अनजानी धारणा – भगवती सक्सेना गौड़

सोसाइटी के एक फ्लैट में वर्मा जी साल भर से रहते थे।

दोनो पति पत्नी की आदत थी, रात नौ बजे डिनर करके, दस बजे तक वो लोग बिस्तर पर आ जाते थे। सारे दोस्तो, रिश्तेदारों को पता था, उनके दरवाजे पर नौ बजे लॉक लग जायेगा। कई बार मज़ाक में कहते थे, “हम खाना नही, घड़ी खाते हैं, भूख लगे न लगे, नौ बज गए, काम समाप्त करो।”

कुछ दिनों से अचानक दोनो पति पत्नी की नींद बारह बजे के करीब एक कर्कश आवाज़ से खुलती, कोई ऊपर के फ्लैट में कर्रर्रर से कुछ खिसकाने की आवाज़ आती। बहुत गुस्सा आती, आधी नींद में उठकर बड़बड़ाना शुरू, पता नही इतनी रात को क्या काम करते हैं लोग, समान इधर का उधर क्यों सरकाते हैं?

एक हफ्ते तक सोते सोते ऊलजलूल शब्द बोलते हुए किसी तरह नींद लगती। एक दिन सुबह गुस्से में आकर सोचा, आज तो पता लगाना है, ऊपर कौन रहता है। अंदाज़ा लगाते हुए, उस फ्लैट के सामने पंहुचे, घंटी पे घंटी कई बार बजाते रहे, किसी ने नही खोला, हताश होकर वापस आये।

फिर सिक्योरिटी वाले गार्ड के पास जाकर पूछा, “ये नाइन टीन फ़्लोर के पांचवे फ्लैट पर कौन रहता है, नाम बताओ, रात के बारह बजे रोज शोर करते हैं।”


“साब, क्या बताए, वहां पर एक बुजुर्ग हैं, दिन में तीन बार दस मिनट के लिए एक नर्स आती है, कुछ देखभाल करके वापस जाती है। उनका बेटा एक बड़ी कंपनी में मैनेजर हैं, आफिस दूर है, रात के बारह बजे तक घर आते हैं।”

“ओह, ऐसा है, मिलूंगा कभी उनसे।”

और अगले रविवार को वर्मा जी वहां पहुँच गए, इत्तफाक से उनके बेटे रमन से मुलाकात हो गयी। अपना परिचय देने के बाद पूछा, “आपके घर से रात बारह बजे कुछ इधर उधर सरकाने की आवाज़ आती है, क्या करते हैं।”

तब रमन उन्हें बेड रूम में ले गए, और बताया, ” ये मेरे पापा है, पैरालिसिस के बाद इनकी हालत 2 वर्ष से बहुत खराब है, बस किसी तरह सांसे चल रही है। लिक्विड डाइट पर ही साल भर से हैं। मैं दिन भर आफिस में रहता हूँ, एक नर्स आती है, उनके पाइप में लिक्विड डाइट देकर अपना काम पूरा करती है। रात मैं आकर दूसरा बेड सरका कर लेता हूँ, उनको उसमे लिटा कर पूरी सफाई करता हूँ। वही आवाज़ें शायद आपको रात में नींद से उठाती हैं।”


“तुम्हारी सेवा देखकर मन प्रसन्न हुआ, अब चलता हूँ, बेटा, कुछ काम हो तो निसंकोच मुझे बताना।”

ये हालात की पूरी जानकारी मिलने के बाद वर्मा जी सोच में पड़ गए, हर सिक्के के दो पहलू हैं, ये बिना जाने हुए मनुष्य क्या कुछ सोचता रहता है। कई रातों को वो ऊपर रहने वाले को बुरा भला कहते रहे !!

स्वरचित

भगवती सक्सेना गौड़

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