दास्तान इश्क़ की (भाग -12)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा….

आदित्य  प्रीतमपुरा पहुँच कर राधिका से मिलता है…. देवेंद्र जी राधिका को आदित्य के घर ही रहने को बोलते है….राधिका मान जाती है लेकिन उनको भी साथ में रहने को बोलती है….

अब आगे…..

अगले दिन आदित्य राधिका के लिए भुवन से कह कर फोन मंगवा देता है… लेकिन उसे देता नहीं है नाश्ता करके अपना काम करने ऑफिस में आ जाता है…. राधिका उस से पूछना चाहती है कि कब चलना है रायपुर लेकिन वो पूछ नही पाती…

वो वैसे ही आदित्य का इंतज़ार करती है कि कब वो बोले राधिका को ऐसे बैठे देख ….शीतल उस से कहती है -“राधिक आज तुम खाना बना लो… “

“ऐसे कैसे खाना बना लेंगी राधिका इनका रसोई पूजन होना बाक़ी है अभी…..देखे हम पंडित जी को ले आए है एक ये रस्म अभी होनी बाक़ी है 

कहते हुए रुपाली वीरप्रताप जी के साथ अंदर आ रहीं थी

कैसी हैं आप शीतल जी….?

शीतल ने हाथ जोड़ कर नमस्ते करते हुए कहा – हम ठीक आप?

बस जी बढ़िया है और अपनी बहू की रसोई पूजन के लिए आ गए..

जी बैठे…. उन्होंने राधिका को अपने पास बैठा लिया

बैठिए पंडित जी और बताए कौन सा शुभ महूर्त है रसोई पूजन के लिए ?

पंडित जी ने अपनी पोथी पत्री देखी और बोले –  परसों का दिन अच्छा है और सुबह 11 बजे तक आप पूजन करवा सकती है… फिर बहुरानी कुछ मीठा बना कर भोग लगा दें और वहीं भोग सबमें बटवा दीजियेगा |

ठीक है पंडित जी….

रुपाली ने उन्हें दक्षिणा देकर विदा किया

“चलो एक ये रस्म हो जाए फिर राधिका आप अपना घर संभालो और एक काम भी करना है आपको….. अपने देवर के लिए भी देवरानी लाने का… आप सब ज़्यादा अच्छे से समझते है एक दूसरे विचार हम तो अब पुराने हो गए… !! “

“कौन पुराना हो गया मम्मी… ?? राघव ने आते हुए पूछा

“लो इनकी बात कर रहे थे और ये आ गए ….”

“क्या मतलब?? आप मेरी बात कर रही थी….? मेरी बुराई ही कर रही होंगी ना?

“हाँ…. बुराई ही कर रहे थे और ये कह रहे थे कि आपके लिया भी कोई ढूँढ ले जो आपका मूँह बंद करा सके!! ” शीतल ने हँसते हुए कहा

….और परसों आपकी भाभी की रसोई पूजा है तो सारी कोई मीटिंग मत रखना आदि को भी बोल देना “

आदि का बोलने की क्या ज़रूरत है…. वो देखिये मुस्कुराते हुए आ रहे है सामने से आपके आदि….

“आदि सुने ज़रा.”… रुपाली ने बुलाया

“जी काकी…”.. परसों कोई मीटिंग मत रखना और रखना भी हो तो दोपहर बाद रखना…. परसों राधिका का रसोई पूजन कराना है…..

“आदित्य ने एक नज़र राधिका की तरफ देखा मुस्कुराया और हाँ बोल दिया और जाने लगा “

राधिका ने कहा – सुने..

आदित्य ने पलट कर देखा तो राधिका उठ कर उसके पास गयी….

“जी वो फोन… “

आदित्य ने धीरे से कहा ” अभी थोड़ी देर में हम चल रहे हैं आपके साथ रायपुर आप तब तक तैयार हो जाए….. हम बस  मिनट में आ रहे है…. “

आदित्य ने कहा – माँ, काकी हम इनको रायपुर ले जा रहे है….. रात तक आ जायेंगे….. और काका को आप आज यहीं बुला लीजिए क्योंकि राघव भी हमारे साथ जा रहा है….

” ठीक है…. लेकिन संभल कर जाइयेगा “

राधिका मुस्कुरा कर तैयार होने चली गयी…

10 मिनट में आदित्य अपने कमरे में से आया राधिका भी रेडी हो कर आ गयी थी…

आदित्य,राघव, राधिका और भुवन चारों गाड़ी से रायपुर के लिए निकल गए…..

