गुड फॉर नथिंग – श्वेता अग्रवाल : Moral stories in hindi

निधि आज बहुत ज्यादा खुश थी और खुश होती भी क्यों नहीं,उसकी प्यारी ननद मीनल जो उसके पास रहने आ रही थी। वह सुबह से ही उसके पसंद के पकवानों को बनाने में लगी हुई थी।तभी अचानक डोरबेल बजने लगी।

“अरे! इस वक्त कौन आ गया?” सोचते हुए अपने आटा सने हाथों से निधि ने दरवाजा खोला।

तभी सामने अपनी ननद मीनल को देख वह खुशी से उछल पड़ी।

“मीनल तू तो शाम में आने वाली थी?” उसने चहकते हुए कहा।

“हाँ, लेकिन मैंने सोचा कि आपको सरप्राइज दे दूँ।” मिलन ने हँसते हुए कहा।

“तू औऱ तेरे ये सरप्राइज, चल अंदर तो आ।” निधि ने उसे गले लगाते हुए कहा।

मीनल निधि की प्यारी ननद। निधि की शादी के सालभर बाद से ही मीनल पहले पढ़ाई और फिर जॉब के सिलसिले में बाहर ही थी। लेकिन अब बैंगलोर में ही जॉब लग जाने के कारण वह भैया-भाभी के साथ ही रहने वाली थी। इसलिए मीनल और निधि दोनों बहुत खुश थीं।

“भाभी भैया नहीं आए अभी तक, सात बज गए?” शाम की चाय पीते-पीते मीनल ने पूछा।

“हाँ, आजकल ये लेट ही आते हैं।” मीनल ने धीरे से कहा।

भैया रात नौ बजे आये और मीनल से मिलकर बहुत खुश हुए।

“भैया कितनी देर कर दी आपने, कब से आपका इंतजार कर रही हूँ।” मीनल ने रूठते हुए कहा।

“अच्छा कल से देर नहीं करूँगा, अब तो खुश हो जा।” भैया ने उसे मनाते हुए कहा।

इस हँसी-खुशी के बीच भी मीनल पता नहीं क्यों घर में एक अजीब सा तनाव महसूस कर रही थी। भैया-भाभी के बीच में बहुत कम बिल्कुल औपचारिक बातें ही हो रही थीं|

“मीनल आज शाम को तैयार रहना, ऑफिस में पार्टी है तुम्हें भी चलना है।” भैया ने दूसरे दिन नाश्ता करते हुए कहा।

“ठीक है भैया, मैं औऱ भाभी तैयार हो जाएंँगे शाम में।”

“अरे! तेरी भाभी तो जाती ही रहती है, वैसे भी छोटी सी पार्टी है सिर्फ तुम ही चलो। क्यों निधि?” भैया ने भाभी से पूछा।

“हाँ, ये सही कह रहे हैं, मीनल। तुम ही चले जाओ। फिर घर में भी बहुत सा काम है।” कहते हुए निधि रूम में चली गई।

तभी किचन में पानी लेने जाती मीनल के कानों में भैया-भाभी की बातें पड़ी। भाभी कह रही थी “मुझे भी ले चलिए ना, कितने दिन हो गए आपके साथ कहीं गए हुए।”

“फालतू की बातें मत करो। तुम्हें साथ ले जाकर अपनी इंसल्ट करानी है क्या? न उठने-बैठने का, न पहनने-ओढ़ने का, न बोलने-चालने का कोई भी चीज का कोई सलीका नहीं है तुम्हें, बिल्कुल फूहड़ हो। बाकी लेडीज को देखो कैसे घर औऱ बाहर दोनों कितनी स्मार्टली मैनेज करती हैं। अपनी मीनल को ही देखो कितनी एक्सपर्ट है औऱ एक तुम हो ‘गुड फॉर नथिंग” कहते हुए भैया ऑफिस निकल गए। भैया के मुँह से ऐसी बातें सुनकर मीनल दंग रह गई।

मीनल तुरंत भाभी के पास गई “भाभी ये सब क्या है? भैया आपसे ऐसे कैसे बात कर सकते हैं?” उसने पूछा।

“निधि तेरे जाने के कुछ समय बाद ही नीलेश का भी बैंगलोर ट्रांसफर हो गया। शुरू में सब बहुत अच्छा था। ये मुझे सब जगह ले भी जाते थे। किंतु, फिर धीरे-धीरे ये मुझे ले जाने से कतराने लगे। इनके ज्यादातर फ्रेंड्स की पत्नियाँ वर्किंग हैं, स्मार्ट, मॉडर्न हैं, फर्राटेदार इंग्लिश बोलती हैं। उनके सामने मुझ जैसी सिंपल, कम पढ़ी-लिखी, हाउसवाइफ को ले जाने में इन्हें इंसल्ट महसूस होती है। ऐसा लगता है मानो इनकी लाइफ में अब मेरी कोई अहमियत ही नहीं रह गई है।” कहते हुए भाभी की आवाज भर आई।

ये सुनकर मीनल ने तुरंत ही नीलेश को फोन किया “भैया आज मुझे बहुत जरूरी काम है। मैं आपके साथ नहीं जा पाऊँगी”।

