“हमारी अम्मा “- बालेश्वर गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : अरे कमला बड़े भाग वाली है रे तू, कितनी सुंदर सलोनी बहू पायी है तूने।

    और नही तो क्या मनोरी मौसी।कमला से अपनी खुशी छुपाये नही छुप रही थी।असल मे पिंकी थी ही इतनी सुंदर जो उसे देखता तो देखता रह जाता।

      मनोरी मौसी कमला के पड़ौस में ही रहती थी।70 वर्ष की  मनोरी दिन में कम से कम दो तीन चक्कर तो कमला के यहां लगा ही देती थी।पिछले साल ही मनोरी के पोते की शादी हुई थी।बहू सामान्य सी आयी थी,वो तो चल जाता,पर उसका व्यवहार मनोरी मौसी के साथ रूखा रूखा सा रहता।मनौरी मौसी करती तो क्या करती,अपनी भड़ास कमला के सामने निकाल लेती,कमला ने कई बार समझाया भी, मौसी अब आपकी इतनी उम्र हो गयी है,बहू को खूब प्यार दो,अपने आप वह भी तुम्हे सम्मान देने लगेगी,पर मौसी माने तब ना।

       मनौरी मौसी जब भी कमला के यहाँ आती पिंकी एकदम मौसी के पावँ छूती और खूब आव भगत करती। अब मनौरी मौसी पिंकी की तुलना अपने पोते की पत्नी से करने लगी थी,इस तुलना ने मनौरी मौसी के मन मे पिंकी के प्रति ईर्ष्या भाव जगा दिया।

     एक दिन तो हद हो गयी कमला बाजार गयी थी,वापस आने पर देखा कि मनौरी मौसी कमरे में बैठी पिंकी को उसी के खिलाफ भड़का रही है।वो ये तो शुक्र था कि पिंकी मनौरी मौसी को साफ साफ कह रही थी कि नही नही माँ ऐसी नही है।

        यह दृश्य देख कमला का खून खौल गया,फिरभी अपने को संयत करके पिंकी को चाय बनाने भेज कर कमला ने मनौरी मौसी को खूब खरी खौट्टी सुनाई।मनौरी मौसी की आंखों से आंसू बहने लगे।कमला ने भी मौसी का दर्द समझ उन्हें गले लगा कर कहा मौसी ये घर भी तो तुम्हारा है,पिंकी भी तो तुम्हारी बहू ही है, एक से सम्मान नही मिलता तो दूसरी तो सम्मान दे रही है।मौसी फिर इस सम्मान को क्यों खोना चाहती हो?बन जाओ ना मौसी से हमारी अम्मा।

     बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

स्वरचित,अप्रकाशित

#खरी खोटी सुनाना

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