इज्जत – ममता गुप्ता

अरे !! यार शिल्पा ये तो आजकल फैशन है। ड्रिंक करना,स्मोकिंग करना,क्लब में ये सब तो चलता है ना। तू भी हमारे साथ रहकर ये सब सीख जाएगी। देख” तू अभी नई नई आई इसलिए तुझे यह सब थोड़ा अजीब लगता है,लेकिन गर तुझे इस शहर में रहना है तो थोड़ा बहुत तो खुद को  इस शहर के हिसाब से ढालना ही होगा।

” वरना लोग तुझे गांव की ग्वार कहेंगे और तुझसे कोई दोस्ती करना व बात करना भी पसन्द नही करेगा।।

शिल्पा की सहेली ने प्रीति ने उसे समझाते हुए कहा।।

दरअसल शिल्पा एक छोटे से शहर से दिल्ली में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए आई है। शिल्पा एक मध्यमपरिवार से है,पापा का छोटा सा व्यापार है लेकिन शिल्पा के पापा मोहनलाल जी समाज व पूरे शहर में उनके व्यवहार की वजह से मान प्रतिष्ठा भी बहुत है। मोहनलाल जी ने जिंदगी में जो चीज सबसे ज्यादा कमाई वो है,इज्जत क्योंकि वे कभी भी किसी की मदद करने से पीछे नही हटते थे। चाहे स्वयं के पास कुछ न हो लेकिन फिर भी जितनी मदद हो सकती थी अवश्य करते थे।। मोहनलाल जी के दो बच्चे थे। बेटा और बेटी। बेटे का नाम आनन्द व बेटी शिल्पा थी । पिता मोहनलाल ने अपने बच्चों में यही संस्कार दिए कि कभी भी ऐसा काम मत करना जिससे हमारी इज्जत माटी में मिल जाये। क्योंकि  पैसा तो कैसे भी कमाया जा सकता है लेकिन गर इज्जत कर बार चली गई तो फिर वापस नही मिलती है।। और ऐसे लोगो से दूर रहना जो तुम्हे गलत राह पर ले जाये।। 




शिल्पा को कुछ ही दिन हुए थे,दिल्ली आए हुए । उसकी दोस्ती प्रीति से हो गई । प्रीति उसे हर वक्त यही कहती थी कि क्या रखा है पढाई में,यहाँ हम पढ़ने थोड़ी आते है,यहाँ तो हम सब मौज मस्ती करने आते है,चल तू भी अब ये पढाई लिखाई छोड़ और चल आज क्लब चलते है,वहाँ धमाल करेंगे।।

हम क्या कर रहे..? क्या नही …? यह सब हमारे माता पिता को थोड़ी पता है,बस वो तो यही समझते है ना कि उनके बच्चे तो पढाई करने गए है।। यही तो जिंदगी है मौज मस्ती करने की चल अब नाटक मत कर।। देख निशा भी आती होगी।। प्रीति ने कहा ।।

तभी वहां निशा आ गई..!! हाय प्रीति !! हाय शिल्पा।।

यार क्या करूँ पापा ने कहा है कि अभी पेसो का इंतजाम नही हो सकता ,मैने पापा से झूठ बोला है कि गर जल्दी से जल्दी फीस नही भरी तो कॉलेज से मेरा नाम कट जाएगा।। यह सुनकर पापा ने कहा बस थोड़ा समय दे ।”मैं पेसो का बंदोबस्त करता हूँ…बस निशा बात ही बता रही थी कि तभी  निशा का फोन बजा…पापा का फोन चौक कर बोली…!!

