हमसफर – पूजा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

आज फिर घर से निकलते निकलते काव्या से झगड़ा हो गया मुझे क्यों गुस्सा आता है अब उसकी लापरवाही पर ? कितना मेरी सब जरूरतो का ध्यान रखती थी अब जब से गोलू पैदा हुआ है उसे मेरी कोई फिकर ही  नही आज फिर देर हो गई, नाश्ता तो बना नही था खुद तो मेटरनिटी लीव पर है पूरे दिन आराम करेगी !

ऑफिस  जाते हुए सचिन सोच रहा था  लेकिन रात में वह उसके साथ जागती है मुझे परेशान नहीं करती अकेली दूसरे कमरे में बच्चे को संभालती है कितनी बार कहा है कोई कुक रख लो सोना तो घर की सफाई बर्तन करके चली जाती है ।

     काव्या को कोई सहारा भी नही नजर आ रहा है जो अपने बड़े की तरह उसकी मदद करे ।अपनी मां तो करोना में चली गई मेरी मां ने अभी तक दिल से उसे अपनाया नही अस्पताल में पोते को देखकर चली गई क्या काव्या को साथ नही ले जा सकती थी आखिर मेरी पसन्द है ।काव्या इतनी प्यारी है कभी बड़ो के लिए कोई अपशब्द नही बोलती ।

    प्यार के अभाव में पली थी जब पांच साल की थी तभी पापा का साथ छूट गया दस साल के भाई कबीर और काव्या को उसकी मां ने पढ़ाया लिखाया अपने पैरो पर खड़ा किया । मेरे ऑफिस में पहले दिन जब वह आई थी मेरे दिल में उसके उसी दिन एक जगह बन गई थी जो आगे चलकर मेरे प्यार में बदल गई ।

      मैं काव्या को बहुत पसंद करता हूं धीरे धीरे ये बात काव्या भी जान गई थी पहले तो वह नजरे चुराती थी फिर हम लोगों ने नजरो की भाषा पढ़ना शुरू कर दिया था ।

वह कब मेरे बहुत करीब आ गई पता नही चला मुझे वह अपने दुख सुख की बाते बताने लगी थी ।

   काव्या ने बताया उसके भाई ने अपनी पसंद की लड़की से शादी कर ली थी और वह मां से ज्यादा अपनी पत्नी का  ख्याल रखता था ।काव्या की नौकरी लगने के बाद वह काव्या से ही घर के बहुत खर्चे करवाता था उसकी यह बात मां को खलती थी वह काव्या की शादी कर देना चाहती थी  एक दो रिश्ते देख रहीं थी की करोना आ गया और काव्या का सहारा मां भी इस दुनिया से चली गई।

 उसकी पोस्टिंग टैस्ट  पास करने के बाद हमारे ऑफिस में एक साल पहले  हुई थी ।परंतु उसकी ज्वाइनिंग मेरी जूनियर की तरह मई में हुई थी । पहले दिन वह गुलाबी सूट में आई थी मुझे बड़ी सलीकेदार लगी थी आजकल की मॉर्डन ड्रेस में वह कभी नही आई ।कुछ खास मौके में जब वह साड़ी पहनकर आई थी ,गजब की सुंदर लग रही थी ।  

एकऑफिस में सेमिनार खतम होने के पहले ही बारिश शुरू हो गई थी ,जब बाहर आए तो देखा सड़को में पानी भरा है ।

    तुम थोड़ा रुक जाओ मैं तुम्हे छोड़ दूंगा तुम्हारी साड़ी गीली हो जायेगी सड़क में बहुत पानी है ।

नही सर ,ठीक है पानी रुकने के बाद मैं चली जाऊंगी ।

देर हो जायेगी तुम चलो मेरे साथ मैं ड्रॉप कर दूंगा तुम चाय पिलाना नही चाहती हो तो कोई बात नही ।

  कैसी बात करते हैं ,आप घर चलेंगे तो चाय जरूर पिलाऊंगी साथ में पकोड़े भी ।

      रास्ते में मौसम का असर उसके साथ बहुत अच्छा लग रहा  था मैने काव्या का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूं क्या तुम मेरी हमसफर बन सकती हो जिससे जिन्दगी का सफर  हम दोनो साथ साथ  इसी तरह निभाएं।

काव्या के ओठ कुछ नही बोले परंतु शर्माकर उसकी आंखो मे सब कह दिया ,.उसकी आंखे है भी बहुत खूबसूरत ,

   उसके घर में कबीर और उसकी पत्नी ने मुझे देखकर जिस तरह स्वागत किया में समझ गया ये काव्या और मेरे बीच सन्देह करेंगे ।चाय पकोड़े खाने के बाद मैने भी चलते चलते कहा आप लोगो से मिलकर अच्छा लगा आता रहूंगा 

 उसी दिन हम दोनो ने शादी के लिए मन बना लिया था जिसे मेरी मां ने स्वीकार नहीं किया था पर कबीर ने एक बोझ समझ कर हमारी शादी कर दी थी ,काव्या को आगे कभी उन लोगो से कोई मदद नहीं  हुई और नही उसने आस की ।

          ऑफिस से निकलने पर सोचा आज कुछ मिठाई समोसा ले चलता हूं काव्या को खुश करने के लिए , कार से निकल कर दुकान पर गया तो पुराने गाने बज रहे थे और लता मंगेश्कर की आवाज में ” मेरे हमसफर किसी राह पर किसी मोड़ पर जाना न मुझको छोड़कर मेरे हमसफर मेरे हमसफर ” 

     मुझे लगा मेरी काव्या मुझे छोड़कर तो नही चली जायेगी  घर पहुंच कर मैंने उसे गले से लगा लिया आई एम सॉरी बोलने पर उसने गीली आंखो से कहा  “सचिन आई लव यू  .

       हम  दोनो रोते हुए हंस रहे थे दो महीने के गोलू के साथ । 

         स्वरचित 

  पूजा मिश्रा 

#हमसफर

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