दास्तान इश्क़ की (भाग -18)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा ….

राधिका कावेरी और लाजवंती के साथ शॉपिंग के लिए जाती है और वहीं से कहीं गायब हो जाती है..

अब आगे…

कावेरी लाजो और  राजीव के साथ राधिका को ढूँढ ही रही थी…..आदित्य भुवन के साथ वहीं पर पहुँच जाता है….. आदित्य और भुवन  को देख कर कावेरी लाजो और राजीव उनके पास आते हैं..

आदित्य ने कावेरी को देखकर पूछा – कैसे हुआ ये सब???

कावेरी ने आदित्य को सब बताया ….

आदित्य ने राजीव से पूछा कहाँ थे आप लोग सब??

राजीव ने कहा कुँवर ठाकुराइन ने हमें बोला आने को तो हम बस गाड़ी लेने गए थे…

और गार्ड्स कहाँ थे??

वो सब यहीं थे कुँवर

तो फिर कैसे राधिका कहीं चली गयी ?

तब तक राघव भी आ गया… सब ने एक बार फिर से पूरे बाज़ार में राधिका को देखा लेकिन वो कहीं नहीं थी….

आदित्य ने राघव से कहा – राघव कमिशनर साहब को फोन करो और घर बुलाओ उसने कावेरी और लाजो को अपने साथ गाड़ी में बिठाया और घर की तरफ चले….

कुछ देर में आदित्य राघव और बाक़ी सब घर पहुँचे….. कमिशनर साहब भी अपनी टीम के साथ पहुँच गए थे

आदित्य ने कमिशनर साहब को सब बताया…. कमिशनर साहब ने तुरंत उस रेस्टुरेंट की  cctv फुटेज निकालने के लिए अपनी टीम को बोला….

कुछ ही देर में cctv फुटेज ले कर टीम आ गयी

सबने फुटेज देखना शुरू किया….

उस वक़्त की फुटेज जब राधिका को छोड़ कर लाजो गयी थी दिखायी दी …… राधिका मीनू कार्ड देख रही थी…. उसकी टेबल के पास एक वेटर आया और पानी रख कर चला गया… राधिका ने bottle से पानी ग्लास में लिया और पीने लगी…… तभी एक आदमी उसकी टेबल से टकरा कर गिर गया… राधिका पानी का ग्लास रख कर उसे उठाने के लिए आगे बढ़ी तो उसने देखा की वो आदमी स्टिक पकड़ कर खड़े होने की कोशिश कर रहा था तब तक वेटर भी आ गया और उस आदमी की हेल्प करने लगा….. राधिका ने उस आदमी की स्टिक उठा कर दी…

उस आदमी ने राधिका को कुछ कहा तो राधिका वेटर को रोक कर उस आदमी के साथ बाहर चली गयी….

आदित्य ने फुटेज रुकवायी और कावेरी से पूछा आप तो बाहर थी ना फिर आपको राधिका क्यों नहीं दिखी जाते हुए ???

कावेरी ने फुटेज दिखाते हुए कहा मैं दूसरी तरफ खड़ी थी इस तरफ नही …. और रेस्टुरेंट में इस वक़्त भीड़ भी थी  इसलिए मैं राधिका को देख नहीं पायी….

राजीव बड़े गौर से फुटेज देख रहा था उसने फुटेज को थोड़ा पीछे करने को बोला….. और तब रोका जब वो आदमी राधिका के साथ जाने के लिए मुडा….

राजीव ने भुवन से कहा सर ये तो दिनेश है…. भुवन ने भी देखा तो उसने भी वो जाना पहचाना लगा…. वो बोला थोड़ा क्लोजअप करो…. भुवन ने कहा -सही कहा राजीव ये दिनेश है

आदित्य ने पूछा कौन दिनेश ??

भुवन ने कहा – कुँवर ये किशनगढ़ से दो गाँव छोड़ कर जो गाँव है… जिनकी घूसखोरी में आपने सज़ा दिलवायी थी…ओम ठाकुर के पुराने दोस्त सुधीर सिंह का बेटा दिनेश…..