तभी प्रीति ने स्पीकर ऑन करके बात करने को कहा।।

निशा ने फोन रिसीव किया…




“हेलो पापा!! क्या हुआ ..? निशा ने कहा।।

“बिटिया मैने पेसो का बंदोबस्त कर दिया है,तू तो जानती है इस बार फसल तो अच्छी हुई लेकिन बरसात की वजह से सबकुछ बर्बाद हो गया।। लेकिन जब तेरी माँ को पता चला कि तेरी फीस भरनी है तो तेरी माँ ने अपने गहने गिरवी रख दिये है। तू बस चिंता मत कर तू बस पढाई करके डॉक्टर बन । 

“मैं पैसे कल भेजता हूँ।। यह कहकर निशा के पिता ने फोन काट दिया।।

वाह !! यार तेरे पापा ने तो बंदोबस्त कर दिया।। अब तो क्लब जाएंगे ….मस्ती करेंगे धूम मचाएंगे।। जिओ लाली… प्रीति ने कहा।। निशा भी खुश थी कि चलो कुछ दिन तो मौज में कटेंगे।।

प्रीति की बात सुनकर शिल्पा ने कहा-

वाह!! क्या बात है।। बेचारे माता पिता के प्यार का क्या फायदा उठा रही हो। पिता ने माँ के गहने गिरवी रखे है ताकि उनकी बेटी पढ़ लिखकर एक डॉक्टर बनकर माँ बाप का नाम रौशन करेगी..लेकिन बेटी को कोई फर्क नही पड़ता उसे तो बस झूठ बोलकर पैसे मंगाकर क्लब जाकर मौज करनी है।।

माता पिता ने बड़े ही विश्वास के साथ यहाँ पढ़ने के लिए भेजा है, और तुम क्या कर रही हो,अपने माता पिता के साथ विश्वासघात। तुम ड्रिंकस स्मोकिंग करके उनको धोखा दे रही हो। वो बेचारे मेहनत करके हमारे भविष्य को सुधारने के लिए एक एक रुपया जोड़ रहे है.., और तुम मेहनत के पेसो को यहाँ धुंआ में उड़ा रही हो। वो बेचारे फटे पुराने कपड़ो में भी अपनी इज़्ज़त ढक कर बैठे है औऱ तुम उनकी इज़्ज़त मिट्टी में मिलाने चली हो।। कभी तुमने सोचा है कि जब तुम्हारे माता पिता को इन सब बातों का पता चलेगा तो उन पर क्या बीतेगी। क्या वो यह सब बातें सहन कर पाएंगे।। समाज मे उनकी इज्जत का क्या होगा..?




 शायद वो ये सब सुनकर सदमे में चले जाएं….शिल्पा ने निशा को सच्चाई दिखलाते हुए कहा।।

अरे छोड़ यार !! ये शिल्पा तो बस न जाने कौनसी दुनिया से आई है,इसे क्या पता शहर का स्टैंडर्ड।। प्रीति ने निशा का हाथ पकड़कर कहा।।

“तुम ठीक कह रही हो!! एक सच्चा दोस्त वही होता है जो गलत रास्ते पर जाने से रोकें… वो नही जो गलत संगति में साथ रहे।। 

मैं इस प्रीति की बातों में आकर भूल गई थी कि मैं एक किसान की बेटी हुँ और एक गरीब बाप के पास इज्जत के सिवा कुछ नही होता।। तुमने आज मुझे सच का आईना दिखा दिया।। 

मैं अपने ही हाथों अपने परिवार की इज्जत दाव पर लगाने चली थी। माँ बाप को धोखा देने चली थी। लेकिन सच मे तुमने आकर मुझे बचा लिया।। अब मैं यह सब छोड़कर सिर्फ पढ़ाई में ध्यान दूँगी और अपने सपने को पूरा करूँगी।। निशा की आंखों में पछतावे के आँसू थे,निशा शिल्पा के गले लग गई।।

प्रीति को भी अहसास हुआ कि वो अपनो की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। उसने भी कसम ली कि वो अब कभी भी क्लब जाने की बात व गलत संगति में नही बैठेगी।

निशा व प्रीति शिल्पा के साथ रहने लगी,पढ़ने लगी और नेक रास्ते पर चलने लगी।। शिल्पा को खुशी थी कि उसने अपनी सहेलियों को गलत रास्ते पर जाने से बचा लिया औऱ माता पिता की इज़्ज़त पर दाग लगने से भी।।

स्वरचित व अप्रकाशित

ममता गुप्ता

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