जीवन शैली में बदलाव – पुष्पा जोशी : hindi stories with moral

hindi stories with moral : विवेक आज पूरे बारह वर्षों के बाद अपने पैतृक गाँव में वापस आया। स्टेशन पर पैर रखते ही एक अजीब सी मिठास उसके मन में समाहित हो गई, उसे आनन्द की अनुभूति हो रही थी ।वह सोच रहा था कि इतने वर्षों के बाद, वह अपने दोस्तों से मिल कर अपनी पुरानी यादों को ताजा करेगा।

उसका घर स्टेशन से ज्यादा दूर नहीं था, वह पैदल ही अपने घर की ओर चल पढ़ा। गाँव काफी बदल गया था, उसका स्कूल जो सिर्फ दसवीं कक्षा तक था, अब कॉलेज में तब्दील हो गया था। विवेक के मम्मी पापा का निधन हो गया था। और भैया भाभी भी बड़े शहर में जाकर बस गए, उन्होंने खेतीबाड़ी बटाई पर देदी और शहर में कपड़ो की दुकान खोल ली। बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके इसलिए उन्होंने शहर में बसना ठीक समझा।
विवेक दसवीं कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए शहर गया, वहाँ होस्टल में रहता था, पढ़ाई में बहुत होशियार था, उसे स्कालरशिप मिलती थी, और भैया भाभी का सहयोग भी मिलता था। उसे विदेश जाने का अवसर मिला और वहीं से उसने डॉक्टर बनने की पढ़ाई पूरी की। आज वो एक काबिल डॉक्टर बन गया था,कई हॉस्पिटल से उसके लिए ऑफर आए, मगर उसे अपने गाँव की मिट्टी से प्यार था, इसलिए उसने अपने गाँव में अपना क्लिनिक खोलने का निश्चय कर लिया था।

घर में प्रवेश करते ही पुरानी स्मृतियाँ ताजा हो गई। अपने पिता की याद आई जो वक्त पर सही उपचार न मिलने के कारण दुनियाँ छोड़कर चले गए, माँ इस दु:ख को सहन नहीं कर सकी और सालभर के बाद ही ईश्वर को प्यारी हो गई। तभी से विवेक के मन में यह सपना पल रहा था कि वह गाँव में एक अस्पताल बनाएगा।

उसने दो काम करने वालो की मदद से घर की सफाई करवाई। वह गाँव में अपने मित्रों से मिलने के लिए निकला, उसके ज्यादातर दोस्त शहर में जाकर बस गए थे। दो दोस्तों से मुलाकात हुई। उसे मीता की याद आई जो उसके साथ पढ़ती थी, वह उसके घर गया। उसने मीता के माता पिता को प्रणाम किया। रामनारायण जी उसे पहचान नहीं पाए तो अपना परिचय दिया और मीता के बारे में पूछा। वे बोले ‘बेटा, मीता के बारे में कुछ मत पूछो,उसकी हालत बहुत खराब है।

बहुत कमजोर हो गई है। उसकी शादी इसी गाँव में हुई  है।तुम आनन्द बाबू को तो जानते ही होगे, जो विद्यालय में प्राचार्य थे, अब सेवा निवृत हो गए हैं उन्हीं के बेटे राजीव से उसका विवाह हुआ है। परिवार और जमाई बाबू बहुत अच्छे है, मगर उसने अपनी तबियत अपनी लापरवाही के कारण बिगाड़ी है।

न समय पर खाना न पीना न सोना।घर के कामकाज करना, बच्चों और परिवार के पीछे वह खुद को भूल ही गई। मैं और तुम्हारी आंटी भी समझाते हैं, मगर वह किसी की सुनती ही नहीं। अभी क्या उम्र है उसकी बड़ी बेटी पॉंच साल की है और छोटा बेटा दो साल का, अगर मीता को कुछ हो गया तो बच्चों का क्या होगा।’
विवेक ने कहा- ‘अंकल आप चिंता न करें मैं आज ही जाकर राजीव से मिलता हूँ, वह मेरा भी दोस्त है। अंकल आपके आशीर्वाद से मैं डॉक्टर बन गया हूँ, और मैंने अपना क्लीनिक इस गॉंव में खोलने का निश्चय किया है।’ रामनारायण जी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने आशीर्वाद दिया। विवेक ने राजीव से मिला उसने मीता की तबियत देखी, कमजोरी बहुत थी ।

उसे कुछ ताकत की दवा दी। और समझाया- ‘अभी तुम्हें कोई बिमारी नहीं है। समय पर खाओ-पीओ। अगर तुम स्वस्थ रहोगी तभी तो पूरे परिवार को सम्हाल पाओगी। मीता तुम परिवार के साथ अपना भी ध्यान रखा करो, तुमको अगर कुछ हो गया तो बच्चों का और राजीव जी का क्या होगा, कभी सोचा तुमने।

अब मैं इसी गाँव मे रहने वाला हूँ, तुम्हारी रोज खबर लूंगा।’ विवेक की बातों का मीता पर बहुत असर हुआ। अब वह परिवार के साथ अपना भी ध्यान रखती थी, जो वह भूल गई थी। उसके मन में यह डर बैठ गया था कि अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे परिवार का क्या होगा। उसकी जीवन शैली में आए इस बदलाव से परिवार में सभी बहुत खुश थे।

प्रेषक-
पुष्पा जोशी
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

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