खुशियों का आधार परिवार – नंदिनी

महक जैसा नाम वैसी ही थी, आसपास सबको महका कर रखती थी। चलबुली ,पढ़ाई में होशियार जिंदादिल हर काम मे सबसे आगे अपनी दो बड़ी बहनों की लाड़ली बहना 

तीनों की जान एक दूसरे में बसती थी ,उनका ये परिवार उनकी सारी दुनियां थी। 

महक को पड़ने का शौक शुरू से था, जीवन में कुछ कर दिखाने का जज्बा भी कूट कूट कर भरा था । ऐसे में जब आगे की पढ़ाई के लिए बाहर जाकर पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो अकेले बड़े शहर में रहने का डर और ज्यादा खर्च के कारण थोड़ा असमंजस्य में थे की बाहर भेजे की नहीं  ,पर दोनों बहनों ने अपने माता पिता को मनाने की पूरी कोशिश की ,उसके सपने पूरे होने दो हमारे में कमी कर लेना आप पर उसे भेज दो पड़ने के लिए ओर हमें महक पर पूरा भरोसा है आप डर रहे हेना बड़े शहर में कैसे क्या संभालेगी अकेले ,तो उसे कोशिश करने दो क़भी आपको निराश नहीं करेगी और इस तरह वह तैयार हो जाते हैं ।

दोनों बहन राशि गुंजन साथ जाते हैं शहर ,होस्टल में सब कुछ सेट करके महक से कहते हैं अच्छे से पढ़ाई करना बहुत मेहनत की है हमने भी ,तुम्हारे सपनों के लिए, महक गले लग जाती है दोनों बहनों के ,कहती है कभी निराश नहीं करूंगी ओर इतने में टेक्सी आ जाती है  राशि ओर गुंजन निकल जाते हैं ।

ज्यादा खर्च के लिए इसलिए भी सोच रहे थे उसके पापा क्योंकि राशि की शादी एक महीने में होने वाली थी ,उसने कहा में कुछ साड़ियां गहने कम ले लूंगी पर महक को आगे पढ़ने के लिए जरूर से बाहर जाने दो ऐसा था बहनों का प्यार ।




महक पढ़ाई के जुट गई कुछ समय बाद शादी का समय आ गया ।  शादी अच्छे से संपन्न हुई  ।

महक की पढ़ाई बढ़िया चल रही थी हर एक इम्तिहान में अच्छे नम्बर के साथ आगे बढ़ रही थी।

कुछ सालों में उसकी छोटी दीदी गुंजन की शादी की बात विशाल से पक्की हुई और इधर महक की जॉब भी

अच्छी कम्पनी में लग गई ।पूरा परिवार इस दोहरी खुशी से बेहद खुश था ।

नियत समय पर शादी की घूमघाम शुरू हुई , गुंजन का देवर जो महक के शहर में ही जॉब कर रहा था , शादी में पहली बार महक से मिला  स्मार्ट होशियार चुलबुली सी पहली ही नजर में राघव को भा गई । जॉब से सम्बंधित बातें भी हुई दोनों में ओर फोन नम्बर भी लिए ।

महक को भी राघव अच्छा लगा था ।शादी के बाद सब अपने में व्यस्त हो गए पर राघव महक को दिल में बसा चुका था , कभी कभी यूहीं महक को फोन भी लगा लेता ,एक बार उसने  ऑफिस के बाद डिन्नर पर चलने का पूछा महक तैयार हो गई। थोड़ी इधर उधर की बात करने के बाद उसने कहा मुझे तुम पसन्द हो क्या मैं अपना रिश्ता तुम्हारे घर भेज सकता हुँ ,तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं एकदम से इस तरह की कोई बात हो जाएगी महक ने नही सोचा था और वो जल्दी शादी भी नही करना चाहती थी, पर राघव को नापसंद करती थी ऐसा भी नहीं था तो उसने कहा मुझे सोचने का वक्त चाहिए में अभी इस बात के लिए तैयार नहीं थी पर तुम अच्छे हो इस बात में कोई शक नहीं।