फिर भाभी से कहा “भाभी जल्दी से तैयार हो जाओ, पहले आपके फेवरेट रणवीर कपूर की मूवी, फिर डिनर। खूब मज़ा करेंगे।”

“पर अभी तो तुमने कहा कि तुम्हें बहुत जरूरी काम है” निधि ने चौंकते हुए कहा।

“हाँ, आपके साथ मस्ती करने से ज्यादा जरूरी और क्या होगा! आज भले ही भैया आपकी अहमियत भूल गए हैं लेकिन मैं नहीं। आज मैं जो कुछ भी हूंँ, आपके कारण हीं हूंँ। यदि आपने अपने जेवर गिरवी  रखकर मुझे आगे पढ़ने के लिए नहीं भेजा होता तो मैं इस मुकाम पर नहीं पहुंँची होती।” मीनल ने भावुक होते हुए कहा।

कुछ दिनों में मीनल ने ऑफिस जॉइन कर लिया। जहाँ एक ओर नीलेश निधि के खाने को बकवास बता टिफिन न ले जाकर कैंटीन में खाता था, वहीं दूसरी ओर मीनल रोज टिफिन में भाभी से नई-नई डिशेज बनवाकर ले जाती थी| खुद भी बड़े चाव से खाती और ऑफिस में भी सबको खिलाती थी।

एकदिन मीनल ने निधि से कहा “भाभी आज शाम ऑफिस में पार्टी है और आपको भी चलना है। शाम को तैयार रहिएगा।”

“मैं! पर मैं क्या करूँगी वहाँ जाकर? मुझे तो कुछ आता भी नहीं और मेरे पास तो पार्टी में पहनने लायक मॉडर्न ड्रेस भी नहीं है।” निधि ने नर्वस होते हुए कहा।

“भाभी आप इतना घबरा क्यों रही हैं? ट्रस्ट मी, आपको बहुत अच्छा लगेगा जाकर और रही बात कपड़ों की, तो जो आपका मन करे वो पहनो। आप तो हर ड्रेस में कमाल लगती हो” मीनल ने निधि को शांत करते हुए कहा।

शाम को कांजीवरम सिल्क साड़ी में सजी निधि पार्टी में पहुँची। सभी उससेे बहुत प्यार और सम्मान से मिले। सबने उसके खाने की जमकर तारीफ की।

“निधि जी आपके हाथों में तो जादू है, पेट भर जाता है मन नहीं।” मीनल के बॉस ने मुस्कुराते हुए कहा।

“सर, भाभी के हाथों में ही नहीं, पैरों में भी जादू है। भाभी ट्रेंड क्लासिकल डांसर हैं।” मीनल ने बताया।

“अरे वाह! अब तो एक परफॉर्मेंस बनती है”|

सबकी रिक्वेस्ट पर निधि ने भरतनाट्यम की एक छोटी सी प्रस्तुति दी। डांस इतना मनभावन था कि सभी मंत्रमुग्ध हो गए।

“निधि जी अगले महीने हमारे शहर में ‘इंटरनेशनल कल्चरल समिट’ है, जिसमें देश-विदेश के कई नामचीन कलाकार और फॉरेन डेलिगेट्स शामिल होंगे। मैं चाहता हूँ कि आप भी उसमें परफॉर्म करें।”

पार्टी में मौजूद इंटरनेशनल कल्चरल समिट के ऑर्गनाइजिंग हेड की यह बात सुनकर निधि को तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ।

“नहीं, मैं यह नहीं कर सकती।” उसने घबराते हुए कहा।

“क्यों नहीं कर सकती? मैं तो आपको लाई ही यहांँ इसलिए हूंँ ताकि आपका टैलेंट सबको पता चले। यही समय है भैया के सामने अपनी इमेज दिखाने

‘इंटरनेशनल कल्चरल समिट’ में मीनल के साथ नीलेश भी पहुँचा। वहाँ निधि को परफॉर्म करते देख वह चौंक गया। उसे चौंकते देख निधि ने पूछा “भैया, भाभी की परफॉर्मेंस देखकर चौंक रहे हो या ये देखकर कि जिसे साथ ले जाने में भी आपकी ‘इंसल्ट’ होती है, जिसकी आपकी नजरों में कोई अहमियत नहीं है। जो आपके लिए ‘गुड फ़ॉर नथिंग’ है। वही आज अपनी कला से इंटरनेशनल मंच की शोभा कितनी खूबसूरती से बढ़ा रही है?”

मीनल की बातें सुनकर नीलेश का सिर शर्म से झुक गया।

“भैया हर इंसान में कोई ना कोई खूबी अवश्य होती है, जरूरत होती है उसे खोजने और उभारने की। अगर दूसरों से तुलना कर भाभी को नीचा दिखाने के बजाय आप उनकी खूबियों को निखारते। उनकी अहमियत समझते तो आज यूँ सर झुकाने की नौबत नहीं आती” कहते हुए मीनल अपनी भाभी के पास चल गई।

                   श्वेता अग्रवाल।

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