दास्तान इश्क़ की (भाग -15)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा….

आदित्य और राधिका एक खूबसूरत एहसास से बंध जाते है…. कावेरी राघव के साथ किशनगढ़ आ जाती है और उसे राधिका की शादी के बारे में पता चलता है…

अब आगे….

सब के आ जाने पर   राधिका ने नौकरों से कह कर खाना लगवाने लगती है… कावेरी भी उसकी मदद करने किचन में चली जाती है….

रुपाली शीतल से कावेरी के बारे में पूछती है तो शीतल उसे बताती है की उसका अब इस दुनिया मे कोई नही है बस एक मामा है जिन्होंने शादी नही की है…. जिनके पास कावेरी अपनी माँ के इलाज के लिए गयी थी….. कावेरी के पिता का देहांत बहुत पहले ही हो गया था….शीतल कहती हैं जैसे राधिका है वैसे ही मेरे लिए कावेरी है….बिल्कुल मेरी बेटी की तरह …

ऑन्टी चलिए खाना लग गया – कावेरी ने रुपाली और शीतल से कहा

सब लोग ड़ीनिंग टेबल पर आ कर बैठ गए…… और खाना खाने लगे

राधिका बेटा खाना बहुत अच्छा बना है…वीर प्रताप जी ने कहा

हाँ सच में – राघव ने कहा

राधिका ने मुस्कुराकर थैंक्स बोला

सबने खाना खाया और वापस से बातें करने बैठे गए…

राधिका कावेरी के साथ बैठी थी… उन सब बड़ों के बीच में राघव बहुत बोर हो रहा था उसने राधिका से कहा  – भाभी .. चलिए ना बाहर चलते है थोड़ा वॉक करने…

हाँ जाओ तुम लोग थोड़ा घूम कर आओ तब तक हम लोग अपनी बातें करेंगे – रुपाली ने कहा

अपनी बातें नहीं मेरी ही बुराई करेंगी मम्मी…. राघव ने आदित्य से कहा

चलो …..आदित्य ने कहा और उसे खींचता हुआ बाहर की तरफ ले गया

राधिका और कावेरी आगे , आदित्य और राघव पीछे चल रहे थे….

कावेरी राधिका के हाथों में अपना हाथ डाले हुए  मस्ती में चले जा रही थी….. राधिका बस उसकी बातें सुन कर हाँ.. ना में जवाब दे रही थी….

राघव ने पुकारा – भाभी…राधिका रुक गयी

राघव ने आगे कहा – ऐसा नहीं लग रहा जैसे हम दोनों आपके बॉडी गार्ड है…. हम साथ में घूमने आए है,. आप तो..

राघव ने इतना कहा ही था की कावेरी बोली – आपको किसने कहा पीछे चलने को. आप आगे चलें हम आपके बॉडी गार्ड बन जाते है कह कर कावेरी खिलखिला कर हँस दी…

सबको उसकी इस बात पर हँसी आ गयी

आदित्य राधिका के पास गया और उसका हाथ अपने हाथों में ले कर आगे चलने लगा

राघव और कावेरी एक दूसरे को देखने लगे….. कावेरी ने हँसते हुए कहा लीजिये अब हमें इन दोनों का बॉडी गार्ड बन कर चलना पड़ेगा….. राघव भी मुस्कुरा दिया…

आप भी भाभी के साथ ही पढ़ती हैं ना? राघव ने कावेरी से पूछा

हाँ ….. हम दोनों का एक ही सपना है प्रोफेसर बनना…

और आप क्या करते हैं?

अभी तो आदि के साथ उसके ही काम में हेल्प करता हूँ…. क्योंकि मेरे पिताजी और माताजी जिनसे आप अभी मिली वो समझते हैं कि मैं अभी इस काबिल नहीं हूँ कि उनका बिजनेस संभाल सकूँ…. इसलिए उन्होंने मुझे आदि के साथ उसका असिस्टेंट बन कर रहने को बोल हैं

राधिका मुस्कुरायी और बोली – अच्छा… मतलब आप कुंवर जी के असिस्टेंट हैं

हाँ जी फिल्हाल तो मेरी यही पोस्ट है .. राघव ने कहा

राधिका और आदित्य एक दूसरे का हाथ थामें चले जा रहे थे बिना इसकी परवाह किए कि कावेरी और राघव उनके पीछे आ रहे हैं……

घर से निकल कर सब रोड पर आ गए थे…..और अपनी मस्ती में चले जा रहे थे

आदित्य ने राधिका से कहा – “आज आपने सबको घर  बुला कर बहुत अच्छा किया ….  पापा के जाने के बाद घर एकदम खाली हो गया था… “

राधिका ने आदित्य की तरफ देखा और बोली – सबके आने से रौनक हो जाती है …..राघव जी तो आपके साथ रहते है काकाजी अपने काम में रहते है तो काकीजी अकेली रह जाती हैं और यहाँ माँ भी तो इसलिए मैंने सोचा कि सबको बुला लें एक साथ बैठेंगे तो बातें करेंगे और सबको अच्छा भी लगेगा…

आदित्य ने हाँ में जवाब दिया

आदि तभी राघव ने पुकारा –

आदित्य ने पीछे मुड़ कर देखा….

