जोरू का गुलाम (भाग -1)- लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : रहने दे बेटा मां को छोड़ तू तो जा अपनी बीबी की ही तीमारदारी कर …..राजमोहन जी ने बहुत धीमे से दांत दबाकर कहा था लेकिन फिर भी अंत का शब्द जोरू का गुलाम पलाश के कानों में पड़ ही गया था।

पत्नी आनंदी के साथ पलाश का हंसी ठिठोली करना बैठ कर बातें करना अपने चार माह के पुत्र मनु को गोदी में उठाना उसका दुलार करना सब बातें पता नहीं क्यों पिता जी को फूटी आंख नहीं सुहाती थीं।

अगर कभी आनंदी उसे फोन लगा लेती थी कोई बात कर लेती थी तब भी ताने की शिकार हो जाती थी ..”इतना भी क्या बात करने का शौक चढ़ा है…अपने कब्जे में रखना चाहती है अपने पति को ऑफिस में भी चैन नहीं लेने देती ।

 

उसने सोचा आनंदी को आज बाहर घुमा लाता हूं ऑफिस से उसने आनंदी को फोन किया था आनंदी शाम को रेडी रहना फिल्म देखने चलेंगे ।

शाम को जैसे ही घर में घुसा देखा मां कराह रही थीं।

आनंदी उनकी सेवा टहल में लगी थी।

अरे क्या हुआ मां को सुबह तक तो ठीक थीं और आनंदी तुम अभी तक तैयार क्यों नहीं हुई हो इतनी मुश्किल से मूवी का टिकट बुक करवाया है मैंने ना चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल पड़ा था ।

बस कोहराम सा मच गया था।

हां बहू तू जा तैयार हो जा मेरा क्या है बुढ़ापे का शरीर है कुछ ना कुछ कष्ट तो लगा ही रहेगा तू जा पिक्चर देख आ….

हम तो अपने जमाने में कबहूं कोई पिक्चर इक्चर देखे नही गए बस पूरी जिन्नगी यहे चूल्हा चौका सबकी तीमारदारी में बीत गई….. सुलोचना जी की बड़बड़ शुरू हो गई थी।

आनंदी ने मां के हाथ में गर्म हल्दी दूध का गिलास पकड़ाते हुए धीरे से  कहा आज रहने देते हैं मां की तबियत ठीक नहीं है और किचेन में वापिस चली गई थी।

पलाश का दिमाग भन्ना उठा था वह अच्छे से जानता था अचानक मां की तबियत क्यों खराब हो गई।

मूवी का टाइम निकल जाने के बाद मां एकदम चंगी हो जाएंगी उसे मालूम था।

जाने क्यों मां पिता जी को मेरा अपनी ही पत्नी के साथ मिलना जुलना हंसना बोलना अच्छा नहीं लगता इतना काम करती रहती है सुबह से छोटा बच्चा भी तंग करता है फिर भी दौड़ दौड़ के मां पिता जी के सभी कार्य करती रहती है।

अगर मैं उसकी थोड़ी सी सहायता कर देता हूं तो जोरू का गुलाम अगर उसकी तबियत खराब है मैं उसे दवाई निकाल कर देता हूं पानी का गिलास भर के उसके हाथ में पकड़ा देता हूं तो जोरू का गुलाम…सबको गरम रोटी खिलाने के बाद जब वह अकेले  खाना खाने बैठती है मैं उसके साथ बैठ जाता हूं तो जोरू का गुलाम…. रात में मनु के तंग करने पर मैं उसे गोद में लेकर बरामदे में घूमने लगता हूं ताकि आनंदी की नींद ना टूट जाए वह चैन से सो ले तो जोरू का गुलाम….!!

 

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