क्या यही प्यार है ? भाग – 5  – संगीता अग्रवाल

इधर मीनाक्षी की आँखों मे नींद नही थी आज के घटनाक्रम से वो सहमी सी हुई थी । अपनी तरफ से इतने दिनों मे मीनाक्षी ने पूरी कोशिश की के केशव और उसके बीच मे उसके पिता का पैसा ना आये पर आज लगता है उस पैसे ने उनके रिश्ते के बीच दस्तक देनी शुरु कर दी है।

” नही नही मै ऐसा नही होने दूंगी !” मीनाक्षी खुद से बोली।

अगले दिन उसने केशव से सामान्य व्यवहार किया केशव के चेहरे से भी उसे ऐसा नही लगा कि कल की बातों को दिल से लगाए है वो दोनो हंसी खुशी ऑफिस के लिए निकल गये।

” सलाम मैडम !” ऑफिस का  चपरासी जो की एक व्यक्ति के साथ बैठा था उसने मीनाक्षी को सलाम किया।

” अरे तूने साहब को सलाम नही किया !” चपरासी के साथ बैठे व्यक्ति ने उससे कहा। तबतक केशव और मीनाक्षी आगे बढ़ गये थे।

” अरे काहे के साहब अमीर घर की लड़की फंसा साहब बन गये यहाँ नौकरी भी इन्हे मैडम के बलबूते मिली है वरना तो शायद चपरासी भी ना होते !” चपरासी धीरे से बोला ओर दोनो हँसने लगे मीनाक्षी ने शायद उनकी बात नही सुनी थी पर केशव ने सुन ली और पीछे आ उसने चपरासी का गला पकड़ लिया।

” क्या बोला तूने ?…औकात मे रह बात कर चपरासी है मत भूल तू! ” केशव भड़क कर बोला उसकी आवाज़ सुन मीनाक्षी वापिस पलटी तब तक बाकी स्टॉफ भी बाहर आ गया।

” छोड़ो केशव उसे क्या कर रहे हो तुम ?” मीनाक्षी उसका गला छुड़ाते हुए बोली।




” मेरी औकात चपरासी बनने की तो है कम से कम !” चपरासी गुस्से मे बोला नौबत हाथपाई तक आ गई जिसे ऑफिस स्टॉफ ने बीच बचाव कर टाला।

” क्या जरूरत थी उससे उलझने की ?” मीनाक्षी केशव को अंदर लाते हुए बोली।

” तुम्हे मैं गलत नज़र आ रहा हूँ मतलब तुम्हे भी यही लगता कि वो सही बोल रहा था !” केशव गुस्से मे बोला।

” मैने ऐसा कब कहाँ पर तुम्हारी अपनी एक इज़्ज़त है इस ऑफिस मे वो चपरासी है यहाँ का !” मीनाक्षी बोली। बाकी सभी लोग केशव और मीनाक्षी को देख रहे थे पर बोले कुछ नही।

” इज़्ज़त मेरी नही तुम्हारी है और मुझे लगता है तुम्हे होनी इज़्ज़त की परवाह  है बस । जहाँ मेरी कोई इज़्ज़त नही उस नौकरी को लात मारता हूँ मैं !” केशव बोला।

” केशव क्या होता जा रहा है तुम्हे क्यो ऐसा बर्ताव कर रहे हो ?” मीनाक्षी दुखी हो बोली। किन्तु केशव वहाँ से चला गया। बॉस ने मीनाक्षी को अपने केबिन मे बुलाया।

” देखिये मीनाक्षी जी आपके कहे पर हमने केशव को नौकरी पर रखा था परर उनका व्यवहार बर्दाश्त नही किया जायेगा !” बॉस बोले।

” सर मैं केशव की तरफ से माफ़ी मांगती हूँ मैं उन्हे समझाऊंगी !” मीनाक्षी शर्मिंदा हो बोली।

” यही बेहतर रहेगा वरना हमें उन्हे नौकरी से निकालना पड़ेगा !” बॉस ने कहा मीनाक्षी अपने केबिन मे आ गई पर उसका मन काम मे नही लग रहा था।

” मीनाक्षी खाना खाने नही चलना क्या ?” लंच ब्रेक मे उसकी सहकर्मी रीमा बोली।




” नही यार भूख नही है !” मीनाक्षी ने कहा।

” भूख नही है तब भी चल मेरे साथ !” रीमा उसका हाथ पकड़ कर कैंटीन मे ले गई।

” यार सच मे मन नही मेरा !” मीनाक्षी फिर बोली।

” ऐसे कैसे चलेगा मीनाक्षी केशव का आज का व्यवहार गलत था !” रीमा बोली।

” जानती हूँ मैं यार पर मुझे खुद समझ नही आ रहा वो ऐसा क्यो कर रहा है !” मीनाक्षी सिर झुका बोली।

” देख मीनाक्षी या तो मुझे ऐसा लगता है तूने गलत इंसान से शादी कर ली है या हो सकता है उसका इगो हर्ट हो रहा है तुझसे नीची पोस्ट पर होने के कारण पर दोनो ही सूरतों मे तुम दोनो अपनी जिंदगी कैसे काटोगे !” रीमा बोली।

” हम्म कुछ करती हूँ मैं यार क्योकि मैं भी नही चाहती कि केशव का इगो हर्ट हो बल्कि मैं तो ऐसी परिस्थिति आने ही नही देना चाहती !” मीनाक्षी बोली। लंच ब्रेक खत्म होने के बाद दोनो काम मे लग गई।

” केशव तुमने कुछ खाया आज या गुस्से के कारण भूख भी उड़ गई तुम्हारी !” घर आकर केशव को कमरे मे लेटा देख मीनाक्षी बोली।

” तुमसे मतलब !” केशव उखड़े स्वर मे बोला।

“” चलो ना कही घूमने चलते है !” मीनाक्षी घर वालों के होते बात नही करना चाहती थी केशव से इसलिए बोली।




” मुझे कही नही जाना परेशान मत करो मुझे जाओ यहाँ से !” ये बोल केशव मुंह फेर लेट गया। मीनाक्षी रसोई मे सास की मदद करने आ गई।

” बेटा आज ऑफिस मे ऐसा क्या हुआ कि केशव गुस्से मे घर आ गया । मैने तो बहुत पूछा उससे पर बताने को तैयार नही वो !” रसोई मे उसकी सास सरला जी ने पूछा ।

” माँ कुछ खास नही हुआ आप परेशान मत होइए मैं हूँ ना !” मीनाक्षी मुस्कुरा कर बोली तो सरला जी उसके सिर पर हाथ फेर उसे आशीर्वाद देने लगी।

” केशव आज तुम्हे यूँ ऑफिस छोड़कर नहीं आना चाहिए था !” रात को केशव के बालो मे ऊँगली फेराती मीनाक्षी बोली।

” तो ओर क्या करता अपनी बेइज्जती करवाता रहता वैसे भी मुझे अब वहाँ नौकरी करनी ही नही है !” केशव उखड़े स्वर मे बोला।

” केशव जिसकी जैसी सोच वैसा सोचेगा हम जानते है हमारा रिश्ता कैसा है हमने इस रिश्ते को प्यार से सींचा है फिर अब ये कैसा प्यार है जो जरा सी लोगो की बातो से डगमगाने लगा !” मीनाक्षी नम आँखों से बोली। मीनाक्षी के आंसू देख केशव पिघल गया और मीनाक्षी को अपने आगोश मे भर लिया। मीनाक्षी ने भी सबकुछ भूल खुद को केशव को समर्पित कर दिया।

संगीता अग्रवाल

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