चलो वापस ज़्यादा दूर जाना ठीक नहींं

हाँ चलो….आदित्य ने राधिका को वापस चलने के लिए ;बोला

सब घर लौट आए थे….. वीर प्रताप जी, रुपाली अबको वीकेंड पर आने का बोल कर राघव के साथ अपने घर चले गए….

आदित्य अपने रूम में जाने लगा.. लेकिन राधिका कावेरी के साथ कमरे में आ गयी… कावेरी को थोड़ा अजीब लगा चेंज कर के उसने राधिका से पूछा – तुम यहाँ.. मेरा मतलब है कि तुम कुंवर जी के साथ नहीं….

राधिका ने कावेरी की तरफ देख कर

कहा –  हमारी शादी ऐसे हालातों में हुयी और हम बहुत नाराज़ भी थे…. इतने दिनों हमने कुंवर को जान रहे है और इस शादी को मान भी रहे है…..लेकिन अभी पूरी  तरह हमें सब अपनाने में वक़्त लगेगा….

कावेरी राधिका की बात समझ रही थी… उसने मुस्कुरा कर राधिका हाँ में सिर हिलाया…. और बोली लेकिन कुंवर जी…

उन्होंने कोई ज़िद नहीं करी….  राधिका ने आगे कहा … कावेरी हम एक बात कहें …. भले ही हमारी शादी कुंवर से जैसे भी हुयी उस वक़्त हमें कुछ समझ नहीं आया…. लेकिन अब हमें लगता है कि कुंवर ने अपने पापा की बात का मान रखने के लिए हमसे बिना मिले शादी जैसा बड़ा फैसला लिया….. उनको तो हमसे भी अच्छा कोई मिल जाता…. और हमसे कितनी बड़ी ग़लती हुयी कि हमने अपने पापा की बात का कोई मान नहीं रखा…..ना ही बात को समझा ना ही जाना और बस मना कर दिया….

कावेरी ने कहा – तुम्हारी कोई ग़लती नहीं थी उस वक़्त हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे….लेकिन चलो अब सब ठीक है और कुंवर जी बहुत अच्छे है… थोड़ा सा रिश्ता आगे बढ़ा है और अब तुम भी समझने लगी हो तो सब अच्छा होगा..

चलो अब सो जाओ ज़्यादा सोचो मत…

कावेरी और राधिका ऐसे ही बातें करती हुयी सो गयी….

वीकेंड का दिन…..

आज सबको वीर प्रताप जी के घर शाम को जाना था…

आदित्य को राधिका ने याद दिला दिया था कि शाम को जाना है…..

शाम को सब जाने के लिए रेडी थे.. बस आदित्य का वेट कर रहे थे….आदित्य के आने पर सब गाड़ी में बैठे और वीर प्रताप जी के घर के लिए निकल गए

वीरप्रताप जी के घर पहुँचकर आदित्य और बाक़ी सब गाड़ी से उतरे…… राघव और रुपाली ने गाड़ियों की आवाज़ सुनी तो घर से बाहर आ गए….

राघव ने राधिका को घर के अंदर ले जाते हुए कहा….. वेलकम भाभी

राधिका ने मुस्कुरा कर थैंक यू कहा और आगे बढ़ कर रुपाली के पैर छुए….. रुपाली ने उसे आशीर्वाद दिया और सब घर के अंदर आ गए

राघव ने सबके पीछे आती हुयी  कावेरी को धीरे से कहा –  वेलकम

कावेरी ने उसकी तरफ देखा तो राघव मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया….

वीरप्रताप जी सीढ़ियों से उतर कर आ रहे थे…. उन्होंने आगे बढ़ कर देवेंद्र जी को गले से लगा लिया राधिका ने उनके पैर छुए और कावेरी ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया वीर प्रताप जी ने दोनों को आशीर्वाद दिया और सबको बैठने के लिए बोला….

