झूठा सच – बरखा शुक्ला

भाभी सब काम निपटा कर कॉफी ले आयी थी , समीर को भी रात में कॉफी पीना बहुत पसंद था , समीर की याद से नेहा के मन में एक कसक सी हुई ।

कॉफी का कप लेते हुए नेहा ने पूछा” छोटू सो गया ?”

“हाँ तुम्हारे भईया ने सुलाया । मुझसे कहाँ सोता है । उसे सुलाते हुए खुद भी सो गए । “भाभी बोली ।

” भाभी कॉफी बहुत बढ़िया बनी है ।”नेहा ने एक घूट ले कर कहा ।

“थैंक यू , तुम्हें एक बात बतानी थी , वैसे तुम्हारे भईया ने मना किया था ।”भाभी बोली ।

“कौनसी बात ? “नेहा ने पूछा ।

“कल मार्केट में समीर जी दिखे थे ,साथ में कोई लड़की थी ।” भाभी बोली।

“वो जरूर सीमा होगी।”नेहा बोली।

“अच्छा मैं तो नही जानती ,तुम्हारे भईया तो काफी तैश में आ गए थे , मैंने ही शांत किया ।”भाभी ने बताया ।

“उस सीमा को शर्म नही आ रही मेरा घर तोड़ते हुए ।” नेहा रुआंसी सी बोली ।

“नेहा एक बात बोलू ,बुरा मत मानना ,तुम्हारा घर उसने नही , तुमने खुद तोड़ा है ।” भाभी बोली ।

“ये क्या कह रही है आप । “नेहा बोली ।

“सच कह रही हूँ , सच बोलो समीरजी बिल्कुल फिदा नही थे तुम पर ।” भाभी बोली ।

ये सुनकरअभी भी नेहा के गाल गुलाबी हो गए ।

“तुम्हे उन्होंने शादी के पहले ही बता दिया था, कि पिता के न होने से छोटे भाई व बहन की जिम्मेदारी मेरी है ।


,बताया था न ?”भाभी ने पूछा । 

“हाँ बताया था ।” नेहा बोली ।

“अब तुम यहाँ सबकी लाड़ली थी , शुरू के कुछ महीने तो घूमते फिरते निकल गए , फिर तुम पर जब गृहस्थी का बोझ पड़ा तो तुम बौखला गयी । समीरजी भी तुम्हें उतना समय नही दे पाते थे ।” भाभी बोली ।

“आप शायद सही कह रही है ।” नेहा बोली ।

“फिर एक ही शहर में मायका होने से तुम भाग भाग कर यहाँ आने लगी , मम्मी जी भी अपनी बेटी के प्यार में तुम्हारी छोटी – छोटी शिकायतों को हवा देती रही ।”भाभी फिर बोली ।

“हाँ मम्मी ने मुझे ऐसे कभी नही समझाया ।” नेहा बोली ।

“देखो जब पति नही होता है , तो औरत को डर होता है कि मेरे बच्चो का क्या होगा , तुम्हारी सास का डर भी जायज था , उन्हें बेटा पढ़ाना था , बेटी ब्याहनी थी , उन्हें डर था , कही बहू बेटे को लेकर अलग न हो जाए ।” भाभी बोली ।

“पता नही क्यों मुझे ऐसा लगने लगा था कि सब समीर के पैसे पर ऐश कर रहे है ।” नेहा बोली ।

“नेहा शादी के बाद संयुक्त परिवार में पति के साथ घर के दूसरे लोगों का दिल भी जीतना होता है , तुमने सिर्फ समीरजी से मतलब रखा । घर मे ननद थी , सास देवर थे , पर तुमने कभी उनसे घुलने मिलने की कोशिश नही की ।” भाभी बोली ।

“हाँ भाभी समीर के ऑफिस जाते ही या तो मैं कमरे में कैद हो जाती या फिर यहाँ आ जाती । ” नेहा बोली 

“अब सोचो इस तरह का व्यवहार मैं तुम लोगो के साथ करती तो इस घर का माहौल क्या होता ।” भाभी बोली ।

“सच कह रही हो भाभी , आपने तो हमेशा मम्मी पापा को सम्मान व मुझे छोटी बहन से स्नेह दिया ।”नेहा बोली ।

“तो फिर तुम क्यों नही अपनी ननद की सहेली व देवर को भाई सा स्नेह व सास को सम्मान नही दे पाई ।”भाभी बोली ।

“हाँ भाभी अब मुझे अपनी गलती समझ आ रही है , वर्ना उन लोगों ने तो मुझे सर आंखों पर बैठाया ।” नेहा बोली ।

” तुम यही नही रुकी तुम समीरजी से अलग रहने की जिद करने लगी , उन्होंने तुम्हें बहुत समझाने की कोशिश की, पर तुम बोरिया बिस्तर लेकर मायके आ गयी ।” भाभी थोड़ा रुक कर फिर बोली “यहाँ भी मम्मीजी ने यही कहा अलग रह कर भी जिम्मेदारी निभा सकते है ।उन्होंने बहुत मनाने की कोशिश की, पर तुम नही मानी ,फिर हार कर उन्होंने फ़ोन लगाना ही छोड़ दिया । 