आदित्य उठ कर खड़ा हो गया चलो भुवन आज इन चाचा और उनके दोस्त को हम बतायेंगे….

लेकिन ठाकुर साहब आप ढूंढेंगे कहाँ?? कमिशनर साहब ने कहा

भुवन ने कहा – कमिशनर साहब सही कह रहें हैं कुँवर…. ओम ठाकुर और सुधीर सिंह दोनों ही शहर में नहीं है

आपको कैसे पता भुवन…?? आदित्य ने पूछा

“जब से ओम ठाकुर ने ठाकुराइन को पकड़ा था तभी से हमने उन पर नज़र रखी हुयी है… पारसों उन्हें शहर के बाहर जाते हुए हमारे आदमियों ने देखा था.. … लेकिन ऐसा कुछ हो जायेगा इसका हमें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था…. भुवन ने कहा

कहीं से कुछ तो पता चलेगा…. ऐसे हाथ पर हाथ रख कर तो हम नहीं बैठ सकते कोई ना कोई तो होगा उन दोनों के घर में जिसे पता होगा कि वो लोग कहाँ है???-  राघव ने थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा

कमिशनर साहब बोले —  आप सही कह रहे है चलिए..

सब लोग साथ में निकल गए …. कावेरी और लाजो भी सबके साथ थे

उधर एक अंधेरे से कमरे में किसी को कुर्सी से बांध रखा था और उसके सामने एक आदमी बैठा हुआ उसे देख रहा था……कुर्सी पर बैठे हुए शक़्स को थोड़ा होश आया उसने आँखे खोली तो देखा थोड़ी से रोशनी थी लेकिन कुछ साफ – साफ दिख नहीं रहा था…

प्रणाम भाभी…… उसके सामने बैठे हुए शक़्स ने कहा…

ये राधिका थी उसने अपनी आँखों को खोला तो उस शक़्स ने कहा लाइट जलाओ बे… भाभी को दिख नहीं रहा है….

राधिका ने उसे देखा और पूछा – कौन हो तुम?? हम है दिनेश अपना  देवर ही समझ लो आप

लेकिन मैं तो नहीं जानती आपको और मुझे यहाँ क्यों लाए हो???

दिनेश हँसा तो उसके पीछे सी विक्रम हँसता हुआ आ रहा था……उसने कहा दिनेश को ना सही हमें तो जानती है ना आप??

राधिका ने उसकी तरफ देखा और बोली – तुम??? लगता है उस दिन की पिटाई भूल गए

….अरे नहीं भाभी जी भूल गए होते तो आपको यहाँ नहीं लाते… विक्रम ने  राधिका के थोड़ा पास आते हुए कहा…

“राधिका उसे गुस्से वाली नज़रों से देख रही थी…. उसने कहा अगर डरते नही हो मुझसे तो बांध क्यों रखा है ???खोलो मुझे फिर बताती हूँ…

“अरे….. आप कहें और आपका ये देवर आपकी बात ना माने ऐसा कैसे हो सकता है .’…खोल दो इनको विक्रम ने कहा

एक आदमी ने आकर राधिका के हाथ खोल दिए…..जैसे ही राधिका के हाथ खुले उसने एक ज़ोर का थप्पड विक्रम को मारा… विक्रम को इस थप्पड की उमीद नही थी

दूसरी तरफ से दिनेश आगे बढ़ा तो राधिका ने एक लात उसे मारी वो दूर जा गिरा…… विक्रम ने अपना गाल सहलाया और गुस्से में राधिका की तरफ बढ़ा

उसने राधिका का हाथ पकड़ा और उसे पीछे की तरफ मोड दिया राधिका की चीख निकल गयी…. वो थोड़ा संभाली और उसने ज़ोर से अपना एक पैर विक्रम के पैर पर मारा…. विक्रम थोड़ा सा लड़खडाया और राधिका ने अपना हाथ उससे छुड़ा लिया राधिका कुछ संभलती उस से पहले  दिनेश आया और उसने ज़ोर का थप्पड़ राधिका के गाल पर मारा राधिका ने कोशिश की फिर से उसको मारने की लेकिन उसने राधिका को ज़ोर का धक्का दिया राधिका का सिर इस बार दीवार से टकराया और वो गिर गयी उसने सिर से खून बहने लगा…..