राघव ने कहा हाँ हाँ तुम अपना समय लो ,डिन्नर करके दोनों अपने घर चले जातें हैं । दूसरे दिन महक अपनी दोनों दीदी को ये बात बताती है , राघव अच्छे जॉब में था परिवार जाना पहचाना था दोनों इस बात पर खुश होती हैं कि इससे अच्छा रिश्ता नही मिल सकता महक को।

महक भी इन सब बातों से सोचने में लग जाती है, न करने का कोई कारण नहीं है ओर शादी अभी नहीं तो 1 2 साल में तो करनी ही है । राघव उसे भी पसन्द आने लगा था , फ़ोन पर थोड़ी बातों और कुछ मुलाकातों के बाद महक ने राघव को हाँ कह दिया । 6 महीने बाद की तारीख पक्की हो जाती है ।

दोनों परिवार खासे उत्साहित थे , अच्छे से शादी संपन्न हुई  ।दोनों की जॉब अच्छी थी  किराए के घर में पैसा देने से अच्छा दोनों ने खुद का घर लेने का फैसला किया और दोनों ने लोन लेकर अच्छा सा घर ले लिया ।

शादीशुदा जिंदगी की गाड़ी अच्छे से दौड़ रही थी ।बीच में छोटे मोटे मनमुटाव हो जाते थे और इस बीच राघव का कई शहरों में टूर पर जाना होता । लेकिन महक ने महसूस किया कि पिछले एक दो महीनों से राघव थोड़ा चेंज सा लग रहा है ओर टूर भी ज्यादा एक शहर में हो रहें हैं उसने पूछा भी कुछ परेशानी है क्या कुछ अनमने से लगते हो, अरे ऐसा कुछ नहीं कह कर राघव बात टाल देता है।

पर महक का मन मानने को तैयार नहीं था वह अपने कुछ दोस्त को जो राघव के ऑफिस में भी थे से नजर रख कर बताने बोलती है , इस बीच उसका दोस्त बताता है फलां शहर में अभी कम्पनी ने कोई टूर प्लान नहीं किया है । उसका शक सही निकला वह यह बात अपनी बहनों से शेयर करती है और वो राघव भाई विशाल को बताती हैं।




कुछ समय बाद पता चलता है कि राघव का एक लड़की से अफेयर चल रहा है इस कारण ही वह वहां ज्यादा जाता है ,सुन कर तीनों बहन को धक्का सा लगता है ,ये कैसे संभव है वो तो महक को कितना चाहता था खुद शादी के लिए कहा था ,पर जो सच था तो था भले यकीन करना मुश्किल हो, राघव के बड़े भाई भी शर्मिंदा थे उन्होंने कहा में बात करता हूँ ।

दूसरे दिन राघव से बात करता है विशाल ,वह स्वीकार करता है वो अब महक के साथ नहीं रहना चाहता ओर पायल से प्यार करता है, विशाल उसे जोरदार थप्पड़ मारता है ,खेल समझ रखा है शादी को ,मासूम महक की जिंदगी क्यों बर्बाद कर रहे हो क्या मुँह दिखाऊंगा में सबको ,पर वह चुपचाप रहता है और चला जाता है।

किसी तरह पायल का नम्बर मिलता है और राशि उसे फोन लगा कर मिलने की बात करती है वह राजी हो जाती है। तीनों बहने ओर विशाल उस लड़की से मिलने जाते हैं वही आखिरी उम्मीद थी किसी तरह पीछा छोड़ दे राघव का ,मिलने पर पायल बोलती है दीदी महक को बचा लो अगर महक तलाक नहीं देगी तो राघव कुछ भी कर सकता है ,हम दोनों प्यार करते हैं अब पीछे नही हट सकते ,सुन कर तीनों बहनों के पैरों से जमी खिसक गई  ऐसा महसूस होता है ।पायल चली जाती है और सब चुप ,समझ ही नहीं आता अब क्या करें ।आखिर महक अपना निर्णय सुनाती है कि ऐसे इंसान के लिए जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती जो भरोसे के काबिल ही नहीं है  और तलाक की अर्जी लगाने बोलती है जीजाजी को,  मम्मी पापा को कैसे बताएंगे राशि ये सोच में पड़ जाती है, वो किसी कीमत पर तैयार नहीं होंगे छोटा शहर हजार  बातें, लोगों से सामना कैसे होगा वह मानेगें ही नहीं।