राधिका आदित्य के साथ पीछे बैठी थी भुवन ड्राइव कर रहा था….. राघव ने राधिका से पूछा –  “भाभी आप वैसे क्या कर रहीं हैं आजकल? “

हमने एम. ए का फॉर्म भरा है पी, एच. डी करेंगे फिर प्रोफेसर बनना है

Sabject क्या है आपका??

फिलोसोफ़ी  …

अच्छा.,

आदि की तो…. राघव ने इतना ही बोला था

राघव साथ में चलोगे या यहीं उतरना है??

राघव ने मूँह बनाया और चुप बैठ गया….

2 बजे तक वो लोग रायपुर पहुँच गए….

“राघव ने कहा – चलो पहले कुछ खा लेते है.. फिर चलेंगे तुम्हारी ससुराल…. “

आदित्य ने उसकी तरफ देखा तो राघव बोला “अरे ससुराल ही तो है ये तुम्हारी…. “

“चलो उतरो…. “

भुवन ने एक रेस्टुरेंट देख कर गाड़ी किनारे लगा दी सब लोग उतर गए ….

अंदर जा कर राघव ने खाने का order दिया और सबने खाना खाया

थोड़ी देर में भुवन ने गाड़ी राधिका के घर के सामने लगा दी…… राधिका गाड़ी से उतरी और उसने घर के आगे तीसरे गमले के नीचे से चाबी निकाली और घर को खोल दिया….

आदित्य और बाक़ी सब ये देखकर हैरान हो गए…. राधिका ने कहा – हम यहीं रखते है एक चाबी समान तो सारा उस गाड़ी में था….. और वहीं रह गया

सब अंदर आ गए… आदित्य और भुवन तो पहले भी आये थे राघव पहली बार राधिका के घर आया था… उसने देखा घर छोटा था मगर बहुत करीने से सजा हुआ था….. थोड़े दिन बंद रहने से बस धूल हो गयी थी

राधिका ने सबको बैठने के लिए कहा और बोली – ” हम बस थोड़ी देर में आते है सामान पैक कर के “

जब थोड़ी देर हो गयी तो आदित्य ने   राघव से कहा – ” तुम दोनों कहीं घूम क्यों नहीं आते पता नहीं कितनी देर लगेगी यहाँ?

चलो तुम भी सब साथ में चलते है राघव ने कहा ….

मैं राधिका को अकेले छोड़ कर नहीं जा सकता…

“हम्म ये भी ठीक कहा…. चलो भुवन वैसे आदि पता है हमको तुम भाभी के साथ अकेले रहना चाहते हो और मुस्कुराता हुआ घर से बाहर निकाल गया….. दरवाज़ा अंदर से बन्द कर लेना राघव ने जाते – जाते कहा “

आदित्य बस मुस्कुरा दिया . . . .

उसने दरवाज़ा बंद किया और राधिका के कमरे में knock किया….

हाँ…

हम आ जाए ???

कुंवर आप…. राधिका ने दरवाज़ा खोला क्या हुआ??

कुछ नहीं हमारा अकेले मन नहीं लग रहा था बाहर तो सोचा आपकी मदद कर दें पैकिंग करने में….

क्यों राघव जी और भुवन हैं ना फिर… ???

वो लोग चले गए….

कहाँ??

राघव रायपुर पहली बार आया है तो उसने कहा घूमना है… तब तक आपकी पैकिंग भी हो जायेगी..

अच्छा…. वैसे हो ही गयी है मेरी पैकिंग

आप बैठे राधिका ने कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए कहा

आदित्य कुर्सी पर बैठ गया

राधिका अलमारी के ऊपर वाले खाने में से कुछ पेपर्स की फाइल निकालने लगी आदित्य ने देखा राधिका का हाथ नहीं पहुँच रहा है…. वो उठा और राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो गया….. लाए हम उतार दें..

राधिका ने अपना हाथ नीचे कर लिया… आदित्य ने पेपर्स की फाइल निकाल कर नीचे अपने हाथ में रख ली और पीछे हो गया…… राधिका उसकी तरफ बढ़ी तो आदित्य ने फाइल अपने पीछे कर ली

“आप फाइल दे रहे हैं या नहीं???”- राधिका ने पूछा

“हम कब मना कर रहे हैं आप लें ले  कहते हुए आदित्य पीछे होता जा रहा था…. राधिका ने देखा आदित्य पलंग से टकराने वाला है तो उसने कहा – कुंवर पीछे…..

आदित्य ने पीछे देखा तो वो पलंग से टकराने वाला था…, राधिका ने उसके हाथ से फाइल लेनी चाही…… तब तक गिरते हुए आदित्य ने उसके बढे हुए हाथ को पकड़ा आदित्य बेड पर गिरा और उसके पैरों से उलझ कर राधिका भी उसके ऊपर गिर गयी…..

