आ जाऊँ …. पर बच्चों और परिवार वालों को लाना था सभी अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए बाहर रह रहे हैँ…. तो उन्हे भी आने में समय लगा….तब अब जाके सब एक साथ आ पायें….

जे तो बहुत बढ़िया रही … सब जन आयें गए… चलो सब अंदर पधारों …. दूर ते आयें हैँ…. चाय पत्ता लेओ…. दादा नारायण जी बैठक में जाने का इशारा करते हुए बोले….

अतुल जी की पत्नी बच्चों सभी ने घर के बड़ों को नमस्ते कर पैर छुये ….

अतुल जी नारायण जी के भाई के बेटे थे…. पहले तो हर जगह आतें ज़ाते थे वो सभी के सुख दुख में… पर जब से बड़े ओहदे पर पहुँचे  तब से घर से कट गए…… आना जाना बंद कर दिया…. पैसा इंसान में घमंड पैदा कर देता हैँ जिस से लोगों को अपने से कम पैसों वालों के घर आना जाना बंद कर देता हैँ….. पर समय बलवान हैँ… एक ना एक दिन ठोकर लगती हैँ…. इंसान फिर पुरानी परिपाटी पर लौट आता है …. य़हीं अतुल जी के साथ हुआ… पहला बेटा हुआ जो मानसिक रुप से विकलांग था…. उस समय परीवार के सभी सदस्य उनके यहां मिलने गए… नारायण जी ने उनके बेटें  को 4 साल अपने घर रख उसे अपनी दैनिक दिनचर्या के सभी काम खुद करना सीखा दिया…. उसी का फल  हैँ कि आज अपने सभी ज़रूरी काम छोड़ अतुल जी शुभ्रा की शादी में आयें हैँ ….

सभी लोग अंदर बैठक में आकर बैठ गए…. साथ में आयी औरतें आंगन में जहां शुभ्रा के तेल, हल्दी की रस्म चल रही थी…. वहां गयी शुभ्रा को हल्दी लगायी…. उसकी न्योछावर की…. एक एक सभी ने शुभ्रा को तेल चढ़ाय़ा , हल्दी लगायी…. खाने पीने का सिलसिला भी साथ साथ चल रहा हैँ…. बुआ बन्नो ने फूफा जी के गाल पर भी हल्दी की थापें मार दी… ज़िसे देख फूफा जी कौन से कम पड़ते… उन्होने भी बुआ को हल्दी से रंग दिया….

दूसरी तरफ उमेश को भी पटले पर बैठाकर हल्दी लगायी जा रही हैँ…. फोटो सेशन भी जोर शोर से चल रहा हैँ….. कैमरा मैन तो अपना काम कर ही रहा हैँ… बाकी सबके फ़ोन भी बस उमेश शुभ्रा की हल्दी की फोटो से भरें हुए हैँ…. राहुल उमेश को हल्दी से नहला रहा हैँ… लास्ट में सारी हल्दी की थाल उमेश पर ही उढ़ेल  दी राहुल ने… ज़िसे देख बस उमेश गुस्सा होकर ही रह गया…. उमेश की दीदी सिम्मी और माँ वीना जी उमेश को देख भावुक हो रहे हैँ….

सिम्मी पर नहीं रहा गया तो बोली …. भाई …. भाभी के आने से भूल मत जाना हमें…. मन में ख़ुशी भी बहुत हैँ और थोड़ा जलन भी हो रही भाभी से कि कहीं भाई हमसे दूर ना हो जायें…

अरे दी…. आप भी कैसी बात करते हो…. ऐसा किसने कहा कि पत्नी के आ जाने से भाई अपनी बहन से प्यार कम कर देता हैँ… बल्की मैं तो कहता हूँ कि प्यार तो अब और बढ़ेगा …. मेरा भी मिलेगा और शुभ्रा का भी … वो बहुत समझदार हैँ दी….

उमेश के मुंह से यह सुन सिम्मी छोटे बच्चों की तरह उमेश के गले लग गयी….