महक दूसरे ही दिन होस्टल में शिफ्ट हो जाती है, वह राघव से अपनी गृहस्थी बचाने की मिन्नतें नहीँ करना चाहती थी ,अंदर से भले कितनी टूट चुकी थी ,इतना बड़ा धोखा मिला था उसे, पर उसकी बहने उसका परिवार उसके साथ था जो उसे इस मुश्किल घड़ी से निकलने में मदद कर रहा था।




समय निकलता है और 6 महीने बाद तलाक की तारीख आ जाती है अभी भी सिर्फ राशि ने पापा को बताया और समझाया था, जिस रिश्ते में कुछ न बचा हो उसको संभालने से कोई फायदा नहीं दुनियाँ आज बोलेगी कल भूल जाएगी महक आगे सम्भल जाएगी ,अच्छा ही होगा।

महक की बस यही डिमांड थी कि उस पर के सारे लोन खत्म कर दिए जाएं बाकी उसे कुछ नहीँ चाहिए ।

अंदर गए साइन हुए और रिश्ता खत्म ,कोर्ट के अंदर जाती हुई महक खुद को टूटा महसूस कर रही थी पर आने के बाद आजाद सा महसूस  हुआ, पर सब चुप थे कोई किसी से कुछ नही बोल पा रहा था ,टेक्सी आई राशि ने कहा किसी रेस्टोरेंट में ले चलो , पहुंच कर पूछा कुछ मीठा है ,जी रबड़ी है ,कहा ले आओ वही ,बाकी बाद में ऑर्डर करते हैं।

रबड़ी खिलाते हुए महक को राशि ने कहा जिन्दगीं की नई शुरुवात के लिए मुंह मीठा करना जरूरी है , हल्की मुस्कान सबके चेहरे पर आई ।

शाम को ही महक ने मुंबई के टिकिट बुक कर रखे थे, विशाल गुंजन होस्टल जाकर उसका सामान ले आये और महक अपनी दोस्त के पास मुम्बई चली गई , कुछ जॉब ऑफर्स थे उसके पास वहां के , 20  दिन में नई नोकरी  की जॉइनिंग थी उससे पहले वो अकेले अंडमान गई बहुत कुछ झेला था उसने पिछले कुछ महीनों से खुद को रिलेक्स करना भी जरूरी था और घूम कर आने के बाद दो महीने बाद कम्पनी की ओर से लंदन जाने का मौका मिला , बहुत खुश थी आखिर परिवार के साथ ने ही इतने कठिन समय में उसे टूट कर बिघरने से बचाया , गुंजन ओर राशि बहुत खुश थे माँ को भी अच्छे से समझा लिया था राशि ने । कुछ महीने लंदन रहकर पूना आ गई ओर उसी कम्पनी में काम करने बाले अमन से उसकी दोस्ती हुई । अमन को उसने अपनी लाइफ का सब बता दिया था, उसकी साफगोई ,जिंदादिली से खासा प्रभावित था और एक दिन उसने उससे शादी के लिए प्रपोज किया ,महक को भी अमन पसन्द था , दोनों के परिवार मिले अमन के मम्मी पापा को भी महक पसन्द आई और महक अमन का रिश्ता पक्का हो गया ।




महक राशि गुंजन बहुत खुश थे एक दुसरे के साथ विश्वास के बदौलत आज खुशियों ने दुबारा दस्तक दी थी ।महक ने कहा में बहुत लकी हूँ जो मुझे ऐसा परिवार मिला, प्यारी बहनें मां पापा जीजू मिले जिन्होंने हर कदम पर साथ दिया, ये सब परिवार के साथ से ही सम्भव हुआ है ,जो हर मोड़ पर डट कर मेरे साथ खड़े रहे। दोनों बहनें  महक का हाथ अमन को देतीं हैं और कहती हैं अब से ये तुम्हारी अमानत है बड़े प्यार से रखना ,और तुम्हारा हमारे परिवार में तहेदिल से स्वागत है इतने में विशाल मिठाई ले आता है लो सब मुंह मीठा करो आखिर परिवार बड़ा हो गया है हमारा सब मुस्कुराते हैं।

नंदिनी

स्वरचित

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