लड़के वाले सीजन -2 (भाग -6) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि बेचारा उमेश कामिनी मैडम के जाल में फंस चुका हैँ… कामिनी मैडम अपना आपा खो बैठी हैँ… वो चीखती हैँ कोई बचा लो मुझे… ये आदमी मेरी इज्जत लूट रहा हैँ… उमेश घबरा जाता हैँ… बाहर से होस्पिटल के सभी स्टाफ के लोग दौड़ते हुए अंदर आतें हैँ…. राहुल भी अपने दोस्त को देखने लिए अंदर घबराता हुआ भीड़ में से जगह बनाते हुए आगे आता है …

अब आगे…

मैडम क्या हुआ?? ओह….आपकी ये हालत ?? वहां की सिस्टर मैडम कामिनी से बोलती हैँ जो कि बाल फैलाकर अपने कपड़ों को अस्त व्यस्त कर जमीन पर बैठी हुई हैँ… दहाड़े मारकर जमीन पर बैठी रोने का नाटक कर रही हैँ कामिनी मैडम….

इस लड़के ने मेरी इज्जत पर हाथ डाला हैँ… ये जबर्दस्ती कर रहा हैँ मेरे साथ…आप लोग नहीं होते तो शायद… फिर कामिनी मैडम अपने चेहरे पर हाथ रख रोने का नाटक करने लगी…

तेरी हिम्मत कैसे हुई हमारी डॉक्टर मैडम पर हाथ डालने की… इसका कोर्ट मार्शल करवाओ …. कौन सी यूनिट से हैँ ये .. इसके सीनियर को फ़ोन करो.. भीड़ में एक आदमी बोला.. तभी वहां के एक डॉक्टर ने उमेश की यूनीफोर्म पर लगे बिल्ले देखे.. ज़िसमे उसकी यूनिट का नाम कोर्पस रेज़िमेंट लिखा था… मैं जानता हूँ सूबेदार मेजर को इनके.. अभी फ़ोन कर बुलाता हूँ… सारी अक्ल ठिकाने आ जायेगी इसकी… तभी उमेश की यूनीफोर्म पकड़ वो आदमी उमेश को खींचता हैँ तभी राहुल उस आदमी का हाथ झटक देता हैँ…

ये क्या कर रहे हो तुम?? वो आदमी झल्लाते हुए राहुल से बोलता हैँ… तुम्हे नहीं पता इस लड़के ने क्या किया हैँ….

मेरे दोस्त ने ऐसा किया भी है य़ा नही इसकी जांच पड़ताल तो कीजिये … वो देखिये सामने कैमरा लगा हैँ… उसकी फुटेज निकलवाईये… अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा…

चलो… उसे भी देख लेते हैँ… वैसे मैडम कामिनी पर पूरा भरोसा हैँ हमें… वो झूठ नहीं बोलेंगी … चलो सब बाहर चलकर इस लड़के की हकीकत देखते हैँ….

मैडम कामिनी कैमरे का नाम सुन सकपका ज़ाती हैँ… बोलती हैँ… कैमरा खराब हैँ… उसमें नहीं आयी होगी इस लड़के की गंदी करतूत … जो होना था सो हो गया… मैडम कामिनी फिर मुंह छुपा रोने लगती हैँ… राहुल को मैडम पर इतना गुस्सा आ रहा हैँ .. उसका बस चलता तो मैडम कामिनी को जोरदार थप्पड़ ज़ड़ देता… बेचारा उमेश एक कोने में अपराधी की तरह खड़ा हुआ हैँ…

तभी बाहर से आवाज आती हैँ… फुटेज चल गयी.. सभी लोग आ जाईये … सभी लोग बाहर रिसेप्शन के पास इकठ्ठे हो गए…

राहुल उमेश के कंधे पर हाथ रख बोलता हैँ… चल भाई.. बाहर … सांच को आँच नहीं.. तू परेशान मत हो… मैं हूँ ना …तुझ पर कोई गलत इलजाम नहीं लगने दूँगा …उमेश डबडबायी आँखों से राहुल के साथ बाहर आता है …

बाहर सब लोग कामिनी मैडम को घेरकर कुछ कहने में लगे हैँ… एक डॉक्टर साहब बोलते हैँ…मैडम आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी… एक सीधे सादे फौजी लड़के पर इतना बड़ा इलजाम लगाकर आपने ठीक नहीं किया …

तभी सिस्टर बोलती हैँ… मैडम आप दोनों का आपसी कोई मामला था तो आपस में ही सुलझा लेते… सबका टाइम खराब कर दिया… सोरी सर… हमने आपको गलत समझा… सभी ने उमेश से माफी मांगी…

