जीवन साथी की कमी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : असमय पति की मौत ने निधि को जड़वत कर दिया था।वो सोंच ही नहीं पा रही थी कि आगे कैसे होगा क्या होगा बच्चों का कैसे मैं अकेले सबकुछ कर पाऊंगी। हंलाकि निधि भी स्कूल में टीचर थी पति ज्यादा कुछ कमाते नहीं थे लेकिन एक सुरक्षा की भावना तो रहती है न कि मेरा जीवन साथी साथ में हैं । निधि की उम्र 45 साल रही होगी जब पति का देहांत हुआ और 17 साल की बेटी और 14 साल का बेटा था । निधि को सब तरफ अंधेरा ही अंधेरा दुख रहा था क्या होगा कैसे होगा कैसे मैं बच्चों को संभाल पांऊगी।

                    निधि स्कूल और घर बस यही जानती थी कभी भी घर से बाहर का काम उसने किया ही नहीं था ।बाहर की दुनिया उसने देखा ही नहीं था । स्कूल में टीचिंग भी उसने मजबूरी के तहत ही किया था। कहते हैं न जब आपके जीवन में कुछ अनहोनी घटित हो जाएं तो हिम्मत दोगुनी हो जाती है उसे झेलने के लिए । निधि को मायके ससुराल से कोई सहारा नहीं था।इस घटना से बच्चे भी सहम से गए थे ।

चुलबुली सी बेटी और नादान सा बेटा भी समझदार हो गए थे जिनमें से अभी तक बचपना गया नहीं था । बेटी ने घर पर छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया । बेटा तो अभी छोटा था गुमशुम सा रहने लगा । उसे बर्गर बहुत पसंद था अक्सर निधि से वो मंगवाने के लिए बोलता था एक दिन अचानक निधि को याद आया कि अब बेटा बर्गर मंगाने को नहीं कहता वो बेटे का मन बहलाने को बोली आज बर्गर मंगा देते हैं तो बेटा कहने लगा नहीं मम्मी अब मुझे बर्गर नहीं खाना अच्छा नहीं लगता । सुन कर निधि की आंखों में आंसू आ गए ।

                 अब दोनों बच्चे पढ़ाई को गम्भीरता से लेने लगे थे किसी तरह जोड़ तोड़ करके बच्चों की पढ़ाई पूरी कराई । बेटी ने ग्रेजुएशन करने के बाद बच्चों के स्कूल में टीचर की नौकरी कर ली और बेटे को होटल मैनेजमेंट में इंटरेस्ट  था तो वो उसकी तैयारी करने लगा ।और फिर वो भी दिन आया कि बेटे का सलेक्शन होटल मैनेजमेंट में हो गया ।

अब दाखिला लेने की बारी थी इतने पैसे तो निधि के पास थे नहीं सो लोन लेने की सोंचा तीन लाख रूपये का लोन चाहिए था । निधि सोंच रही थी कैसे ये सब होगा वो तो कुछ जानती ही नहीं । निधि बैंक गई वो फार्म लेकर खड़ी थी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें कैसे करें आंखों में आसूं लिए वो बस पेपर को देखती जा रही थी ।

तभी कांउटर पर बैठी लड़की ने पूछा क्या हुआ मैम कोई परेशानी हो तो हमें बताएं निधि ने आंसू पोंछते हुए कहा जी मैंने कभी ये सब काम किया नहीं है लड़की बोली मुझे दिजिए मैं भर देती हूं आप सिर्फ साइन कर दीजिएगा । निधि को आज पति की कमी बहुत खल रही थी बाहर जाकर ये सब भी करना पड़ेगा उसने कभी सोचा ही नहीं था । लेकिन जो ईश्वर को मंजूर हो होता तो वहीं है न ।

                  बहरहाल आज आठ साल हो गए हैं पति की मौत को अब निधि घर बाहर सबकुछ अच्छे से संभाल रही हैं लगता ही नहीं है कि ये वही निधि है आठ साल पहले वाली । सबकुछ ठीक है लेकिन जीवन साथी की कमी तो कभी पूरी नहीं हो सकती ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

#जीवनसाथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बांट सकता। 

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