हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते.. पार्ट १ -मीनाक्षी सौरभ

बाहर लगातार बारिश गिर रही थी। मानसी को ये बरसते बादल बहुत रिझाते हैं, उसे इनमें ख़ूबसूरती दिखती है,वो कहती है कि बारिश से सब मैल धुल जाता है, साफ़ और सुंदर दिखने लगता है पर मुझे तो लगता है कि ये बरसकर अपने मन का कोई बोझ हल्का करते हैं। इनको हल्का होते हुए देखकर मेरा मन और भी भारी हो जाता है।

ये ही तो नजरिया है.. एक ही चीज को दो अलग नज़रों से देखे जाने के बाद का विचार।

मुझे आसमान की तरफ़ एकटक देखते मानसी बोली,

“वो बादलों से रश्क करते रहे

बादल अनजान, बस बरसते रहे।”

मैंने घूरकर मानसी को देखा तो वो किसी अनुभवी शायर के जैसे हथेली को माथे के पास लाते हुए बोली, “एक और है ताज़ा ताज़ा। दाद लेना चाहूँगी।”


गुफ़्तगू की गुंजाइश रखो रिश्तों में साहब

कौन जाने कब तुम इनके लिए तरस जाओ

“तुम भी ना यार! दर्द को सीरियसली लेती ही नहीं हो। बस शेर-ओ-शायरी के चक्कर में रहती हो।”

“जनाब, कवि और शायरों से बड़ा कोई हमदर्द नहीं होता। एकबारगी पत्नी के रूप में मैं आपके दर्द से मुँह मोड़ सकती हूँ लेकिन मेरी शायरी आपके दर्द से बराबर जुड़ी रहती है। मूड ठीक करिए, मैं पकौड़े बनाती हूँ चाय के साथ।”

कभी कभी लगता है कि सब कुछ तो है मेरे पास, फिर क्यों मैं हमेशा अधूरेपन से घिरा रहता हूँ? कितनी ही बार मानसी कहती है मुझे, “पराग! कब तक आप इसी तरह एक रिश्ते के लिए बाक़ी रिश्तों को नज़रअंदाज़ करते रहेंगे?” मेरे पास उसकी शिकायतों का कोई जवाब नहीं होता। मैं कब अपना बोझ हल्का कर पाऊँगा, किसे अपने मन का वो रिक्त कोना दिखाऊँगा? मानसी की कोशिशों में भी तो मेरा साथ कहाँ होता है? मैं खुद उस टीस को सीने से लगाए रखना चाहता हूँ।

टीस… बारिश की तरह ही टीस के लिए भी सबका अपना अलग नजरिया होता है। किसी को पहले प्यार की टीस बड़ी लगती है तो किसी को असफलता की।  पर मेरी नज़र में नज़रअंदाज़ी का दर्द हर टीस से बड़ा है। मैं भी तो उसी टीस को बचपन से ही पालता आ रहा हूँ मन में। पहले वो नज़रअंदाज़ी दर्द देती थी, फिर ग़ुस्सा देने लगी और अब अहंकार में बदल गई।

वो मेरे फ़ेवरेट थे, मैं भी उनका फ़ेवरेट बनना चाहता था। बस उन्हीं के जैसा दिखना चाहता था, वो मेरे रोलमॉडल थे। उस दिन जब टीवी पर किसी फ़िल्मी हीरो से उसकी लाइफ़ का रीयल हीरो पूछा गया तो अचानक किट्टू मुझसे पूछने लगा, “पापा, आपका हीरो कौन है?” मेरी आँखों के सामने उनकी तस्वीर तैर गई। कुछ बोल ही नहीं पाया, आँखें बस छलकने ही वाली थी कि किट्टू फिर से बोला, “ओह्हो! जब किसी बात के जवाब में कोई इतना टाइम लगा रहा हो तो समझना चाहिए कि उसे जवाब नहीं आता।”

“ये किसने बताया आपको?”

“टीचर ने। वो कहती हैं कि जब किसी को जवाब नहीं पता होता तो वो चुप हो जाता है, जैसे आप हो गए थे।” कैसे कहता कि जवाब तो पता है बस बता नहीं पा रहा हूँ।

“अच्छा तो पापा, आप तो हार गए पर मुझसे भी तो पूछो कि मेरा हीरो कौन है?”

मैं जबरन मुस्कुराकर बोला, “बताओ, किट्टू महाराज। आपका हीरो कौन है?”


“माई डैड इज माई हीरो।”

ये किसने बताया आपको कि मैं आपका हीरो हूँ।”

“मेरे मन ने।” वो मासूमियत से बोला।

कितनी आसानी से वो इतनी बड़ी बात कह गया था ना। मन ही तो निर्धारित करता है ना कि हमें कौन अच्छा लगता है और कौन नहीं। ये मन की ही तो तय की गई भावनाएँ हैं फिर चाहे वो प्यार हो, ग़ुस्सा हो और नफ़रत।

“मैं तो आप जैसा ही बनूँगा, आपके जैसे ही बेल्ट पहनूँगा, शर्ट पेंट भी, वॉच भी। बड़ी सी गाड़ी में भी जाऊँगा।” वो बोले जा रहा था लगातार। “आपके ही जैसे मम्मा से शादी करूँगा।”

“रुक बदमाश। बताता हूँ अभी।” पता नहीं दर्द में खोकर मैं अपनी ज़िंदगी को क्या मोड़ दे देता लेकिन पहले मानसी ने और अब इस नन्हे जादूगर ने मेरी ज़िंदगी की नाव को डूबने से बचाया हुआ है।

ऑफिस में भी किट्टू की ही बात सोच रहा था कि दरवाज़े पर हल्की सी ठकठक हुई।

“मे आई कम इन, सर।”

“यस। प्लीज़ कम इन दीपक।”

“सर, कुछ बात करनी है आपसे छुट्टियों के बारे में।  पापा की तबियत कुछ दिनों से ख़राब चल रही है, सोच रहा हूँ कि एक बार मिल आऊँ उनसे।”

“ठीक है, टिकट्स देखकर डेट बता दो। पर हुआ क्या है पापा आई मीन अंकल को?”

“सर, घुटने में बहुत तकलीफ़ हो गई है, ऑपरेशन के लिए मान नहीं रहे हैं, मेरे अलावा किसी और की सुनते नहीं हैं।”

“क्यों?”

“मैं बचपन से ही फ़ेवरेट रहा हूँ पापा का। आज तक मेरी हर बात को माना हैं उन्होंने तो सबको लगता है कि इस बार भी वो मेरी बात को मान लेंगे और….”

मुझे कुछ भी सुनना बंद हो गया, लगा कि मैं गहरे किसी बहुत गहरे कुएँ में गिर गया हूँ, बचने का कोई रास्ता नहीं।

“सर, आई होप, अब आप ठीक हैं।”

“क्या हुआ मुझे?”

“ सर, थोड़ा बीपी लो हो गया था आपका इसीलिये चक्कर भी आ गए थे।”

“नाऊ आई एम ओके। थैंक्यू। यू में गो नाऊ।”

मैं भी तो बस उनका फ़ेवरेट बनना चाहता था ना। मेरे हीरो, मेरे आदर्श, मेरे पापा का….

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!