” इज़्ज़तदार ” – डॉ. सुनील शर्मा

शहर के सबसे बड़े विवाह स्थल पर मास्टर कृष्ण कुमार शर्मा के इकलौते बेटे सत्यम के विवाह की धूमधाम है. सुंदर तोरण द्वार से लेकर जयमाला तथा मंडप को मोगरे और रजनीगंधा के सफेद खुशबूदार फूलों से सुसज्जित किया गया. खाने के व्यंजनों की सूची देख लो तो दिमाग चकरा जाए. रौशनी की खूबसूरत सजावट व स्विमिंग पूल के किनारे पंडालों की कतारें देखते ही बनती है. तीन दिन से लड़की का परिवार तथा सभी रिश्तेदार ए सी कमरों में जमे हूए हैं. मेंहदी और संगीत की दो दिनों की मस्ती के बाद आज विवाह समारोह है. शहर के सबसे बड़े व्यापारी चौधरी जय सिंघानिया ने अपनी इकलौती बेटी शिखा की शादी में पैसा पानी की तरह बहाया है. कई मिल तथा कारखानों के मालिक हैं. मास्टर जी के बेटे से शादी के लिए तैयार न थे. अपने जैसा रुसूख़ वाला धनवान, इज्ज़तदार समधी चाहिए था उन्हें. लेकिन बेटी की ज़िद थी. सत्यम और शिखा ने साथ साथ एक ही मैडिकल काॉलेज से पढ़ाई की थी. बेटा न्यूरो सर्जन व शिखा स्त्री रोग विशेषज्ञ है. चौधरी जी को सत्यम पसंद है. मास्टर जी इतने ऊंचे परिवार में रिश्ते के खिलाफ थे. जैसे तैसे करके बेटे को पढ़ाया था. लेकिन आजकल बच्चों की ज़िद के आगे मां बाप उनकी खुशी में ही खुशी ढूंढने का प्रयास करते हैं. 

मास्टर जी इतने बड़े आयोजन में मन मारकर बस अत्यंत निकट संबंधियों को ही बुलाने की हिम्मत जुटा पाए. रेशमी शाल में टाट का पैबंद सा ही लग रहा था, यह रिश्ता. पत्नी शकुंतला के साथ एक सोफे पर बैठे सब नज़ारा देख रहे थे. बारात तो बस विवाह स्थल के गेट से चली और तोरण द्वार पर आ कर रुक गई. मिलनी रस्म के बाद दूल्हे को उसकी सालियों तथा दोस्तों ने घेर लिया. जय माला के लिए बने मंच पर फिल्मी गीतों तथा आतिशबाजी के बैकग्राउंड में हंसी ठिठोली भी हुई. हर रस्म जैसे बस फोटोशूट के लिए ही हो रही थी. फिर दुल्हा दुल्हन सोफे पर बैठ गए.




लड़की के घरवाले, सगे संबंधी तथा दोस्त फोटो खिंचवाने लगे. तोहफे देने लगे. मास्टरजी व उनकी पत्नी को किसी ने न बुलाया. वह भी थोड़ा दुबक से गए.

तभी कुछ हलचल सी लगी. शहर के डी एम साहब अपनी पत्नी के साथ आ रहे हैं. चौधरी साहब अपने मित्रों सहित गेट की ओर अगवानी के लिए लपके. ऊंचे दर्जे की सिक्योरिटी में डी एम साहब मंच पर पहुंचे. शहर की नामी गिरामी हस्तियों से उन्हें मिलवाया गया. फोटो भी खिंचे. डी एम साहब व उनकी पत्नी ने वर वधु को कुछ तोहफा भी दिया. 

मंच से उतरते हुए डी एम साहब की नज़र मास्टर जी पर पड़ी. फौरन उधर मुड़े और मास्टर जी तथा शकुन्तला जी के चरण छुए. पत्नी को बताया कि उन्होंने प्राइमरी स्कूल में मास्टर जी से बहुत कुछ सीखा. पत्नी ने भी आगे बढ़कर दोनों के पैर छुए. फिर डी एम साहब वहीं बैठ गए. स्कूल के बारे में पूछा. बीते दिनों की यादें ताज़ा करने लगे. और सभी अध्यापकों व स्टाफ आदि के बारे में बातें हुईं. खाना भी साथ ही खाया. चलते वक्त घर आने का निमंत्रण भी दिया. स्कूल में भी आने का वादा किया. 

– डॉ. सुनील शर्मा

गुरुग्राम, हरियाणा

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