रुपाली ने नौकरों से कह कर चाय नाश्ता लगवा दिया… राघव ने राधिका से कहा – चलिए भाभी चाय पी लें आप फिर आपको अपना घर दिखाए…..

राधिका ने मुस्कुरा कर हाँ कहा और सब बातें करते हुए चाय पीने लगे..

राघव ने राधिका आदित्य और कावेरी को घर घुमाया और फिर अपने रूम को दिखाते हुए बोला…. आइए अब आपको इस घर के सबसे खूबसूरत कमरे में ले कर चलते हैं….. उसने कमरे का दरवाज़ा खोलते हुए कहा…… तो ये है हमारा कमरा सब राघव के कमरे में गए……. राघव ने राधिका को बैठने के लिए बोला आदित्य भी उसके पास बैठ गया

कावेरी कमरे में इधर उधर देख रही थी…. राघव ने उसे देखा तो पूछा – क्या हुआ??कावेरी जी कोई कमी है क्या ??

“नहीं राघव जी आपका रूम बहुत अच्छा है मैं यही देख रही थी सब चीज़ कितनी परफेक्ट है…..पर आपको देखने से लगता नहीं कि आप इतने अच्छे से रखते होंगे रूम को….. !!

अरे…… हम बहुत अच्छे हैं…. थोड़ी जान पहचान और बढ़ेगी तो आपको पता चलेगा कि हम में बहुत गुण है…. गुणों की खान हैं हम …..कहते हुए उसने पास में रखा हुआ गिटार उठाया और उसके तारों को छेड़ते हुए गाने लगा…..

जीवन के दिन छोटे सही

हम भी बड़े दिलवाले

कल की हमें फुर्सत कहाँ

सोचे जो हम मतवाले…..

वाह वाह ये टैलेंट भी है आपमें…. कावेरी ने ताली बजाते हुए कहा

राघव ने बड़े अदब से सिर झुका कर कहा – जी बिल्कुल है

वैसे राघव जी हमारी कावेरी भी बहुत अच्छा गाती है…..

राधिका…. कावेरी ने कहा

ओहो क्या राधिका…. सुना दो ना तुम भी कुछ राघव जी को भी पता चले की टैलेंटेड तो हम भी हैं

राघव ने गिटार कावेरी को दिया तो उसने कहा मुझे गिटार बजाना नहीं आता…. और गाना हम वो गाएंगे जिसमें सबको गाना पड़ेगा…

ठीक है तो शुरू करें आप – राघव ने कहा

कावेरी ने गाना शुरू किया…..

यादों की बारात निकली है आज दिल के द्वारे…. दिल के द्वारे

यादों की शहनाई बीते दिनों को पुकारे दिल के द्वारे

छेड़ो तराने मिलन के प्यारे – प्यारे संग हमारे…..

एक एक करके सबने साथ में गाया….

गाना ख़तम हुआ तो सबने ताली बजायी अरे वाह बहुत मज़ा आया राघव ने कहा

तभी किसी ने दरवाज़े पर knock किया…

राघव ने दरवाज़ा खोला तो एक नौकर खड़ा उसने बोला ” खाना लग गया आप सबको बुला रहे हैं ” ठीक है राघव ने कहा और सबको चलने के लिए बोला

सब खाने की टेबल पर आए गए…. राघव कावेरी के सामने  वाली चेअर पर बैठा था…. और खाना खाते हुए कावेरी को देखे जा रहा था….. आदित्य उसके पास बैठा था … उसने एक पैर राघव के पैर पर मारा और धीरे बोला…… ” क्या हो गया है तुम्हें देखो क्या कर रहे हो रोटी को fork से खा रहे हो?? ” राघव ने उसकी बात को अनसुना करके वैसे ही खाते हुए कहा –  हम्म “

आदित्य ने फिर कहा — राघव

इस बार राघव थोड़ा होश में आया और उसने नीचे देखा तो उसे ही हँसी आ गयी उसने अपने सिर पर हाथ फेरा….

काकी से बातें करे ??? आदित्य ने हँसते हुए कहा

राघव ने उसकी तरफ देखा और बोला – हाँ  करो ना….

ये तुम दोनों किस बात पर इतना हँस रहे हो? रुपाली ने पूछा

काकी राघव कह रहा है की उसे…. आदित्य ने इतना ही कहा था की राघव ने उसके मूँह पर हाथ रखते हुए कहा… कुछ नही मम्मी ये तो ऐसे ही बोल रहा हैं

आदित्य हँसते हुए खाना खाने लगा….

सब लोग खाना खा कर वापस घर लौट आए ….

