रिमझिम सी बरिश की बूदें टप टप सी कानों में कुछ कहने की कोशिश कर रही थी! मौसम खुशगवार था!
हवाओं की सन सनाहट परधि के मन को जला रही थी!
परधि क्या कर रही हो”
एक चुप्पी “””””””””””वन लव मी “”टू नो लव मी “”””परधि कुछ बोलो ये फूलो को किस बात की सजा दे रही हो “इनका क्या कूसुर “फिर चुप्पी “””फिर वही वन टू”””
नहीं बात करना , परधि की हमउम्र एक युवती ने परधि से पूछा””
परधि मेरी मानो तो एक बार मिल लो विवान से “नहीं तो शायद कभी न मिल पाओ”उससे क्या होगा, परधि ने चुप्पी
तोडी “शायद उसे भी पता नही रहा होगा। परिधि की बहुत ही खास फ्रेन्ड मीनू बोली “अब तक परधि ने एक भी बार
मीनू की तरफ नही देखा था। और न ही मीनू उसके लरजते आँसुओ को देख सकी थी।
ठीक है चलो “परधि अपने आँसुओ को छुपाती हुई उठ कर कालेज के गेट की ओर बढ गई “
सामने ही ब्लैक बुलेट के साथ खडा धा। विवान वही गोरा चिट्टा रूप “स्मार्ट जाने कितने नामो से पुकारती थी “परधि उसे “उसने परधि की ओर देखा और नजरे नीची कर ली “परधि से नजरे मिलाने की हिम्मत न कर सका।
परधि उसके पास चली गई “””””चलो कहा चलना है।
जहाँ तुम चलना चाहो “और परधि बिना कुछ बोले विवान के पीछे बैठ गई “मीनू उन दोनों को जाते देखती रही।
अब तक बुलेट आँखो से ओझल हो चुकी थी। मीनू के कदम कालेज के अंदर की ओर बढ गए।
बुलेट और धड़कन की रफ्तार बहुत तेज थी। कोई किसी से
कुछ न बोला।
कहा चले विवान ने पूछा “परधि कुछ न बोली, और विवान ने लाल बाग की ओर रुख किया। पूरे बंगलोर मे परधि को विवान के साथ वही आना अच्छा लगता था । वहाँ की हरियाली। सेमल के पेड गार्डन सब कुछ दो सौ चालीस “एकड मे फैला लाल बाग “बौटेनिकल गार्डन की ओर बढ गए दोनो “
सब कुछ था। उस गार्डन मे सारी यादें ” वो सब कुछ जो इन दो सालो मे जिया उन दोनों ने “आज वो पहले वाले जैसा दिन न था। जब दोनों बाँहो मे बाँहे डाल खिलखिलाते थे।
कितनी तितलियाँ पक्षी आलिंगन मे देख शर्मा जाते थे।
वही बैच पर बैठते हुऐ विवान ने परधि को बैठेने का इशारा किया।
परधि उसके समीप ही बैठ गयी “दोनो चुप फिर विवान ने चुप्पी तोडी “परधि “””””परधि ने गर्दन उठायी “उसकी आँखो से आंसुओ की अविरल धार बह निकली “जो कब से उसने अपने आप मे ज्जब कर रखे थे।
परधि के चेहरे पर विवान की नजर पडी तो उसका दिल बैठ गया। उसने तडप कर परधि को आलिंगन मे भर लिया। और काफी देर तक एक दूसरे को सम्भालने की कोशिश करते रहे ,
परधि मुझे माफ कर दो “मै तुम्हें चाहते हुऐ कुछ न बता पाया। मेरी “””””
नही विवान मै अब कुछ जानना भी नहीं चाहती ‘तुम सही हो तुम्हारा मान सम्मान हैं समाज मे ‘मै तुम्हें “कभी गिरने नही दूँगी “आशी’, तुम्हारा आज है। और मै, “””””””‘”””””””””
ऐसा मत बोलो ।
परधि, मै तुम्हारे बगैर नहीं जी पाऊँगा,नही विवान जीना होगा हम दोनों को “हमारा प्यार सच्चा है ।हम हमेशा एक दूसरे के दिल मे रहेगे, दूर रहकर भी हम हमेशा पास होगे।
हम कमजोर नहीं,
अच्छा विवान धन्यवाद “अब हम कभी नहीं मिलेगे न एक दूसरे को भूलेगे। आपके साथ बिताऐ पल ही मेरी पूँजी है।
अपना ख्याल रखना। लव यू “”और वो विवान के माथे को चूमती हुई “गार्डन के गेट की और बढ गई” विवान उसे देखता रहा ” उसके सीने में कुछ दरक सा गया। वो अपने आप को सम्भालने की स्थिति मे नही था। वो वही लडखडा
कर बैंच पर बैठ गया। विवान ने एक नजर फिर से उधर डाली जिधर अभी परधि गई थी। पर परधि का कही नामोनिशान न था।
उसकी नजरो के सामने से कई नये जोडे खिलखिलाते हुऐ निकल गए ‘उसका प्यार जा चुका था कभी न वापस आने के लिए। काश वो परधि से पहले सब बता देता “काश हम तुमसे कुछ कह पाते। परधि हम तुम्हारी जगह किसी को नहीं दे सकते। आशी मेरा आज भले हो “पर जो तुम हो वो कोई नहीं “””””””हमारी अधूरी कहानी,, अब तक बरिश बंद हो चुकी थी! पर जिस बारिश की चाह थी! वही बारिश हमेशा उनकी पलकों में समा चुकी थी!
#बरसात
समाप्त 🙏रीमा महेन्द्र ठाकुर 🙏स्वारचित