राधिका आदित्य के ऊपर थी उसके सारे बाल आदित्य के चेहरे के ऊपर थे….राधिका ने अपने दोनों हाथ टिकाए और उठने की कोशिश करने लगी…. आदित्य ने देखा उसकी पलकें झुकी हुयी थी उसके चेहरे पर शर्म की लाली आ गयी थी..,.

आदित्य को पता नही क्या हुआ उसने एक झटके में राधिका को उठा कर दूसरी तरफ किया और खुद उसके ऊपर आ गया…. राधिका के कुछ बालों ने उसके चेहरे को ढक रखा था….. आदित्य ने धीरे से उसके बालों को उसके चेहरे पर से हटाया राधिका ने पलकों को उठा कर आदित्य की तरफ देखा……. आदित्य उसके चेहरे पर देख ही रहा था कि राधिका ने उसे धक्का दिया और खुद उठ कर खड़ी हो गयी……

आदित्य ने अपने सिर पर हाथ फेरा और मुस्कुरा कर कुर्सी पर बैठ गया

राधिका भी वापस से अपना सामान रखने लगी

बस 5 मिनट हो ही गया अब बस माँ के कपड़े लेने है

आदित्य ने कुछ नही कहा,

राधिका अपना काम ख़तम कर के शीतल के रूम में आयी उनके कपड़े और ज़रूरत का सामान लिया और बाहर निकल आयी..

आदित्य तब तक बाहर के कमरे में आ करे बैठ गया था… राधिका न सब पैक किया हुआ  सामान बाहर रख लिया

आदित्य ने राधिका को एक बॉक्स दिया .. ये आपके लिए….

राधिका ने वो बॉक्स लिया और खोला तो उसमें मोबाइल था…

थैंक्स यू कुंवर….

वेलकम ….. वैसे  आपको अपना प्रोमिस तो याद है ना?

जी…..

तो कल शाम हम आपका इंतज़ार करेंगे…

राधिका कुछ कहती इस से पहले ही दरवाज़े पर किसी ने knock किया….

राधिका ने दरवाज़ा खोला तो राघव और भुवन थे……. राघव ने राधिका से पूछा – भाभी हा गयी पैकिंग

हाँ हो गयी है

चलें क्या… मैं बाहर घूम कर बोर हो गया हूँ

क्यों आपको हि तो घूमना था ना रायपुर फिर बोर कैसे हो गए आप?

किसने कहा मुझे घूमना था अरे वो तो आदि ने कहा इसलिए मैं गया

राधिका ने आदित्य की तरफ देखा तो आदित्य इधर – उधर देख रहा था

भुवन ने राधिका का सामान गाड़ी में रखा और सब गाड़ी में बैठ गए…..

घर पहुँचते पहुँचते रात हो गये थी…..देवेंद्र जी, वीर प्रताप जी , शीतल और रुपाली इन लोगो के आने का वेट कर रहे थे….

आ गए आप सब…. वीर प्रताप जी ने पूछा

हाँ….. काका

सब सामान ले आयी राधिका

हाँ माँ लगभग सभी के ले आए हैं….

चलें आप सब फ्रेश हो जाए तब तक हम खाना लगवाते हैं…. शीतल ने कहा और नौकरों को खाना लगाने के लिए बोलने किचन में चली गयी….

थोड़ी देर में सब फ्रेश हो कर आए और खाना खाने के लिए टेबल पर बैठ गए….

रुपाली ने कहा कल सबको फ्री रहना है…. दोपहर तक फिर से याद दिला रही हूँ….कोई मीटिंग नहीं रखना है किसो को भी

वीरप्रताप जी  ने धीरे से देवेंद्र जी से कहा – ” हाँ जैसे ये हमको जाने ही देंगे ….देखना आप अभी तो जब तक कल रसोई पूजन हो नही जायेगा ये बात जाने कितनी बार रिपीट होगी ” देवेंद्र जी वीरप्रताप जी की बात सुनकर बस मुस्कुरा रहे थे… “

क्या हुआ आप दोनों मुस्कुरा क्यों रहे है?

कुछ नही हम तो बस यूही….

सबने खाना खा लिया और बैठे हुए थे….. तभी रुपाली राधिका का एक पैकेट देते हुए बोली ”  राधिका कल तुम ये पहन लेना सुबह ” राधिका जी कहकर  वो पैकेट रख लिया !!

नये भाग के जल्दी ही फिर मिलूँगी !!!

अगला भाग

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धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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