इम्यूनिटी पावर – नीरजा कृष्णा

आज पूरा परिवार उनके घर पर एकत्रित था। मौका बहुत खास था…वो कल ही तो चार महीने बाद  कैंसर की जंग जीत कर मुंबई से लौटी थीं। आज उनकी ननद ,देवर और जेठजी …सब सपरिवार उनको देखने और बधाई

देने के लिए इकट्ठा हुए थे।

छोटे देवर अभय बोलने लगे,”हमारी भाभी तो सदा ही जीवट वाली रही है। भैया की अकाल मृत्यु के समय भी कितनी हिम्मत दिखाई थी और अमित को पालपोस कर इतना लायक  बना दिया।”

पास ही बैठा अमित गर्व से अपनी माँ को देख रहा था। तभी उनकी ननद  भी सबके सुर में सुर मिलाते हुए कहने लगीं,”आपलोग बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। हमारा पूरा परिवार हमारी बहादुर भाभीजी का मुरीद है। कैंसर जैसी बीमारी को झेलना और विजयी होकर आना हरेक के वश में नहीं होता।”

जेठानी नयना जी बोलीं,”हमारे सामने सैकड़ों उदाहरण भरे पड़े हैं। इतने साधनसंपन्न ऋषि कपूर और इरफ़ान खान जैसे दिग्गज भी कैंसर से जंग हार गए थे। हमारी सुनीता ने तो कमाल का हौसला दिखा दिया।”



सभी हिप हिप हुर्रे कर रहे थे, तभी सुनीता जी बहुत आदर भाव से बोल पड़ी,”मेरी क्या हैसियत है। ऊपरवाले की यही इच्छा थी और उन्हीं के आशीर्वाद से मैं स्वस्थ होकर अपने बच्चों के पास आ सकी।”

कहते कहते वो भावुक होकर आँसू पोंछने लगीं। उनकी ननद सुजाता उनकी पीठ सहलाने लगी।

वो उनके गले लग कर बोलीं,”दीदी, वैसे सच कहा जाए तो आप सबने भी  मिल कर मुझमें हालात से लड़ने की ताकत कूट कूट कर भर दी थी।”

वो अभी अपनी बात पूरी भी ना कर पाई थी, सब एक साथ पूछ बैठे,”सो कैसे?”

उन्होंने अपने बेटे अमित का हाथ पकड़ लिया था ,मानो बोलने के लिए सहारा तलाश रही हों और हिम्मत करके बोल ही पड़ी,”अमित के पापा के जाने के बाद मम्मी जी के साथ मिल कर आप सबने मेरे खिलाफ़ जो  ताण्डव रचाया था, उसे झेलते झेलते मैं स्वयं शिवमयी हो गई थी।शिवजी

ने जहर को गले से लगाया था, मैंने आप सबके जहर जैसे कटुवचनों को। मेरी इम्यूनिटी पावर इतनी बढ़ गई थी कि  अब इस मुए कैंसर की क्या बिसात…।”

सब अवाक् होकर बगलें झाँकते हुए एक दूसरे का मुँह ताकते रह गए थे।

नीरजा कृष्णा

पटना

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