कमीशन-लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बात तो तीन सौ रुपया एक दिन की हुई रही उस हिसाब से तो हमार एक हफ्ते की पगार इक्कीस सौ होती है पर आप तो हमें चौदह सौ दे रहे हैं ।और इस रामू को तो पूरे इक्कीस सौ ही मिले है कमर में डेढ़ साल की बिटिया को चिपकाए माथे से बहते पसीने को गमछे से पोंछती रमिया रुपए मिलते ही झमक उठी काहे या फर्जी बड़ा काहे बाकी का पैसा बड़े बाबू की जेबा में!!

ये बड़े बाबू कह रहे हैं कि बड़े साहब को कमीशन भी देना पड़ता है और महिलान ता काम कम और गप्प जादा करती हैं सुस्ताती रहती है जाओ जाकर साहब से पूछो है हिम्मत तो जाओ क्यों बड़े बाबू ठीक कहा ना जाओ जाओ…..रामू ने जोर से कहा तो बड़े बाबू सहित सबका ठहाका गूंज उठा।

अच्छा हम महिलाओं से काम पूरा करवा डारे हैं जितना काम बताए रहे सौंपे रहे सब हम कर डारे हैं जबकि ये रामू दिन भर मुंह में खैनी दबाते सुस्तात रहता है लेकिन गला हम महिलाओ का  ही मिला काटने को रत्ना काकी उलझ पड़ीं।

बड़े साहब की कंपनी की सप्ताह भर चलने वाली राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठी में  साफ सफाई के लिए बुलाए गए सभी मजदूरों में दुख और असंतोष था….। धन्नो  गरज उठी हां हां हम जायेंगे …अभी जा रहे हैं बड़े साहब के पास कौन उनको धन की कमी पड़ गई है जो हम गरीबन की मेहनत की कमाई में भी  कमीशन मांगना पड़ रहा  है …. चलो बिमला तारा रुक्की श्यामा संतो प्यारी सब जनी आओ मेरे साथ कमर में फेंटा लगा नेता बन आगे बढ़ चली थी वह।

बड़े बाबू के रोकते रोकते भी पूरा महिला दल जा पहुंचा जहां बड़े साहब अपनी धर्मपत्नी मेधा और मित्र मंडली के साथ घिरे पार्टी का आनंद ले रहे थे।

का साहब हम महिला हैं ता का हमर #गला  काट लेंगे एक हफ्ता से सुबह से  रात तक पसीना बहा चुके हैं उसीका पैसा मांग रहे हैं खैरात नही मांग रहे फिर कमीशन काहे काट रहे है…! धन्नो की घन गर्जना के सामने डीजे की आवाज मंद पड़ गई थी।

मेधा जी अचकचा गईं।क्या हुआ …क्या तुम लोगो को पैसे नही मिले ..!!कमीशन कौन मांग रहा है… आश्चर्य और आवेश दोनो था उनकी आवाज में।

ये आपके विश्वस्त बड़े बाबू कसाई बन गए हैं रोज हम गरीबों का #गला काटता है नाम आपका लगाता है हम सच्चाई जानने आए हैं क्या आपको हमीं से कमीशन  चाहिए..!!धन्नो हिम्मत से फट पड़ी थी।

बड़े बाबू दौड़ते हुए धन्नो के करीब आए जरूर लेकिन तब तक आग्नेय नेत्रों से बड़े बाबू को घूरती मेधा ने आगे बढ़कर धन्नो  का हाथ थाम लिया था और बड़े साहब को अपनी कंपनी में  लगातार बढ़ते जा रहे लेबर असंतोष और घोटाले की असलियत पता चल गई थी……!!

गला काटना#

लतिका श्रीवास्तव

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