सभी स्टाफ के लोग अपने काम पर लग गए… राहुल मैडम कामिनी से बोला… तुम्हे तो देख लेंगे मैडम… वो उमेश को लेकर बाहर जाने लगा.. पीछे से कामिनी मैडम अभी भी चिल्ला रही थी … सुनो उमेश… रुको… मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी … अगर मैने कुछ कर लिया तो उसके ज़िम्मेदार तुम होगे…

मैडम… आप मरो य़ा ज़िन्दा रहो…मुझे तुम्हारी शक्ल से ही नफरत हैँ… यह बोल उमेश बाहर आ गया…

उमेश राहुल के गले लग गया… यार… अगर आज तू समय रहते वो फुटेज नहीं दिखाता तो शायद आज मैं शुभ्रा की नजरों में हमेशा के लिए गिर जाता…

भाई… अंजाने में ही सही पर तुझे इस दलदल में भी तो मैने ही फंसाया था… माफ कर दे यार… आगे से कभी ऐसी हरकतें नहीं करूँगा … तेरी कसम…

मेरी कसम मत खा कमीने … अब मेरी जान इतनी सस्ती नहीं रही… इस पर किसी और का हक हैँ… उमेश थोड़ा रिलैंक्स होते हुए बोला…

हाय मैं मर जावा…अभी से इतना प्यार भाभी से…

सुन तू बता रहा था आज भाभी के घर वाले तेरे घर आयें हुए हैँ शादी की डेट फिक्स करने…

हां यार.. इस ड्रामे में तो ये सब भूल ही गया मैँ … रुक … छोटे को फ़ोन करता हूँ कौन सी डेट निकली हैँ….

इधर शुभ्रा के दादा जी, पापा भुवेश ताऊजी पंडित जी को लेकर उमेश के घर आयें हुए हैँ… बाहर चप्पल उतार नारायण जी बोले.. नल तो दिख ही ना रहो यहां.. हाथ मुंह तो धोये लैं अंदर जावें ते पहले …

बाऊ जी… बड़े लोगों के घर ऐसे ही होते हैँ… वहां ना होते घर के बरामदें में नल… ताऊ जी बोले…

अच्छा तो जे कैसे अमीर भये पानी भी ना हे हाथ धोबे .. नारायण जी बोले…

दादा जी.. इधर आईये देखिये यहां गार्डन में नल लगा हैँ… यहां हाथ धो लीजिये … समीर जो लड़की वालों के साथ साथ चल रहा हैँ… बोला…

अच्छा छोरे… नारायण जी ने नल खोला… सारा पानी उनके कुरते पर आ गया… जे तो नहाने वारों नल हैँ… जे का भयों …

नहीं दादा जी.. ये नल ऐसे नहीं खुलता… तभी समीर ने नल खोला… .

बड़े घरों की चीजें भी अजीब होवे हैँ…

चलिये अब पिता जी अंदर चलते हैँ….भुवेश जी अपनी लाठी लिए हुए आगे आगे जा रहे हैँ… सभी लोग अंदर आतें हैँ… दादा नारायण जी घर की हर चीज को छू छूकर देखते हैँ.. सभी को राम राम करते हैँ शुभ्रा के घर वाले… वहां उमेश की माँ वीना जी, ताऊ रमेश जी, ताई जी पिता नरेश पहले से ही उनके स्वागत के लिए मौजूद हैँ….

जी बैठिये आप लोग… रमेश जी बोले.. सभी लोग मखमली सोफे पर बैठने में संकोच करते हैँ… तभी कई बार आग्रह करने पर सभी लोग बैठ ज़ाते हैँ…. मन ही मन दादा नारायण जी सोच रहे हैँ… मेई लाली शुभ्रा के तो भाग्य खुल गए… इतनो सुन्दर, महल सी कोठी , हर ऐशो आराम की चीज हैँ इन लोगन के घर में… राज करेगी राज छोरी… शायद यहीं बात शुभ्रा के पिता भुवेश जी और ताऊ जी भी सोच रहे हैँ… सही बात हैँ एक लड़की के माँ बाप को पूरे जीवन यहीं चिंता खाये ज़ाती हैँ कि बस उनकी बेटी को एक अच्छा घर मिल जायें तो जीवन सफल हो जायें…जैसा आज उनकी बेटी शुभ्रा को मिल गया हैँ…तभी तो कई बार पुकारने पर भुवेश जी ख्यालों से बाहर आतें हैँ…

भुवेशजी लीजिये पानी पीजिये … तभी शुभ्रा के ताऊ और पिता भुवेश नारायण जी की तरफ देखते हैँ… ये क्या कर रहे आप लोग… छोरी की ससुरार को पानी भी पीनो पाप होवे हैँ…. हम अपनों पानी लायें हैँ….

