सुगंधा की शादी को पंद्रह दिन हुए थे, आज जरा फुरसत से आराम कर रही थी। प्रसिद्ध इंटीरियर डेकोरेटर थी, एक महीने की उसने शादी के लिए छुटियाँ ली थी। उसका बाबू, सोनू पति सुगंध आज आफिस गए थे।
दिमाग की खोजी प्रकृति ने सिर उठाया, सुगंधा अपने विचारों में खो गयी। अरे मैने सात फेरों के वचन तो सिर झुका कर ले लिये, पता नही वो पंडित क्या कहते रहे, मैं तो शादी के तामझाम में उलझी रही। जल्दी से मोबाइल में गूगल सर्च में सात फेरे के सात वचन निकाले। दिमाग परेशान होने लगा, हर कानून में संशोधन होता है तो क्या इस सात फेरों में संशोधन की आवश्यकता नही। कुछ अंतराल के लिए संसोधित अधिकारी बन दिमाग लगाने लगी।
पहला वचन होता है तीर्थ, व्रतोद्यापन, यज्ञ, दानादि यदि भाव आप मुझे साथ लेकर करें तो मैं आपके वामांग में रहूंगी।
बदलाव.. जब भी रिसोर्ट या विदेश घूमने जान चाहूं, बिना नानुकुर के चलना होगा।
कन्या दूसरे फेरे में कहती है कि मैं आपके बालक से लेकर वृद्घावस्था तक के सभी कुटुंबीजनों का पालन करूंगी। मुझे निर्वाह में जो मिलेगा उससे संतुष्ट रहूंगी।
बदलाव..सब रिश्तेदार दूर से ही हाय हेलो करेंगे, हम पति पत्नी की जिंदगी में दखल नही देंगे।
तीसरे फेरे में कन्या पति को वचन देती है कि मैं प्रतिदिन आपकी आज्ञा का पालन करुंगी और समय पर मीठे व्यंजन तैयार करके आपके सामने प्रस्तुत करूंगी।
बदलाव..रोज़ बेड टी, आप ही पिलाओगे, जब मेरा रसोई में जाने का मन न हो, बनाओगे ये जोमाटो से आर्डर करोगे, तब ही मैं आपकी आज्ञा मांनूँगी।
चौथा वचन है, मैं स्वच्छतापूर्वक सभी श्रृंगारों को धारणकर मन, वाणी और शरीर की क्रिया द्वारा आपके साथ क्रीडा करुंगी।
बदलाव…मैं जीन्स टॉप या ड्रेस ही पहनूँगी, और जब मैं चाहूंगी तब ही प्रेम लीला होगी।
पांचवा… हमेशा सुख-दुख में आपका साथ दूंगी।
बदलाव … दिन को अगर मैं रात कहूँ तो तुम्हे वही कहना होगा।
कन्या छठे फेरे में कहती है कि मैं सास-ससुर की सेवा करुंगी। आप जहां रहेंगे मैं आपके साथ वहीं रहूंगी।
बदलाव.. फेरे हमदोनो ने लिये हैं इसलिए सिर्फ हम साथ रहेंगे।
अंतिम फेरे में कन्या अपने पति को वचन देती है कि मैं अर्थ और काम संबंधी कार्यों में मैं आपकी इच्छा के ही अधीन रहूंगी। यहां पर आप सभी परिजनों के सामने मेरे पति बने हो मैं यह तन आपको अर्पण करती हूं।
बदलाव ..आप इमोशनल ,फिजिकल ,फाइनेंसियल हर पक्ष में सिर्फ मेरा ही ख्याल रखोगे ।
सुगंधा ने संशोधित वचन शाम को सुगंध कद आफिस से आने पर दिखाए।
सुगंध ने कहा, “प्राणप्रिये, ये सारे वचन मैने मान लिए, क्योंकि मेरे पास इसके अलावा कोई ऑप्शन नही रहा।”
स्वरचित
भगवती सक्सेना गौड़