जान है तो जहान है – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

राजेश जी और अंकिता जी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अपनी पचास साल की जमी जमाई गृहस्थी को छोड़कर उन्हें इस तरह भागना पड़ेगा। कोरोना नामक इतना भंयकर तूफान आया था कि उसने अनगिनत जिन्दगीयां लील ली। कितने ही परिवार उजड़ गए। बच्चे अनाथ हो गए तो कही माँबाप संतान विहीन हो गए। इसी  कोरोना नामक सुनामी के कारण उन्हें भी अपना घर छोड कर भागना पड़ा।

 चर्चा तो पाँच-छः दिन से हो रही थी कि लॉक डाऊन लगने वाला है पर राजेश जी एवं अकिता जी ने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया उनकी बेटियों के भी फोन आने लगे मम्मी सारा जरूरत का सामान ले आओ पता नहीं कब मिलना बन्द हो जाए अच्छा तो रहेगा आप दोनों दीदी के यहाँ जोधपुर चले जाओ। यहां अकेले  फँस जाओगे यदि आप लोगो को कुछ हो गया तो हम सम्हालने भी नहीं आ पायेंगे ।पर अंकिता जी ने इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया। सोचती ऐसा थोडे ही होगा, फिर भी वे सामान ले आई।तभी अचानक सुना कि बाइस मार्च से जनता लॉक डाउन लग जायेगा तो उन्होंने सोचा यह पूर्ण लॉक डाउन थोडे ही होगा। लोग, स्वेच्छा से ही घर के बाहर नहीं निकलेंगे। तभी इक्कीस तारिख को कामवाली बाई बोली किआंटी मैं कल से नहीं आंउगीं। क्यों कहीं जा रही हो क्या ।

नहीं आंटी कल से लॉक डाउन लग रहा है सो नहीं आ पाऊंगी।

अरे ये तो जनता लॉक डाउन है इसमें इतनी रोक नहीं होगी तुम सुबह थोडा जल्दी आ जाना।

वह बोली  ठीक है आ पाऊँगी तो आ जाउंगी 

खाना बनाने आई मंजू भी खाना बनाकर जाते समय बोली आंटी जी में कल से नहीं आऊंगी लाॅक डाउन लग रहा है। अंकिता जीने उससे भी यही कहा ऐसा कुछ नहीं हैं निकल आना। वह भी देखती हूँ कह कर चली गई।

अब अंकिताजी चिन्तीत हो गई काम कैसे होगा ।सोचने लगी मानो सही में ही नहीं आ पाईं तो। पचहत्तर वर्षीय अंकिता जी काम के बारे में सोच कर काँप उठीं। कैसे मैनेज होगा सब।

तभी उनकी बेटियों के फोन आए कहने लगीं आप से कहा था निकल जाओ पर आपने सुना ही नहीं। आज ही निकल जाओ नहीं तो आगे और सख्ती हो जाएगी फिर आप निकल ही न सको।

तब उन्होंने अपने ड्राइवर को बुलाया और उससे कहा, राजू गाडी तैयार  कर लो और तुम हमें परसों जोधपुर छोड़ आओ । ठीक है कहकर वह गाड़ी ले गया। पेट्रोल हवा वगैरा चैक करा लाया  और आकर बोला जब आप कहेंगे निकल चलेंगे।

 दूसरे दिन  काम वाली नहीं आई फोन आया  इधर हमारे मुहल्ले में पुलिस है नहीं आने दे रही ।  दो घंटे बाद मंजू का भी  फोन आ गया कि पुलिस नहीं आने दे रही। में अभी भी  सोच रही थी कि शायद एक दो दिन में खुल जाए। तभी दोपहर को राजू आया और बोला आंटी आने जाने पर रोक  लग गई है अब आप नहीं जा पाओगे।  में भी गाँव जा रहा हूं  कुछ और मॅगवाना हो तो  मैं कहीं से ला देता हूं फिर में निकलूंगा। 

 यह सुन उनके हाथ पैर फूल गये। उससे तो बडा सहारा था। राजेश जी  की तबियत ठीक नहीं रहती थी. हार्ट अटैक कुछ दिन पूर्व ही आया था। तब से  उनका गाडी चलाना डाक्टर ने मना कर दिया था अगर कहीं समय असमय तबियत खराब हो गई तो। 

तभी उनकी बेटी का फोन आया मम्मी आने जाने पर रोक लग गई है। अब आपको जिलाधीश से परमिशन लेनी होगी। दूसरे दिन वे अपने भतीजे  को साथ ले जिलाधीश कार्यालय गईं। वहां तीन घंटे बैठने के बाद नम्बर आया तो सहायक जिलाधीश इस  कार्य को अंजाम दे रहे थे बोले क्यों जाना है आपको पहले भी तो रह रहे थे।

 अंकिता जी सर में काम नहीं कर पाती हूं पहले सहायिका आ रही थी, बाहर कहीं आने जाने  के लिये ड्राईवर   था। अब कोई नहीं आ  रहा है  ।इस उम्र में इतना काम नहीं  कर पा  रही हूँ। मेरे पति  अस्वस्थ हैं उन्हें कभी भी डाक्टर की जरूरत पड सकती है कैसे ले जाऊँगी। मजबूरी है सर घर छोड़ने की।तब भी काफी  पूछताछ करने एवं दामाद जी से बात कर आश्वस्त होने के बाद परमिशन  दी और बोले अभी निकल जाओ कल  से और सख्ती  हो जाएगी।

घर पहुंचते शाम के चार बज चुके थे ।खाना भी नही खाया था ।वे स्वयं डायबिटीज  की पेशेन्ट थीं अभी हालत ऐसी हो रही थी कि वह कुछ भी करने की स्थिती में नहीं थी। सो शाम को निकलना असंभव था। उन्होने टेक्सी वाले को सुबह जल्दी पाँच बजे आने को बोला । रात भर थोडा घर ठीक किया कुछ जरूरत के कपडे, दवाईयां रखीं खाना बनाकर सुबह पाँच बजे निकल गये । अभी भी उनके मन में  था कि पन्द्रह बीस दिनों बाद लौट आयेंगे।

रास्ते में कई रुकावटें आईं पर कैसेभी चार बजे तक जोधपुर पहुँच गये तब जाकर जान में जान आई। अपनों के बीच पाकर सुरक्षित महसूस किया। फिर  तो यह कोरोना का सिलसिला इतना लम्बा चला कि दो वर्ष तक लौट ही न पाए। 

सच ही है जाने कब जिन्दगी में कोनसा मोड आ जाए कोई नहीं जानता। 

रास्ते भर भगवान से प्रार्थना करती रही कि अब सही सलामत पहुंच जाएं।

इन परिस्थितियों में अचानक घर छोड़ने का दुख हो रहा था पर मन को यह सोच कर समझा रहे थे कि जान है तो जहान है।

शिव कुमारी शुक्ला

स्व रचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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