“कहानी किस्मत की” – कुमुद मोहन

“क्या कहा डाक्टर ने सोनोग्राफी में क्या निकला?”पराग और विभु के घर में घुसते ही अम्मा जी ने कहा!

अम्मा जी!ट्वीन्स हैं!थोड़े कमजोर हैं अच्छा खाने पीने को कहा है।

 

अम्मा जी ने फौरन ऊपर हाथ करके भगवान से प्रार्थना की”हे भगवान दोनों लडके ही हों एक झटके में हमारे तो सारे संकट दूर हो जाऐंगे “दो लड़कियां तो पहले ही मौजूद हैं

उनके  के बाद अब तीसरी छोरी झेलने की ताकत नहीं है!

 

पराग और विभु चाहते थे भगवान जो भी दे स्वस्थ  दे!डाक्टर ने बता दिया था कि एक लड़का एक लड़की है!यूं तो सोनोग्राफी अपराध है पर अम्मा जी की भतीजी सुधा ने चुपचाप अम्मा जी के बहुत कहने पर करा दी थी!

 

विभु ने किसी तरह सुधा को लड़की के बारे में अभी ना बताने को राजी कर लिया !वरना लड़की होगी जानकर अम्मा जी अबॉर्शन की जिद करतीं!

जैसे जैसे टाइम पास आ रहा था अम्मा जी का पूजा-पाठ चरम सीमा पर पहुँच रहा था।

डिलिवरी हुई नर्स ने जब दोनों बच्चे अम्मा जी को दिये तो अम्मा जी को जैसे पता चला एक लड़की है तो सर पकड़कर बैठ गई !मुँह पर पल्ला डाल प्रलाप करने लगीं “मेरे करम फूट गए मेरा लड़का ज़िन्दगी भर इन तीन-तीन छोरियों के वास्ते घर-वर ढूंढते बुड्डा हो जावेगा”

 



उन्होंने लड़के को तो गोद में ले लिया पर लड़की को घर लेजाने को राजी नहीं हुई! कभी डाक्टर तो कभी नर्स को कहने लगीं इसे किसी बेऔलाद वाले को दे दो या कहीं फेंक दो!सबने समझाया कि उन्हें उस बच्ची को घर ले जाना ही होगा।

पराग और विभु को अम्मा जी का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगा!

 

अम्मा जी उस बच्ची से अछूत की तरह व्यवहार करतीं! वह रोती तो कोई उसे चुप नहीं कराता ,अम्मा जी चाहतीं थी किसी तरह वह जिंदा ही ना बचे!

 

जिस डाक्टर ने विभु की डिलीवरी कराई थी उसकी दूर की रिश्तेदार एक बच्चा गोद लेना चाहती थी अम्मा जी की जिद देखकर उसने उसे बच्ची गोद दिला दी।पूरी कानूनी कार्रवाई हो गई। विभु और पराग अपनी बच्ची के बिछोह में बहुत दुखी हुए! पर उनके मन में यह तसल्ली थी कि कम से कम उनकी बच्ची अच्छे घर में किसी जरूरतमंद के पास है।

 

शमा और दिनेश ने बच्ची का नाम सुमी रखा!

सुमी दोनों की आखों का तारा थी।बहुत ज्यादा लाड-प्यार से वे उसे पाल रहे थे !बढ़िया से बढ़िया सामान,कपड़े!शहर के सबसे महंगे स्कूल में उसका एडमिशन कराया !

 

धीरे धीरे समय बीतता गया सुमी को कभी पता नहीं चला कि शमा और दिनेश उसके असली मां-बाप नहीं हैं!

 

सुमी पढ़ाई के साथ-साथ ऐक्स्ट्रा कैरिकुलर ऐक्टिवीटी में भी बहुत होशियार निकली!

सुमी गाना बहुत अच्छा गाती!स्कूल,काॅलेज में जब स्टेज पर सुमी का गाना सुनते तो लोग मंत्र मुग्ध हो जाते।उसके गाऐ गानों के कई एल्बम भी निकले।

दिनेश और शमा को डाक्टर के जरिये विभु और पराग के बारे में पता चला कि सुमी का जुड़वाँ भाई उनका बेटा तो बोल ही नहीँ पाता जन्म से गूंगा है।बहुत इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं हुआ।

 



भगवान ने जहाँ सुमी को मीठी आवाज दी थी वहीं उसी के साथ एक ही मां की कोख में पले उसके जुड़वाँ भाई की आवाज छीन ली थी।

 

जिस लड़के को अम्मा जी अपने बुढ़ापे का सहारा  समझ रही थीं  वही उनके लिए बोझ बन गया।

 

अब अम्मा जी दिन रात अपने को कोसती हैं क्यूं उन्होंने उस बच्ची को उसके मां-बाप से अलग कराया!  उस मासूम की आह उन्हें लग गई उस दुधमुंही बच्ची को उन्होंने मां के दूध और मां-बाप के प्यार दुलार से वंचित किया!भगवान कभी उन्हें माफ नहीं करेंगे!

 

बेटी को घर से बाहर कर बेटे को अपनाकर अम्मा जी को सौदा बहुत महंगा पड़ा! पराग और विभु का इकलौता बेटा हमेशा के लिए उनके लिए परेशानी का सबब बन गया।

अम्मा जी की जरा सी जिद से और पराग और विभु की अपनी मां के खिलाफ आवाज न उठाने की सजा बेचारी सुमी को मिली!भाई बहन होते हुए भी उसे उनका प्यार नहीं मिल सका।

 

सुमी के भविष्य के लिए एक तरह से अच्छा हुआ

जिस तरह से शमा और दिनेश ने उसका लालन-पालन किया उतनी अच्छी तरह शायद पराग और विभु बाकी तीन बच्चों के साथ नहीं कर पाते!ऊपर से अम्मा जी का सुमी के साथ व्यवहार सुमी के व्यक्तित्व को दबा सकता था!

अपनी अपनी किस्मत!

दोस्तों

पता नहीं क्यूं आज भी बेटी की जगह लोग बेटा होने की चाह करते हैं!

आप लोगों में से चाहे कुछ लोग विश्वास ना करें पर मेरा ये ब्लॉग सच्ची घटना पर आधारित है!आज सुमी पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होकर अपने मां-बाप का नाम रोशन कर रही है!जो गर्व शमा और दिनेश को सुमी के मां-बाप होने का हो रहा है वो पराग और विभु को होता।

हर बच्चा अपनी किस्मत लेकर दुनिया में आता है।

आपको पसंद आए तो प्लीज लाइक-कमेंट अवश्य दें!कृपया मेरे बाकी ब्लाग्स भी जरूर पढें।धन्यवाद

आपकी सखी

कुमुद मोहन

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