“पर भाभी वो सीमा ।” नेहा झिझकते हुए बोली ।

“इसलिए तुम्हें समझा रही हूँ ,देर न करो जाकर अपना घर संभाल लो , नही तो ऐसे टूटे रिश्तो को जोड़ने के लिए कई सीमा मिल जाती है ।” भाभी तीर निशाने पर लगता हुआ जान कर बोली ।

“आप सच कह रही है भाभी ,पर अब वापस लौटूँगी तो मेरी बेज्जती नही होगी ।” नेहा ने पूछा ।

“नेहा वो तुम्हारा अपना घर है , पर अफसोस तुमने कभी उसे अपना माना ही नही , एक बार जाकर तो देखो सब कैसे स्वागत करते है ।” भाभी बोली ।

“थैंक यू भाभी ।” नेहा बोली ।

“अच्छा अब सो जाओ ,गुड नाईट ।”भाभी कप उठा कर चल दी ।

सुबह उसने मम्मी को अपना फैसला सुना दिया , सुनते ही मम्मी गुस्से से बोली “तुम्हें किसी ने कुछ कहा है क्या?” उन्होंने भाभी की तरफ देख कर कहा ।

नेहा के कुछ बोलने से पहले ही पापा बोले “बिटिया ने सही फैसला लिया है उसे सपने घर जाने दो ।”

“ये घर भी उसका है ।”मम्मी तुनक कर बोली ।

“बेटी ससुराल में ही अच्छी लगती है , और ऐसी छोटी छोटी बातों को लेकर घर छोड़ना अच्छी बात नही है , बहू विपिन से कहो नेहा को ससुराल छोड़ आये । ” पापा ने कहा ।

भईया उसे छोड़ने चल दिये ,रास्ते में उन्होंने मिठाई भी ले ली थी ।

देवर बाहर ही मिल गया , आगे बढ़ कर भईया व मेरे पैर छू भैया के हाथ से सूट केस ले लिया ।

“माँ देखो तो कौन आया है । “देवर ने आवाज देकर कहा।नेहा के पैर छूते ही माँ जी ने आशीर्वाद देते हुए उसे गले लगा लिया ।

तभी रीता भी भाभी बोल गले लग गयी ।

“कौन आया है भई ,”तभी समीर की आवाज आई , नेहा को देख वो अचकचा गए ।

जल्दी से भईया के पैर छुए ,भईया बोले “समीर तुम्हारी अमानत को संभालो ।”

“जी भईया ,” समीर बोले ।

भईया ने माँ जी को मिठाई दी व बोले” अब मैं निकलता हूँ।”

“बेटा हमारी बहू आ गयी , हमारा मुँह तो वैसे ही मीठा हो गया , बेटा पर तुम भी तो कुछ लो ।” माँ जी बोली ।


“माँ जी अभी आप अपनी बहू का लाड़ करे ,मैं फिर कभी सबको लेकर आता हूँ ।” भईया बोले 

मेरे सर पर हाथ रख भईया आँसू छुपाते बाहर निकल गए ।

समीर भईया को छोड़ने बाहर तक गए ।बाहर निकल कर भईया बोले “तुम्हारी भाभी ने सीमा का नाम लेकर झूठ बोला है , पर इसे घर वापस भेजने के लिए जरूरी था , अब बाकी तुम संभालना ।”

“भईया किसी की भलाई के लिए बोला गया झूठ ,झूठ नही वो तो सौ सच के बराबर होता है , भाभी का ये अहसान मैं कभी नही भूलूंगा ।”समीर बोले ।

“तुम दोनो खुश रहो ,हम बस यही चाहते है ।”ऐसा बोल भईया समीर से विदा ले कार में बैठ गए ।

समीर के अंदर आते ही रीता बोली “भईया आपका टिफीन ला दू ,ऑफिस जाना है न आपको ।”

“अरे आज कौन ऑफिस जाएगा , तुम्हारी भाभी से कितनी बातें करनी है ।” समीर शरारत से बोले ।

“चलो दोनों और भईया भाभी को बातें करने दो ।’

माँ जी बोली ।

“अरे नही माँ जी ,”नेहा बोली 

“बहू जा अपने कमरे में ।” माँ जी बोली ।

“माँ जी वो कुछ काम ।” नेहा बोली।

“बहू अब कल से सब तुम ही संभालना ,आज आराम करो ।” माँ जी स्नेह से बोली ।

कमरे में पहुँचते ही नेहा बोली “मेरे न होने से सीमा के साथ बहुत घूम रहे हो ।”

“अब तुमसे झूठ नही बोलूँगा ,तुम्हें वापस बुलाने के लिए भईया भाभी के साथ मिल कर ये नाटक करना पड़ा , अब माफ कर दो । ” समीर ने कान पकड़ कर कहा ।

“अच्छा , तो आप सब मिले हुए थे ,पर ये झूठ मुझे बहुत बड़ी सीख दे गया ,और आपको माफी तब मिलेगी ,जब कमरा साफ करने में आप मेरी मदद करेगें , क्या हाल कर दिया है , कमरे का ।” नेहा बोली 

“तुम्हारे बिना अपना ही होश नही था ,कमरे का तो छोड़ो ।”समीर ने मुस्कुरा के कहा और नेहा शरमा के समीर के गले लग गयी ।

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