विक्रम और दिनेश ने उसे वहीं छोड़ा और कमरे से बाहर निकाल आए

आदित्य ने गाड़ी में बैठे हुए ओम ठाकुर को फोन किया …

ओम ठाकुरा ने फोन उठाया और बोला – आदित्य क्या बात है आज चाचा की याद कैसे आ गयी?

विक्रम कहाँ है ओम ठाकुर?

अरे…. हम चाचा हैं तुम्हारे ये क्या बड़ों का नाम कौन लेता है??

जितना पूछा बस उतना ही जवाब दो.. कहाँ है विक्रम??

वो तो अपने दोस्तों के साथ कही गया है शायद रेज़ॉर्ट् में गया है

कौन से रेज़ॉर्ट् में??

वो तो नहीं पता पर हुआ क्या??

आदित्य ने ओम ठाकुर को जवाब दिए बिना ही फोन कट किया      और रख दिया

भुवन ने पूछा – क्या बताया ओम ठाकुर ने?

वो किसी रेज़ॉर्ट् में है

कुँवर  इतनी दूरी में सिर्फ यहाँ सिर्फ पाँच रेज़ॉर्ट् है …वो हमें पता है और वो ज़्यादा दूर नहीं गया होगा… कह कर भुवन ने राजीव को फोन और  बाक़ी सबको भी बताया…

सभी उस तरफ चल पड़े ….. भुवन ने सारे अपने आदमियों से एक -एक करके रेज़ॉर्ट् देखने को कहा…

उन सबने रेज़ॉर्ट्स की तलाशी ली लेकिन राधिका कहीं नहीं थी…

अब कावेरी की आँखों से आँसू बहने लगे लाजो ने उसे संभाला उसकी आँखों में भी आँसू थे उसने कहा – दीदी संभालो अपने को कुछ नहीं होगा ठाकुराइन को..

अब आखरी रेज़ॉर्ट् बचा था उसकी तलाशी चल रही थी आदित्य रेज़ॉर्ट् में पहुँच कर गाड़ी में से उतरा और उसकी तरफ देखने लगा…. उसने इधर – उधर घूम कर देखा तो रेज़ॉर्ट् की कुछ दूरी पर एक और पुराना घर जैसा दिखायी दिया….. वो उस तरफ जाने लगा

भुवन और राघव ने देखा तो वो दोनों भी उस तरफ चल दिए

उस घर के आस – पास बहुत  लोग खड़े थे… आदित्य पेड़ के पीछे छिप गया और देखने लगा… राघव और भुवन भी उसके पीछे खड़े थे…

राघव ने आदित्य से कहा – आदि कहीं भाभी यहीं तो नहीं??

आदित्य ने बोला – शायद…

तभी भुवन ने कहा यहाँ तो बहुत लोग हैं कुँवर मैं गार्ड्स को बुलाता हूँ वो लोग इनसे निपट लेंगे भुवन ने फोन करके सबको बुलाया…

गार्ड्स आगे आदित्य राघव और भुवन उनके पीछे थे….. गार्ड्स को सामने से आता देख उस घर के आगे खड़े  लोग सतर्क हो गए …. उनमें से एक ने सीटी बजायी तो और लोगों ने चारों तरफ से आ कर उन सबको घेर लिया

आदित्य के गार्ड्स ने  एक  – एक करके सबको मारना शुरू किया….. बाहर शोर की आवाज़ सुनकर अंदर बैठे दिनेश और विक्रम भी बाहर आ गए..

विक्रम और दिनेश ने जब आदित्य को देखा तो उसके होश उड़ गए….. वो दोनों भागने की फिराक में थे….. तभी आदित्य और राघव उनके सामने आ कर खड़े हो गए ….

आदित्य ने दोनों हाथों से विक्रम का कॉलर पकड़ा और बोला – राधिका कहाँ हैं??