कुछ समय ऐसे ही बीत गया… राधिका और आदित्य क़रीब आए लेकिन अभी उतने क़रीब नहीं…. राधिका आदित्य की छोटी से छोटी बात का ध्यान रखती थी…. शीतल और देवेंद्र जी इस बात को लेकर अब निश्चिंत हो गए थे……

कावेरी भी राधिका के साथ हर बात का ध्यान रखती थी..

आदित्य के पूछने पर कि राधिका आगे क्या करना चाहती है तो उसने अपनी पढाई पूरी करने के लिए बोला…. आदित्य ने पढ़ने के लिए बोला लेकिन घर में ही रह कर….

इस बार राधिका ने उसकी बात समझी और घर मे रह कर ही पढाई करने के लिए तैयार हो गयी…. कावेरी ने भी घर से ही पढाई करने की बात मान ली थी..!!

एक दिन राधिका लिविंग रूम मे बैठी हुयी किसी किताब के पन्ने पलट रही थी…. आदित्य के आने की उसे खबर नहीं हुयी

आदित्य उसके पास गया और बोला – क्या बात है..??? आप किन खयालों मे गुम है??

आदित्य की आवाज़ से राधिका ने चौँक कर उसकी तरफ देखा और बोली- आप आ गए

हाँ हम आ गए लेकिन आप क्या सोच रहीं थी?

कुंवर हम ये सोच रहे थे कि इस घर में सिर्फ काम करने वाले सारे नौकर ही है … हमें लगता है एक या दो औरतों को भी काम पर रख लें… कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हें नौकरों से नहीं कह पाते..

तो इसमें पूछने या सोचने वाली कार बात है आप रख लें जिसे चाहे…… आदित्य ने कहा

लेकिन हम कैसे रखे हम तो किसी को जानते नही जो कहे किसी से

आदित्य ने कहा अरे तो इसमें आपकी मदद भुवन कर देगा हम अभी बोल देते हैं भुवन का…. कह कर आदित्य ने आवाज़ लगायी

भुवन……

जी कुंवर बोले…..

भुवन आपकी ठाकुराइन को इस घर में काम करने के लिए कुछ औरतों की ज़रूरत है आप कर दें इंतज़ाम

जी कुंवर एक दो दिन में कर देते है

ठीक है….. लीजिए हो गयी आपकी परेशानी दूर… वैसे अब हमें चयर मिलेगी

“क्यों नहीं मिलेगी कुंवर जी लीजिए चाय बिल्कुल तैयार है…..”

कावेरी ने चाय की ट्रे टेबल पर रखते हुए कहा और साथ में पकौड़े भी बोनस कह कर कावेरी ने चाय आदित्य को दी

वाह आज तो मज़ा ही आ गया….. साली साहिब की हाथों की बनी चाय और पकौड़े

आदित्य चाय का सिप लेकर पकौड़े खाने लगा….

हमें भी मिलेंगे क्या पकौड़े??

सबने आती हुयी आवाज़ की  तरफ देखा  तो वीर प्रताप जी रुपाली और राघव खड़े थे

आदित्य ने उठ कर कहा – बिलकुल आइए

कावेरी के साथ राधिका भी किचन में उसकी मदद करने चली गयी तब तक देवेंद्र जी और शीतल भी आ गए….

थोड़ी देर में राधिका कावेरी के साथ चाय और पकौड़े ले कर आ गयी… सबने चाय पीते हुए पकौड़े खाए..

वीरप्रताप जी ने देवेंद्र जी से कहा कि राघव ने अब काम संभाल लिया है तो हम लोग चार धाम की यात्रा पर जाने का सोच रहे है तो क्या आप लोग भी चलना चाहेंगे हमारे साथ…. ????

लेकिन ये प्रोग्राम अचानक?? आदित्य ने पूछा

हाँ सोच तो बहुत दिनों से रहे थे लेकिन जाने का प्रोग्राम अब बना रहे हैं….

बिल्कुल चलेंगे साथ भी हो जायेगा और यात्रा भी….. देवेंद्र जी ने कहा

हम करवा देते है आप सबके जाने का इंतज़ाम…. आदित्य ने कहा

नहीं वो सब हो गया…. बस आदित्य राघव का थोड़ा ध्यान रखना – वीर प्रताप जी ने कहा

जी…. आदित्य ने कहा

कब जाना है?  राधिका ने पूछा

दो दिन बाद…. रुपाली ने कहा

दो दिन कब निकल गए पता ही नही चला

आदित्य, राधिका, राघव और कावेरी उन सबको छोड़ने ऐरपोर्ट तक आए…. और फिर वापस घर चले गए…..