हल्दी तेल की रस्म हो चुकी हैँ… शाम को मेहंदी संगीत हैँ…. उमेश जल्दी से हल्दी लगे हाल में ही अंदर कमरें में आता है …. शुभ्रा को फ़ोन लगाता हैँ… शुभ्रा तुरंत फ़ोन  उठा लेती हैँ…

हेलो जी… हो गयी हल्दी की रस्म आपके यहां….

हां शुभ्रा हो गयी…. और तुम्हारे यहां?? .

जी… बस अभी आयी हूँ आंगन से….. नहा लिये आप??

अभी कहां यार…. तुमसे कल रात से बात नहीं हुई बस य़हीं सोच रहा था कब  ये हल्दी का झंझट खत्म हो…. अपनी शुभ्रा से बात करूँ…. तुम नहा ली??

जी अभी नहीं… माँ ने कहा हैँ शुभ कामों में तुरंत नहीं नहाते … इसलिये थोड़े टाइम बाद नहाऊंगी ….. मैं भी आपको ही कॉल करने वाली थी…..

पीले रंग में तो अपसरा से कम नहीं लग रही होगी मेरी शुभ्रा…..देखना हैँ यार तुम्हे ?? करूँ विडियो कॉल…. बोलो शुभ्रा??

जी…. कोई अपसरा नहीं लग रही मैं … जोकर लग रही हूँ…. देखेंगे मुझे तो हंसी नहीं रुकेगी आपकी …. अब तो आप अपनी शुभ्रा को स्टेज पर ही देखियेगा….

नहीं यार… देखना हैँ मुझे तुम्हे ….तुम कैसी भी लगो मेरे लिए तो हमेशा अपसरा ही रहोगी…. बोलो शुभ्रा करूँ कॉल??

आप हमेशा ज़िद करते हैँ…. पता है सब आस पास ही घूम रहे हैँ मेरे… बुआ ने देखा तो यहीं कहेंगी गाली देकर…. छोरी इतयी जल्दी हैँ ब्याह की… छोरा के पास जाने की तो चली जा…. काये कूँ कर रही ब्याह …..

हा हा…. तुम तो बहुत अच्छे से बोल लेती हो गांव की भाषा ….. ठीक हैँ….. अब शादी पर ही देखूँगा अपनी शुभ्रा को दुल्हन के रुप में…. पर अब मेरी ज़िद चलेगी शादी के बाद…… तुम्हारी एक नहीं चलेगी… बहुत परेशान किया है तुमने शादी से पहले ….

ठीक हैँ बस…. अच्छा अब मैं रखती हूँ फ़ोन…. शाम को मेहंदी हैँ…. तैयारी करनी हैँ….. अपना ख्याल रखियेगा…..

ठीक हैँ शुभ्रा…. पर अब एक एक  पल तुम्हारे बिना काटना मुश्किल हो रहा हैँ….जाओ अच्छा…… बाय… आई लव यू स्वीट हार्ट ….

बाय् जी……

दोनों लोग नहा चुके हैँ… मेहंदी के कपड़े पहन तैयार हो गए हैँ दोनों तरफ के लोग….

उमेश मेहंदी रंग के कुर्ता  , सफेद रंग का पैजामा पहने हुए हैँ…..

सभी लोग इसी रंग से मिलते जुलते कपड़े पहने हुए हैँ….

संगीत शुरू हो गया हैँ….. इधर शुभ्रा को, उधर उमेश को मेहंदी लग रही हैँ….. थोड़ी देर ढ़ोलक बजती हैँ फिर वहीं नये ज़माने के फिल्मी गानों का सिलसिला शुरू हुआ ….. राहुल ने गाना चलाने वाले भाई से गाना चलाने को कहा –

ढोलक में ताल है पायल में छन छन

घूंघट में गोरी है सेहरे में साजन

जहाँ भी ये जाएँ बहारें ही छाएँ

ये खुशियाँ पाएँ मेरे दिल ने दुआ दी है

मेरे यार की शादी है…..