राघव ने दिनेश को पकड़ कर मारना शुरू किया

विक्रम ज़ोर से हँसा और उसने आदिय के हाथों अपने कॉलर पर से हटाते हुए कहा –  ढूँढ लो इतनी बड़ी फौज ले कर आए हो …

राघव को उसकी इस बात पर गुस्सा आ गया उसने एक ज़ोर का थप्पड़ विक्रम को मारा और बोला – भूल गया भाभी ने कितना मारा था तुझे

विक्रम ने अपना गाल सहलाते हुए घूर कर उसकी तरफ देखा….. राघव ने फिर एक ज़ोर की लात उसे मारी वो दूर जा गिरा…

भुवन ने उसे जाकर पकड़ा आदित्य उसके पास गया और बोला – आखरी बार पूछ रहा हूँ राधिका कहाँ है???

आदि छोड़ो उसे चलो अंदर देखते है ….राघव ने कहा और उसका हाथ पकड़ कर अंदर की तरफ ले जाने लगा…. तभी दिनेश ने पीछे से आ कर राघव को धक्का दिया.. राघव गिरते – गिरते बचा उसने पीछे पलट कर गुस्से में देखा  पास पड़े हुए एक डंडे को उठाया और देनेश को उस से मारने लगा…… वो बेतहाशा दिनेश का मार रहा था…..आदित्य ने उसे रोका और खींचते हुए अंदर की तरफ ले जाने लगा…..

आदित्य ने पुकारा ……राधिका राधिका और इधर – उधर देखने लगा राघव भी राधिका को एक कमरे से देखते हुए दूसरे कमरे में गया…. आदित्य जब सबसे अंदर वाले कमरे मे पहुँचा तो वहाँ अंधेरा था…. वो दीवार को पकड़ते हुए चलने लगा…उसने अपनी पॉकेट में मोबाइल देखने के लिए हाथ डाला तो देखा मोबाइल नही था….शायद गाड़ी में ही रह गया……उसने पुकारा राधिका राधिका लेकिन उसे कोई आवाज़ नहीं आयी….. अंधेरे की वजह से उसे कुछ दिख नही रहा था वो मायूस हो कर बाहर जाने लगा तो उसे करहाने की आवाज़ आयी वो पीछे मुडा और उसने पुकारा राधिका….. उसे बड़ी हल्की सी आवाज़ सुनायी दी ….कुँवर

राधिका ….आदित्य राधिका राधिका पुकारते हुए आवाज़ की दिशा में बढ़ता जा रहा था….उसने राघव को आवाज़ दी…

राघव आया उसने अपना मोबाइल निकाला    और टॉर्च ऑन की उसने कमरे के चारों तरफ मोबाइल घुमाया…. तो आदित्य को राधिका कमरे के फर्श पर गिरी हुयी दिखी…… आदित्य   दौड़ कर राधिका के पास गया और उसका सिर अपनी गोदी में रखा राधिका के सिर से खून बह रहा था तब तक राघव भी उसके पास आ गया था….

राधिका आदित्य ने फिर पुकारा….

आदि बाहर ले कर चलो भाभी को….उसने भुवन को फोन किया –  भुवन गाड़ी ले कर आओ भाभी यहीं है 

राघव के कहने पर आदित्य ने राधिका को गोदी में उठाया राधिका बेसुध सी आदित्य की गोदी में थी

आदित्य उसे बाहर ले कर आया रोशनी में उसने देखा राधिका के गाल पर उंगलियों के निशान थे… उसके माथे से जो खून बह रहा था वो कुछ सूख चुका था और कुछ नही…. आदित्य ने जब उसके हाथ की तरफ देखा तो उसकी हथेली में भी लगी हुयी थी…

आदित्य की आँखे आँसुओं से भीग गयी…. भुवन गाड़ी ले आया था आदित्य ने राधिका को संभाल कर गाड़ी में बिठाया और उसका सिर अपनी गोद में रख लिया

राघव आगे बैठा उसने भुवन को चलने को कहा….. भुवन ने गाड़ी दौड़ा दी…..

राजीव को भुवन ने फोन करके बताया उसने कावेरी और लाजो को अपने साथ लाने को बोला   … !!

कहानी का ये भाग कैसा लगा आपको  ? जल्दी ही नये भाग के साथ मिलूँगी……!!!

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग -19)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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