राघव को आदित्य ने आज रोक लिया था

मौसम आज थोड़ा बदल गया था आसमान मे बादल थे और हल्की सी बारिश होने लगी थी…. राधिका किचन में कुछ काम कर रही थी आदित्य ने देखा कि किचन में कोई नहीं है उसने धीरे से राधिका की कमर में हाथ डाला तो राधिका डर गयी और चिल्लाने को हुयी तो आदित्य ने उसके मूँह पर हाथ रखा और बोला — अरे….. मैं हूँ

कुंवर आप?? यहाँ क्या कर रहे हैं

चलिए आपको कुछ दिखाना है…. क्या राधिका ने पूछा

चलिए तो….

आदित्य ने राधिका का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे में ले आया…. आदित्य  राधिका को कमरे में खिड़की के पास ले आया था….. उसने राधिका के आँखों पर अपना हाथ रखा और धीरे से खिड़की खोल दी….. आदित्य ने राधिका की आँखों पर से हाथ हटाया बाहर का नज़रा बहुत खूबसूरत था ठंडी हवा और बारिश की रिमझिम फुहार दोनों को भिगो रही थी…. राधिका ने अपना हाथ खिड़की से बाहर निकला तो बारिश की बूँदे उसके हाथों पर आ गयी राधिका ने मुस्कुरा कर आदित्य की तरफ देखा आदित्य ने उसके माथे को चूमा और उसे अपनी बाहों में भर लिया…… राधिका आदित्य के सीने से लगी हुयी शरमाए जा रही थी आदित्य ने उसे अपने से अलग किया राधिका अपनी पलकों को नीचे किए हुए थी उसके होंठ कपकपा रहे थे.. बालों की एक लट उसके गाल पर आ गयी थी…….. आदित्य ने उसके बालों की लट को अपने हाथ से पीछे किया और उसके कपकपाते होंठों को अपने होंठों से छू दिया…… राधिका वैसे ही खड़ी रही….. आदित्य उसके होंठों से दूर हुआ राधिका को अपने गले से लगा लिया…… आज इतने दिनों बार राधिका और आदित्य के बीच की दूरियाँ मिट गयी थी….राधिका ने आदित्य को अपना लिया था…!!

दूसरी तरफ कावेरी अपने रूम से निकल कर बाहर आ रही थी कि तभी वो राघव से टकरा गयी वो गिर ही जाती लेकिन राघव ने उसे अपनी बाहों मे ले लिया….. राघव कावेरी को एकटक देखे जा रहा था….. कावेरी ने राघव की आँखों में देखा तो वो कहीं खो सी गयी….उसी वक़्त तेज़ बिजली चमकी राघव एकदम से हडबड़ा गया और कावेरी को उसने छोड़ दिया…. कावेरी नीचे गिर गयी…… और बोली हाय राम कितनी ज़ोर से गिरा दिया.. राघव ने सॉरी बोला और कावेरी को उठाने की कोशिश करने लगा…

छोड़ें हमें आप एक तो आपने हमें गिरा दिया और अब हमदर्दी दिखा रहे है… जब गिराना ही था तो पकड़ा क्यों था कहते हुए वो अपनी कमर सहला रही थी

राघव ने कहा मैं…

क्या मैं….मैं  एक तो मुझे लग गयी … हाय मम्मी वो जाकर सोफे पर बैठ गयी

मैं डॉक्टर को बुलाऊँ….

कोई ज़रूरत नहीं है…..पहले तो गिरा दिया और अब डॉक्टर को बुलाऊँ

अरे मैंने बोला ना सॉरी वो बिजली चमकी तो….

तो…. तो आपने मुझे गिरा दिया.. कावेरी ने थोड़ा गुस्से में कहा और उठ कर जाने लगी.. राघव ने आगे बढ़कर उसे पकड़ना चाहा तो उसने मना कर दिया.. मैं चली जाऊंगी…. राघव ने देखा वो चल नही पा रही थी उसने कावेरी को गोदी में उठाया उसके कमरे की तरफ ले जाने लगा

और बोला – जो कहना हो आप बाद में कह लेना फिल्हाल मैं आपको आपके कमरे तक छोड़ने चल रहा हूँ और चुप एकदम एक लफ्ज़ मत बोलना….

कावेरी राघव की गोदी में थी और उसकी दोनों बाहों  राघव की गर्दन पर…!!!

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा….. नये भाग के साथ जल्दी ही मिलूँगी..!!

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग -16)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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