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दिल के रिश्ते  – नेकराम 

यह बात 12 मार्च 2011 की है रात का वक्त था मैं ड्यूटी से छुट्टी करके घर लोटा ही था कि —

उस दिन मां बड़ी चिंतित थी मेरे घर आते ही बोली दवाई मैंने ले ली है और गोली भी खाली अब मेरी बात सुनो गौर से

मेरी उम्र का कुछ ठिकाना नही कब ऊपर वाले का बुलावा आ जाए

तेरी बड़ी बहन की शादी हो गई है तेरे बड़े भाई की शादी हो गई मैं चाहती हूं अब तेरी भी शादी हो जाए पैसो की तू फिकर न कर लड़की मैंने देख ली है

मैं भी फिर हार चुका था उम्र 28 के पार हो चुकी थी और उस रात में कुछ न कह सका

कुछ दिन बाद मेरी शादी तो हो गई लेकिन मुझें बाद में पता चला हमारे मकान के कागज पड़ोस के शर्मा जी के पास गिरवी पड़े है

कर्ज दिन पर दिन और बढ़ने लगा तब मां ने उस मकान को बेंचने का फैसला लिया जिस मकान में मां ने अपने 30 वर्ष बिताए थे जिस घर में अपने तीन बच्चों को जन्म दिया था और आज वही बच्चें बचपन से खेलते कूदते कितने जवान हो गये थे उसे पता था कि अब सब बच्चों की शादी हो गई कर्ज अब कोई नही चुका पाएगा इसलिए उसने हर्ष विहार में एक बना बनाया मकान खरीदा उसमें केवल दो ही कमरे थे

रात ही रात ट्रक में सारा सामान लादकर हम नये घर की और चल पड़े

मां ने नीचे वाला ग्राउंड फ्लोर मुझें दे दिया और ऊपर वाला फर्स्ट फ्लोर बड़े बेटे को दे दिया और खुद पिता के साथ छत के ऊपर तंबू बनाकर रहने लगी मुझसे यह देखा न जाता था किंतु मेरी भी नई नई शादी हुई थी बीबी भी नई थी

बूढ़े मां – बाप सीढ़ियों से चढ़ उतर नही सकते थे इसलिए मेंने एक फैसला लिया

दूर कही एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी ढूंढ़ी फिर वही पास में ही एक किराये का कमरा लिया और अपनी बीबी के साथ रहने लगा

मां को मेंने जाते वक्त कहा था —

मां ,,, मैं नई नौकरी के लिए दूर जा रहा हूं यह लो कमरे की  चाबी मेरे कमरे की रखवाली करती रहना मैं जल्दी ही रूपया कमाकर लोट आऊंगा तब छत पर एक कमरा और बन जाएगा    

जब मैं महीनों तक घर न लोटा तो बूढ़े मां – बाप को  छत से मजबूर होकर नीचे वाले ग्राउंड फ्लोर पर रहना पड़ा क्योंकि उन दिनों मोहल्ले में चोर घूमा करते थे ताले तोड़कर चोरिया कर लेते थे मां को डर था कही उनके छोटे बेटे नेकराम का शादी में मिला नया सामान कोई चुरा न ले

पड़ोस में हमारे एक मित्र थे जिनसे में फोन के जरिये मां का हाल चाल जान लेता था लेकिन वह इतना कंजूस था कि  सप्ताह में केवल एक बार ही दस रूपये का रिचार्ज अपने मोबाइल में करवाता था

मित्र ने चार दिन बाद बताया ,, तुम्हारी मां तुम्हारे कमरे के दरवाजे तक तो आती है किवाड़ पर लटके ताले को अच्छी तरह से देखती है फिर छत पर सोने के लिए चली जाती है

यह सिलसिला चार दिनों से चल रहा है

चार दिन बाद मित्र का फिर फोन आया कहने लगा आज तुम्हारी मां ने तुम्हारे कमरे का ताला खोला कमरे में झाडू लगाई और फिर वापस किवाड़ बंद करके ताला लटका दिया

चार दिन बाद मित्र का फिर फोन आया कहने लगा कल रात अचानक तेज हवाएं चलने लगी तुम्हारी मां का बनाया हुआ छप्पर तेज हवा में उड़ गया तब आस पास के लोगों ने तुम्हारी मां को समझाया तुम्हारे छोटे बेटे नेकराम का नीचे वाला  ग्राउंड फ्लोर खाली पड़ा है आज रात उसी में बिता लो तब तुम्हारी मां कहने लगी यह तो मेरी बहु का कमरा है मैं बहु के कमरे में कैसे रह सकती हूं

तभी बारिश की मोटी मोटी बूंदे अंबर से गिरने लगी छप्पर भी टूट चुका था तुम्हारे बूढ़े पिता को भीगते देखा तो मां ने बटुये से चाबी निकाली और ताला खोल दिया और तुम्हारे कमरे में रात बिताई

चार दिन बाद मित्र ने फिर फोन किया कहने लगा कल रात हर्ष विहार में दो घरों में चोरी हो गई एक घर से फ्रिज और दूसरे घर से गैंस सिलेंडर चोरी हो गया तुम्हारी मां बहुत डर गई है तुम्हारे पिता भी सबको बता रहे थे जब तक नेकराम लोटकर वापस घर नही आ  जाता कमरे को खाली छोड़ना खतरनाक है

मित्र की बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ 

मुझें उस दिन बड़ा सुकून मिला था जब पता चला मेरे बूढ़े मां बाप छत से उतरकर अब ग्राउंड फ्लोर पर रहने लगे है सर्दी की ठंडी हवाओ से बचने लगे गर्मी के दिनों में होने वाली बारिश के पानी से बचने लगे

इधर मैं रात दिन मेहनत करके रूपया इकठ्ठा करने की कोशिश करने लगा  कम मजदूरी मिलने के कारण मेंने कई बार नौकरिया बदली किंतु सब बेकार अच्छी नौकरी के लिए जेब में पैसे नही होते थे इसलिए रात में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता और दिन में रिक्शा चलाने का काम करने लगा

शरीर धीरे धीरे कमजोर होता जा रहा था और कमरे का किराया दिनपर दिन बढ़ता ही जा रहा था कभी कभी मन करता की वापस अपने घर लोट जाऊ लेकिन यह सोचकर रूक जाता कि अगर मैं फिर वापस घर गया तो मां और पिताजी कहा रहेंगे

नेकराम 

दिल्ली से  स्वरचित रचना

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