धोखा – मंजू ओमर : Moral stories in hindi

अरे अनंत सिर्फ दुकान चलाने और पैसा कमाने में ही व्यस्त रहता है कि कुछ घर पर और बच्चों पर भी ध्यान देता है। काहे दीपक भइया ऐसा क्यों कह रहै हो अंनत बोला । अरे श्रेया अब बड़ी हो रही है जरा उसपर भी ध्यान रखा करों कहां जा रही है किससे मिलजुल रही है नहीं तो किसी दिन धोखा खा जाओगे। आजकल समय बड़ा खराब चल रहा है ।

अच्छा दीपक भइया कोई बात हो गई है क्या, हां कल हमने श्रेया को किसी लड़के के साथ पार्क में बैठे देखा था।एक दिन साथ साथ घूमते भी देखा था क्या गुल खिला रही है वो जरा घर पर भी ध्यान दें । कहीं ऐसा न हो बाद में तू हाथ मलता रह जाए । ठीक है भइया मैं आज ही घर जाकर श्रेया की खबर लेता हूं ।अरे ऐसे नहीं आराम से पूछना थोड़ी नजर रख उसपर । हां हां दीपक भइया अच्छा किया आपने बता दिया हमको।

              घर पहुंचते ही अनन्त ने पत्नी को आवाज दी अरे जरा सुनो तो हां आई रमा बोली । श्रेया कहां है स्कूल गई है काहे क्या बात हों गई।उससे कहो टाइम से घर आए और जरा नजर रखो उसपर। क्या हुआ किसी ने कुछ कहा है क्या रमा बोली बताउंगा लेकिन थोड़ी नजर रखो पहले हम पता कर लें फिर बताएंगे।

               दीपक की बातों का अनन्त पर गहरा असर पड़ा था ।जब श्रेया के स्कूल की छुट्टी हुई तो दुकान नौकर के भरोसे छोड़कर अंनत श्रेया के स्कूल के बाहर छुपकर खड़ा हो गया।इतने में श्रेया बाहर निकली और किसी लड़के से हंस हंस कर बातें कर रही थी और फिर घर न जाकर स्कूल के पास बने एक पार्क में जाकर बैठ गई। अंनत को दीपक भइया की बातों पर विश्वास हो गया कि वो सच कह रहे थे।आज आने दो श्रेया को घरपर फिर पूछतां हू उससे यहां पर इस तरह टोकना उसको अच्छा नहीं लगेगा।

             अंनत श्रेया के घर आने से पहले खुद घर पहुंच गया। छुट्टी के एक घंटे बाद श्रेया घर पहुंची।जब रमा ने पूछा कि इतनी देर क्यों हो गई तो श्रेया बोली एक्स्ट्रा क्लास थी इसलिए देर हो गई। तभी अनन्त चिल्ला पड़ा किस सब्जेक्ट की एक्स्ट्रा क्लास थी और अपने क्लास की दूसरी लड़की से जरा बात कराओ । क्या हो गया पापा आप इस‌तरह से क्यों मेरी छानबीन कर रहे हो ।

छानबीन हां कर रहा हूं छानबीन क्यों कि तू एक्स्ट्रा क्लास में नहीं किसी लड़के के साथ पार्क में घूम रही थी । श्रेया अवाक रह गई पापा को कैसे पता चला। बता तू उस लड़के के साथ क्या कर रही थी । श्रेया चुपचाप खड़ी थी। अंनत जब जोर से चिल्लाया तो श्रेया बोली दोस्त हैं पापा वो मेरा । अच्छा स्कूल पढ़ने जाती है कि लड़कों के साथ इधर उधर घूमने।रमा भी सुनकर चौंक गई फिर श्रेया से बोली बेटा ये तुम्हारी पढ़ने लिखने की उम्र है तेरी बोर्ड की परीक्षा आने वाली है पढ़ाई लिखाई में मन लगा ।

अंनत गुस्से में आकर बोला अगर श्रेया नहीं मानती है तो स्कूल जाना बंद कर दो इसका। अपने पर अंकुश लगता देख श्रेया चिल्ला पड़ी क्यों बंद कर दूं मैं स्कूल जाना और हां वो लड़का उसे मैं पसंद करती हूं ।और उससे शादी करना चाहती हूं। श्रेया की बातें सुनकर अंनत और रमा अवाक रह गए। अभी पढ़ने लिखने की उम्र में ये क्या कह रही है। फिर रमा ने अंनत को इशारा किया शांत होने का और बोली गुस्से से काम नहीं चलेगा आपको पता है न कि श्रेया बहुत जिद्दी है बग़ावत कर देगी मैं उसे आराम से समझाती हूं ।

               श्रेया दूसरे दिन फिर उस लड़के से मिली कोई कोई बच्चे जिद्दी होते हैं और फिर अभी श्रेया अपना अच्छा बुरा कुछ नहीं समझती फिर ये उम्र ही ऐसी होती है पर आकर्षण हो ही जाता है।घर आकर अनन्त ने रमा को बताया कि आज श्रेया फिर उस लड़के से मिली थी।।

                     श्रेया जब स्कूल से आई तो रमा खाना लेकर श्रेया के कमरे में गई और शांत मन से श्रेया को समझाया।देखो बेटा तुम्हारी अभी पढ़ने लिखने की उम्र है तुम्हारा सपना अच्छी शिक्षा प्राप्त करके अच्छी सी नौकरी करने का था फिर इस तरह के चक्करों में पड़ जाएगी तो पढ़ाई कैसे करेगी ।अपना सपना कैसे पूरा करेगी।पर मां वो (करण) कहता है कि हम लोग शादी कर लेंगे और बाद में पढ़ाई कर लेंगे। कुछ नहीं बेटा शादी के बाद कुछ नहीं हो पाता पर मां,,,,,,,।ये सब क्षणिक आवेश है बेटा अपनी जिंदगी बर्बाद न कर पहले अपना सपना पूरा कर फिर शादी ब्याह के बारे में सोचना। बहुत देर तक रमा श्रेया को समझाती रही देख श्रेया मैंने भी सोचा था कि शादी के बाद अपनी पढ़ाई पूरी करूंगी क्या कर पाई ।

                  श्रेया चुपचाप सुनती रही फिर बोली क्या आप पढ़ाई के बाद हमारी शादी करण से ही कर देंगी हां हां मेरी जान कर दूंगी करण से ही कर दूंगी पहले बेटा पढ़ाई में मन लगा।

               ठीक है जैसा आप और पापा कहेंगे वैसा ही करूंगी लेकिन आप लोग अपने वादे से तो नहीं मुकर जाएंगे न नहीं नहीं मेरी जान नहीं मुकरेंगे ।

                रमा ने सारी बात अंनत को बताई । अंनत ने संतोष की सांस ली और बोला जब शादी का समय आयेगा तब की तब देखी जायेगी । श्रेया ने हमलोगों की बात सुन ली यही बड़ी बात है फिर भी उसपर थोड़ा ध्यान रखें रहना बहुत जरूरी है।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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