उमेश के सभी दोस्त इस गाने में बहुत ही सुन्दर पहले से तैयार किया हुआ डांस कर रहे हैँ….. लग भी बहुत ही प्यारे रहे हैँ सब…. उमेश को भी हाथ पकड़कर डांस के लिए उठा लिया लिया हैँ राहुल ने…. उमेश भी कोई कम नहीं पड़ रहा डांस में अपने दोस्तों से… उमेश के चेहरे की शादी को लेकर ख़ुशी उसके होंठों पर बार बार आ रही मुस्कान से साफ झलक रही हैँ….

उमेश की बहन सिम्मी और छोटा भाई समीर भी इस गाने पर डांस करते हुए भावुक हो रहे हैँ…

प्यारा भैया मेरा दूल्हा राजा बन के आ गया

प्यारा भैया मेरा

रेशम की पगड़ी पे सेहरा, घर आँगन महका गया….

प्यारा भैया मेरा…

उमेश भी छोटे को गोद में उठा लेता हैँ… पिता नरेशजी और वीना जी ने भी अपने दोनों  हाथ उठाकर  बेटे की ख़ुशी में झूम रहे हैँ….

इधर शुभ्रा के यहां भी शुभ्रा को खड़ा कर दिया गया हैँ… शुभ्रा भी हमेशा से मोस्ट  सदाबहार गाने पर बहुत ही खूबसूरत डांस कर रही हैँ….

ये गलियाँ ये चौबारा,,यहाँ आना ना दोबारा,,

अब हम तो भए परदेसी,के तेरा यहाँ कोई नहीं

के तेरा यहाँ कोई नहीं….

माँ बबिता को पकड़ शुभ्रा के गाने की इस लाइन पर घर के सभी लोगों की आँखों से आंसू रुक नहीं रहे…. बबिता जी का गला भी रूँध  गया हैँ…. उनसे बोला भी नहीं  जा रहा… आखिर अपनी  कोख जनी बिटिया को विदा कर रही हैँ एक माँ….

आ माये मिल ले गले,चले हम ससुराल चले

तेरे आँगन में.. अपना बस बचपन छोड़ चले

कल भी सूरज निकलेगा कल भी पंछी गाएंगे

सब तुझको दिखाई देंगे पर हम ना नज़र आएंगे

आँचल में संजो लेना हमको,सपनों में बुला लेना हमको

अब हम तो भए परदेसी के तेरा यहाँ कोई नहीं….

तभी ईमोशनल माहोल को सही करने के लिए दादा नारायण जी अपनी लाठी लिए आगे आयें … उन्होने ने भी दो चार ठुमके हिट गाने पर लगा दिये…फूफा जी ने भी उनका संग दिया….

दोनों तरफ प्रोग्राम जबरदस्त चल रहा हैँ….

मेहंदी की रस्म पूरी हो चुकी हैँ… आज़ की रात किसी की आँखों में नींद नहीं हैँ…. सभी बस बातचीत में मशगूल हैँ….

अगले दिन सुबह उठकर नारायण जी फूफा जी से बोले…. कुंवर सा बबलू के संग जायके सब्जी लै आओ… फिर वहीं से गेस्ट हॉउस में हलवाई कूँ दै दियो … हला….

वो तो ठीक हैँ सा… पर तुमायी ये बात सही ना हैँ कि मेरे ब्याह में तो तुमने एक सायकिल भी ना दयी पर छोरी के ब्याह में इतनो बड़ो हवाई जहाज दै रहे हैँ….. और भी जाने का का दै रहे हैँ…. जे बात सही ना हैँ….

आगे की कहानी और अंतिम भाग कल …. वैसे तो आज ही अंतिम भाग करती…. पर समय का बहुत अभाव हैँ… कोशिश थी पूरा लिख दूँ  एक बार में और कल प्रकाशित करूँ … पर आप लोगों के इतने मेसेज देखकर थोड़ा भाग आज भेज दिया हैँ…. आप लोगों के कहानी को दिये गए प्यार के लिए बहुत बहुत शुक्रिया…. राधे राधे

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

लड़के वाले सीजन -3 (भाग -22)

 

 

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