अरे ज़माने चले गए इन सब बातों के नारायण जी… आजकल कौन मानता हैँ इसे…हमने तो खाने पीने सबका इंतजाम किया हुआ हैँ… लीजिये तो सही… ताऊ रमेशजी आग्रह करते हुए बोले..

जी माफ करियो …पर जब तक मैं नारायण मिश्रा ज़िन्दा हैँ तब तक तो जे ई रीत चलै हैँ ….

जी जैसी आपकी मर्जी … नरेश जी और उमेश के सभी घर वाले नारायण जी के स्वभाव से भलीभांति परिचित हैँ…. इसलिये उन्होने ज्यादा ज़िद नहीं की … समीर भी बेचारा उदास हो गया कि कल से इन लोगों की खातिरदारी में लगा हुआ हूँ… पहले ही बता देते कि कुछ नहीं खायेंगे तो क्यूँ इतनी मेहनत करता… मन ही मन बड़बड़ाकर समीर पंडित जी की तरफ मुड़ गया….

तो बताईये पंडित जी हमारे उमेश और शुभ्रा के ब्याह की कौन सी तारीख शुभ हैँ…ताऊ रमेशजी मुस्कुराकर बोले….

हां हां… पुरोहित जी… जांचो … कौन सो महुरत सही रहबेगो…दादा नारायणजी बोले…

पंडितजी अपनी किताब में चस्मा संभालते हुए कुछ गुना गनित करने में लगे हुए… कभी उनके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ जाते हैँ कभी दुखी हो ज़ाते हैँ…

समीर पंडित जी के पास ही खड़ा हुआ हैँ… मन ही मन सोच रहा हैँ ए रे पंडितजी…. बता भी दो अब … भाई कब सेहरा बांधेंगे ..

काफी देर हो गयी तो समीर पर ना रहा गया… बोला… पंडित जी बता भी दीजिये अब…

नारायण जी बोले.. बड़ा अधीर छोरा हैँ रे तू … वैसे तो मोये भी जानने की लागी हैँ… सभी लोग नारायण जी की बात पर हंस पड़े…

जी… खांस्ते हुए पंडित जी बोले… 16 अक्टूबर सगाई 23 य़ा 27 नवंबर शादी की तिथि सबसे शुभ हैँ… सारे देवता खुश होकर आशीर्वाद देवेंगे छोरा छोरी को…

वाह पंडित जी बहुत बढ़िया … तो नारायणजी… फाईनल हैँ फिर ये तारीख … नरेशजी उत्सुकता दिखाते हुए बोले…

जी बिल्कुल. .. जैसा सब चाहवे … नारायण जी के चेहरे पर भी ख़ुशी साफ झलक रही थी … वीना जी और उनकी जेठानी भी ख़ुशी से एक दूसरे के गले लग गयी… वीना जी की आँखें ख़ुशी से भर आयी थी…

इधर उमेश समीर को लगातार फ़ोन कर रहा हैँ… पर सभी लोगों के बीच होने के कारण समीर फ़ोन काट रहा हैँ… उमेश मेसेज भी करता हैँ समीर को…

समीर मेसेज टाइप करता हैँ… भाई… हमारी भाभी को लेने हम चल रहे हैँ 23 नवम्बर को …. कमर पेटी बांध लीजिये … दिल को थाम लीजिये …

उमेश मेसेज देख राहुल को बताता हैँ…. ख़ुशी में राहुल को गोद में उठा लेता हैँ…

तूने मुझे भाभी समझा हैँ क्या ?? जा अब भाभी से बात कर ले…

टाइम क्या हुआ हैँ यार… 3 बजे तो वो घर चली जायेगी कोलेज से… कोलेज में ही बात करने की परमिशन दी हैँ मैडम ने…

अभी तो 2:30 बजे हैँ यार… कर ले बात … मैं जा रहा काम पर … राहुल बोला..

उमेश बाइक पर बैठ शुभ्रा को फ़ोन लगाता हैँ… एक बार तो नहीं उठता फ़ोन… दूसरी बार फ़ोन उठाती हैँ शुभ्रा…

तो मैडम आप हमें ऐसे परेशान करेंगी… फ़ोन क्यूँ नहीं उठा रही थी… उमेश शुभ्रा पर हक दिखाते हुए बोला..

जी वो मेरी क्लास चल रही थी… मैम से पानी पीने का बोल बाहर आयी हूँ…

आपको पता है अब आप मेरी….

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