गलत को गलत कहने की हिम्मत -लतिका श्रीवास्तव

आज फिर  पड़ोस से जोर जोर से किसी बच्चे और उसकी मां के रोने की आवाजे सुनाई दे रही थीं, शुभ्रा को ऐसा रविवार नही चाहिए था…आवाजे जब करुण रूदन सी चुभने लगी तब उसकी सहन शक्ति जवाब दे गई पतिदेव के टोकने पर भी कि रुको उनके घर का मामला है उसका पति आज छुट्टी है तो घर पर होगा इसीलिए ….हमे क्या करना है तुम म्यूजिक की आवाज तेज कर लो और अपना काम करो…आज शुभ्रा अपने आप को रोक नहीं पाई नए पड़ोसी हैं तो क्या, किचेन से सटा उनका घर है निरंतर तीव्र होती रोने और फिर मारने पीटने अपशब्दों की आवाजे उसको व्याकुल कर रही थीं।वो घर से बाहर निकल के सड़क पर आई तो देखा कॉलोनी के सभी घरों से लोग बाहर खड़े आनंद ले रहे थे,शुभ्रा ने हिकारत भरी नजर से उनकी इस तटस्थता को नकारा और चल कर विवाद निबटाने के लिए आमंत्रित किया पर सबने जब सिरे से उसकी बात को यह कहते हुए की दूसरे के घर का मामला है हमें बीच में नहीं पड़ना चाहिए साफ इंकार कर दिया तो शुभ्रा अकेले ही उनके घर तक चली गई सबके मना करने के बावजूद उसने पड़ोसी के बंद दरवाजे पर दस्तक दी उसकी दस्तक से अचानक अंदर खामोशी सी छा गई,दो तीन बार दस्तक देने पर भी जब दरवाजा नहीं खोला गया तो शुभ्रा ने तेज स्वर में कहा तत्काल दरवाजा खोलिए मैं आपकी पड़ोसी हूं कुछ काम से आई हूं,तब बहुत धीरे से दरवाजा खुला और एक आदमी ने दरवाजे की आड़ से ही पूछा क्या काम है बताइए उसकी अवज्ञा से भरी टोन की परवाह ना करते हुए शुभ्रा ने दरवाजे के अंदर जाने की कोशिश करते हुए कहा मुझे आपकी पत्नी से काम है उन्हे बुला दीजिए उसने कहा आपको मुझे बताना हो तो बताइए और वो तेजी से दरवाजा बंद करने लगा अब शुभ्रा ने जल्दी से थोड़ा तेज स्वर में तल्खी से कहा सुनिए मुझे आपसे ही काम है आपके घर में किसी को कुछ परेशानी है क्या …आपको उससे क्या लेना देना मैडम अपना काम देखिए मेरा घर है जो चाहूं करूं निहायत ढीढता से उसने कहा तो शुभ्रा ने निहायत विनम्रता लेकिन दृढ़ता और हिम्मत से कहा सुनिए आपका घर है तो क्या हम सबके भी घर हैं एक दूसरे से समाज में हम प्रभावित होते हैं, इसी कॉलोनी में हम सबके साथ ही रहते हैं आप अपने घर में मनमानी तब तक कर सकते हैं जब तक हम सबको कोई परेशानी ना हो लेकिन अगर आपका व्यवहार असामाजिक होगा अमानवीय होगा तो आप यहां नही रह सकते रहना है तो सभ्यता से रहिए….

…..वो देखता रह गया और शुभ्रा वहां से तत्काल लौट आई,आते समय उसने कॉलोनी के सभी बाहर खड़े तमाशबीनों को डपटा कि गलत काम का आनंद ले रहे हैं गलत व्यवहार को रोकने की कोशिश तो करिए गलत व्यक्ति को गलत कहने की उसको टोकने की हिम्मत तो करिए सामाजिक दबाव में शक्ति होती है आगे तो बढ़िए…. उस दिन के बाद से पड़ोस से वैसी आवाजे आनी बंद हो गई…।

लतिका श्रीवास्तव

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!