Thursday, June 8, 2023
Homeसंगीता अग्रवालक्या यही प्यार है ? भाग - 4 - संगीता अग्रवाल

क्या यही प्यार है ? भाग – 4 – संगीता अग्रवाल

आखिरकार एक समारोह मे केशव और मीनाक्षी की सगाई कर दी गई। और जल्द ही शादी भी हो गई।
मीनाक्षी ने अपने स्वभाव से केशव के घर मे सभी का दिल जीत लिया । सरला जी बहू की तारीफ करती नही थकती थी । केशव की बहन काशवी को तो एक सहेली मिल गई थी। विवाह के लिए ली पंद्रह दिन की छुट्टियाँ खत्म होते ही केशव और मीनाक्षी ने ऑफिस जाना शुरु कर दिया। मीनाक्षी को यूँ तो घर के काम की आदत नही थी फिर भी सास की यथासंभव मदद करने की कोशिश करती थी वो ।

ऑफिस पहुँचते ही दोनो को सारे स्टाफ ने बधाइयां दी ।

” क्या बात है केशव बड़ा लम्बा हाथ मारा है तूने तो !” उसका सहकर्मी काम करते करते उसे छेड़ते हुए बोला।

” क्या मतलब ?” केशव हैरानी से बोला।

” अरे इतने अमीर घर की लड़की से शादी की तूने तेरे तो वारे न्यारे हो गये । खूब दान दहेज़ मिला होगा ना ऊपर से खुद से ज्यादा कमाती बीवी …वाह भाई तेरी तो पांचो उंगलिया घी मे है !” वो हँसते हुए बोला।

” ऐसा कुछ नही है मैने मीनाक्षी के पैसो के लिए शादी नही की और दान दहेज़ के तो मैं बिल्कुल खिलाफ हूँ मैने मीनाक्षी से प्यार किया है और मुझे मतलब नही वो किसकी बेटी है या कितना कमाती है !” केशव उखड़ कर बोला।




” अरे यार उखड़ क्यो रहा है हम भी सब समझते है !” दूसरा सहकर्मी हँसते हुए बोला केशव को बहुत बुरा लगा पर उसने चुपचाप काम मे लगना ही सही समझा ।

” क्या बात है केशव इतने उखड़े क्यो हो?” घर आते मे मीनाक्षी ने केशव से पूछा।

” मीनाक्षी ये ऑफिस स्टॉफ भी ना !” केशव ने उसे सारी बात बताई।

” ओह्हो केशव लोगो का तो काम ही बात बनाना है तुम क्यो इनकी बात दिल पर लगाते हो चलो अपना मूड ठीक करो अब !” मीनाक्षी ने हँसते हुए कहा

कुछ दिन ठीक से बीते की एक दिन केशव और मीनाक्षी के कॉलेज के दोस्तो ने मिलने का प्रोग्राम बनाया।

” ओह्हो कॉलेज के लव बर्ड्स अब तो हैपिली मैरिड होंगे !” उन्हे देख एक दोस्त बोला।

” अरे होंगे क्यो नही अब तो इनकी जिंदगी बदल गई होगी !” एक दोस्त बोली।

” हां यार जिंदगी तो बहुत बदली होगी एक अर्श से फर्श पर एक फर्श से अर्श पर क्यो मीनाक्षी !” एक दोस्त हंसती हुई बोली। मीनाक्षी और केशव दोनो को उनकी बात बुरी लगी पर मीनाक्षी ने हंसी मे टाल दी जबकि केशव के चेहरे पर गुस्सा साफ देखा जा सकता था।

” छोड़ो ना तुम लोग भी क्या बातें लेकर बैठ गये चल केशव हम लोग उधर बियर बार की तरफ चलते है !” एक दोस्त बोला।




” नही मैं पीता नही !” केशव बोला।

” अरे नही पीता तो आदत डाल ले अब तो अमीरों की महफिलों मे जाना होगा तेरा भी वहाँ ये आम है चल !” एक दोस्त बोला और लगभग खींचते हुए उसे ले गया। पहले तो केशव ने बहुत मना की पर कुछ दोस्तों ने ऐसी बाते बोल दी कि उसका आत्मसम्मान छलनी हुआ और उसने गिलास उठा एक झटके मे खत्म कर दिया । उसके बाद उसने दो पैग ओर लिए। पहली बार केशव ने ड्रिंक की थी तो उसके दिमाग़ पर तो चढ़नी थी वो अपनी कुर्सी से झूमते हुए उठा और मीनाक्षी की तरफ बढ़ा । उसके जो दोस्त मीनाक्षी और उसके साथ से खुश नही थे वो उसकी हालत का मजा ले रहे थे।

” मीनाक्षी चलो यहाँ से !” दोस्तों मे घिरी मीनाक्षी का हाथ पकड़ केशव बोला !

” केशव तुमने शराब पी है !” उसके मुंह से आती दुर्गन्ध और उसको लड़खड़ाता देख मीनाक्षी बोली।

” हां पी है मैं क्या किसी से कम हूँ जो नही पी सकता अब तुम चलो यहाँ से !” केशव बोला और उसे खींचने लगा । मीनाक्षी को दोस्तों के सामने बुरा तक लग रहा था पर फिर भी उसने वहाँ से चले जाना ही सही समझा अभी ।

” बेचारी मीनाक्षी !” उनकी पीठ पीछे एक दोस्त बोली जिसे उन दोनो ने ही सुन लिया था ।

” मै तुम्हारी जिंदगी को अर्श से फर्श पर ले आया हैना !!” घर आकर केशव मीनाक्षी से बोला।

” कैसी बाते कर रहे हो तुम तुमने इतनी पी ही क्यो जबकि आज तक तो कभी नही पी !” मीनाक्षी बोली।




” बड़े बाप की बेटी का पति बना हूँ ये सब तो मुझे आना चाहिए ना वरना तुम्हारी क्या इज़्ज़त रह जाएगी !” केशव जूते उतारता हुआ बोला।

” मेरे घर मे शराब कोई नही पीता और ये सब क्या लगा रखा है तुमने चुपचाप् सो जाओ तुम सुबह ऑफिस भी जाना है !” मीनाक्षी बोली पर केशव काफी देर तक बडबड करता रहा और फिर सो गया।

संगीता अग्रवाल

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

error: Content is Copyright protected !!